ब्लॉग: भारत-पाक रिश्तों में सुधार के संकेत से निराश आतंकी कश्मीर में चला रहे अंधाधुंध गोलियां
By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 2, 2022 02:50 PM2022-06-02T14:50:23+5:302022-06-02T14:57:40+5:30
कश्मीर में इधर कुछ हफ्तों से आतंकवादी हमलों में जो बढ़त हुई है, उसका एक कारण यह भी लगता है कि ये आतंकवादी नहीं चाहते कि भारत-पाक रिश्तों में जो सुधार के संकेत इधर मिल रहे हैं, उन्हें सफल होने दिया जाए.
जम्मू कश्मीर में जबसे धारा 370 हटी है, वहां राजनीतिक उठापटक और आतंकवादी घटनाओं में काफी कमी आई है लेकिन इधर पिछले कुछ हफ्तों में आतंकवाद ने फिर से जोर पकड़ लिया है.
कश्मीर घाटी के एक स्कूल में पढ़ा रही जम्मू की अध्यापिका रजनीबाला की हत्या ने कश्मीर में तूफान-सा खड़ा कर दिया है. कश्मीर के हजारों अल्पसंख्यक हिंदू कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं और उपराज्यपाल से मांग कर रहे हैं कि उन्हें घाटी के बाहर स्थानांतरित किया जाए, वर्ना वे सामूहिक बहिर्गमन का रास्ता अपनाएंगे. उनका आक्रोश तो स्वाभाविक है लेकिन उनकी मांग को क्रियान्वित करने में अनेक व्यावहारिक कठिनाइयां हैं.
ऐसे ही हिंसक उग्रवादियों की मेहरबानी के कारण आज पाकिस्तान और अफगानिस्तान बिल्कुल खस्ता-हाल हुए जा रहे हैं. कश्मीर में इधर कुछ हफ्तों से आतंकवादी हमलों में जो बढ़त हुई है, उसका एक कारण यह भी लगता है कि ये आतंकवादी नहीं चाहते कि भारत-पाक रिश्तों में जो सुधार के संकेत इधर मिल रहे हैं, उन्हें सफल होने दिया जाए.
इधर जबसे शाहबाज शरीफ की सरकार बनी है, दोनों देशों के नेताओं का रवैया रचनात्मक दिख रहा है. दोनों देश सीमा पर युद्ध विराम समझौते का पालन कर रहे हैं और सिंधु-जल विवाद को निपटाने के लिए हाल ही में दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक दिल्ली में हुई है.
पाकिस्तान के व्यापारी भी बंद हुए आपसी व्यापार को खुलवाने का आग्रह कर रहे हैं. आतंकवादियों के लिए यह सब तथ्य काफी निराशाजनक हैं. इसीलिए वे अंधाधुंध गोलियां चला रहे हैं.
उनकी हिंसा की सभी कश्मीरी नेताओं ने कड़ी निंदा की है और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी आतंकवादी हत्यारों को शीघ्र ही दंडित करने की घोषणा की है. क्या इन आतंकियों को इतनी-सी बात समझ नहीं आती कि वे हजार साल तक भी इसी तरह लोगों का खून बहाते रहें तो भी अपना लक्ष्य साकार नहीं कर पाएंगे.