ब्लॉगः द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों में संतुलन की कवायद

By शोभना जैन | Published: March 25, 2023 09:34 AM2023-03-25T09:34:49+5:302023-03-25T09:35:20+5:30

जूदा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के बीच इस बार का  भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन द्विपक्षीय सहयोग को गति देने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समझबूझ बढ़ रही है।

Blog Balancing Exercises in Bilateral and Global Issues india japan | ब्लॉगः द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों में संतुलन की कवायद

ब्लॉगः द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों में संतुलन की कवायद

इसी सप्ताह जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नई दिल्ली स्थित बुद्ध जयंती पार्क में राजनयिक चर्चाओं के बीच किशिदा के गोलगप्पों का  स्वाद लेते, आम का पना और लस्सी की चुस्कियां लेते वीडियो खासे सुर्खियों में रहे। दरअसल भारत-जापान संबंधों के लिए तो जापान के पीएम की यह यात्रा अहम है ही, भारत-प्रशांत साझीदारी को गति देने के साथ ही जिस तरह से किशिदा ने भारत यात्रा के फौरन बाद उस वक्त यूक्रेन की यात्रा की जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मास्को में यूक्रेन मुद्दे को लेकर रूस के राष्ट्रपति पुतिन को यूरेशिया की तरफ से रूस के साथ  खड़े रहने का स्टैंड दोहरा रहे थे, वह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत यूक्रेन मुद्दे पर तटस्थ रहने की कोशिश कर रहा है। किशिदा जी-7 के एकमात्र ऐसे शासनाध्यक्ष हैं  जिसने अब तक स्वयं यूक्रेन का दौरा कर अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ यूक्रेन मुद्दे पर एकजुटता व्यक्त नहीं की थी। ऐसे में निश्चय ही इस यात्रा को दोनों देशों के बीच कुछ विषम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर असहमति होने के बावजूद द्विपक्षीय संबंधों को गति देते हुए, कुछ मुद्दों पर एक-दूसरे के राष्ट्रीय हितों को समझते हुए सावधानीपूर्वक संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ने की कोशिश माना जा सकता है।
 
मौजूदा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के बीच इस बार का  भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन द्विपक्षीय सहयोग को गति देने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समझबूझ बढ़ रही है। भारत और जापान अपने संबंधों में एक ऐसे स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां दोनों देशों का शीर्ष नेतृत्व लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहता है। जापान सरकार के ऋण से बनने वाली मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना हालांकि अभी अटकी हुई है, लेकिन दोनों देशों के बीच आधारभूत क्षेत्र  में अनेक परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

साथ ही अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, यूक्रेन जैसे उलझे  मौजूदा हालात के चलते  यह यात्रा खास अहमियत रखती है। क्वाड समूह अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत करने और इस क्षेत्र में  चीन के बढ़ते दबदबे को कम करने की दृष्टि से खासा  महत्वपूर्ण है। यह साल भारत और जापान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दोनों देश अपने पड़ोसी चीन की आक्रामकता को लेकर समान रूप से चिंतित हैं। भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता है और जापान के पास जी-7 की अध्यक्षता है। भारत  के जी-20 का अध्यक्ष और जापान के जी-7 का अध्यक्ष होने के नाते दोनों की ही साझी सोच और प्रयास है कि वैश्विक मुद्दों पर खास तौर पर गरीब देशों को समान रूप से साथ लाया जाए। हालांकि यूक्रेन को लेकर भारत और जापान दोनों का अलग-अलग रुख है। जापान इस मसले पर अमेरिका नीत गठबंधन के साथ खुल कर खड़ा है। यह गठबंधन रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा चुका है। एक पूर्व राजनयिक के अनुसार आज दुनिया  अलग-अलग खेमों मे बंट रही है, ऐसे में भारत और जापान दोनों का ही प्रयास है कि जी-7 और जी-20 की अपनी-अपनी अध्यक्षता के दौरान दोनों साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ खास कदम उठाएं, उसे एक नई दिशा देने का प्रयास करें। इस बार भारत आकर फुमियो किशिदा ने जी-7 के एजेंडे को जी-20 के एजेंडे के साथ समन्वित करने की जो कोशिश की है, वह भी इस बात को रेखांकित करता है कि चाहे हमारे बीच यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर मतभेद भी हों, उसके बावजूद हम अपने सामरिक संबंधों को कमजोर नहीं होने देना चाह रहे हैं। गौरतब है कि पीएम मोदी इसी वर्ष मई में हिरोशिमा में विकसित देशों के जी-7 शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में
आमंत्रित हैं।

किशिदा की इस यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस बार उनके एजेंडे में ‘मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र’है। चीन का आक्रामक तेवर जिस तरह भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा, दक्षिण चीन सागर क्षेत्र और पूर्वी चीन सागर क्षेत्र में दिखा, इसी पृष्ठभूमि में हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर चीन द्वारा आक्रामक मंसूबों को लेकर दिए गए संदेश के चलते ही एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त रखने के लिए भारत सहित क्वाड समूह के बीच यह एकजुटता आई है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आज एक ही भौगोलिक क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है और उसमें भारत की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को मिलाकर बना क्वाड भी इस बात को रेखांकित करता है कि किस तरह से एक समान सोच रखने वाले लोकतांत्रिक देश आपस में मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपट सकते हैं। इसलिए जब चीन जापान के साथ, ऑस्ट्रेलिया के साथ या भारत के साथ आक्रामक रुख दिखाता है, तो उसको ये भी पता होना चाहिए कि इन देशों की जो क्षमताएं हैं, वो अब एक साथ मिल चीन को टक्कर देने की तैयारी कर रही हैं।

Web Title: Blog Balancing Exercises in Bilateral and Global Issues india japan

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