ब्लॉग: साइबर ठगों से बचने के लिए अत्यधिक सतर्कता जरूरी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 25, 2023 11:20 AM2023-11-25T11:20:00+5:302023-11-25T11:21:39+5:30
जब तक बात करने वाले व्यक्ति की सही पहचान का पुख्ता भरोसा न हो जाए तब तक अपने बारे में उसे कोई भी जानकारी देने से बचने की जरूरत है। लॉटरी लगने या अन्य वित्तीय लाभ का झांसा देने के मामले आम हो चुके हैं।
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल्कुल सही कहा है कि जो लोग प्रणाली के साथ खिलवाड़ करते हैं, वे प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और दुरुपयोग के मामले में शायद हमसे एक स्तर आगे हैं। दरअसल तकनीक के क्षेत्र में जिस तेजी से प्रगति हो रही है, उसी तेजी से उसके दुरुपयोग की बढ़ती घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं। साइबर अपराधियों के ठगी के एक तरीके पर जब तक लगाम लग पाती है तब तक वे दूसरा तरीका खोज लेते हैं.।आम आदमी की तो बात ही छोड़िए, ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ की तर्ज पर वे बड़े और संवेदनशील संस्थानों तक की सुरक्षा प्रणाली को निशाना बनाते रहे हैं।
अभी तक बैंकों, बीमा कंपनियों आदि की तरफ से यह कहकर लोगों को जागरूक किया जाता था कि किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपना पासवर्ड, ओटीपी या अन्य संवेदनशील जानकारी साझा न करें, किंतु अब जैसा कि वित्त मंत्री ने चेताया है, साइबर फ्रॉड करने वाले आपके बारे में पहले से सामान्य जानकारी का पता लगाकर भी बातचीत के दौरान उसका जिक्र करके यह जताने की कोशिश करते हैं कि वे फर्जी नहीं बल्कि वास्तविक अधिकारी हैं।
इसलिए जब तक बात करने वाले व्यक्ति की सही पहचान का पुख्ता भरोसा न हो जाए तब तक अपने बारे में उसे कोई भी जानकारी देने से बचने की जरूरत है। लॉटरी लगने या अन्य वित्तीय लाभ का झांसा देने के मामले तो इतने आम हो चुके हैं कि हमें लगता है अब उनसे कोई भी अपरिचित नहीं होगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसे झांसों में अभी भी लोगों के फंसने की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं।
साइबर अपराधी अपने इरादों को कितने शातिर तरीके से अंजाम देते हैं, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। एक बार किसी व्यक्ति को साइबर ठगों ने फोन करके झांसा दिया कि वह जितनी भी रकम उनके बताए बैंक खाते में जमा करेगा, दस दिन बात शर्तिया तौर पर उस रकम का दस गुना उसके बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा। छोटी-मोटी रकम दोगुना होने के बाद जब उस व्यक्ति ने दस हजार रु. झांसा देने वालों के बैंक खाते में डाले तो दस दिन बाद एक लाख रुपए भी उसके खाते में जमा हो गए। फिर तो उसका लालच बढ़ गया और उसने पूरे दस लाख रु. डाल दिए। दस दिन बाद उसके बैंक खाते में एक करोड़ रु. तो नहीं आए, घर पर पुलिस जरूर आ गई। पता चला कि साइबर ठगों ने किसी और व्यक्ति को ठगते हुए उसके बैंक खाते में एक लाख रुपए डलवाए थे। इस तरह उसने दस लाख रु. से तो हाथ धोए ही, पुलिस थाने और अदालतों के चक्कर भी लगाने पड़े। साइबर ठगों ने ठगी के ऐसे-ऐसे तरीके निकाल लिए हैं कि आम आदमी के पास इससे बचने का सिर्फ एक ही उपाय है कि वह पूरी तरह से सतर्क रहे और बिना पूरी तरह भरोसा हुए किसी के साथ भी पैसों का कोई ऑनलाइन लेन-देन न करे, न ही किसी अनजान आदमी को अपने बारे में कोई जानकारी प्रदान करे।