ब्लॉग: इंजीनियरों के बल पर ही होता है राष्ट्र का निर्माण
By रमेश ठाकुर | Published: September 15, 2023 10:10 AM2023-09-15T10:10:16+5:302023-09-15T10:17:31+5:30
राष्ट्रीय अभियंता दिवस प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को ‘भारत रत्न महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया’ के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
भारतीय अभियंताओं का इस वक्त समूचे जगत में बोलबाला है। एक वक्त था, जब हम तकनीकी क्षेत्रों पर दूसरों का मुंह ताका करते थे लेकिन आज दुनिया का शायद ही कोई ऐसा मुल्क हो जहां भारत के इंजीनियर अपनी काबिलियत का लोहा न मनवा रहे हों। आज का विशेष दिन यानी ‘राष्ट्रीय अभियंता दिवस’ देश के सभी इंजीनियरों को समर्पित होता है।
राष्ट्रीय अभियंता दिवस प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को ‘भारत रत्न महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया’ के जन्मदिन पर मनाया जाता है। उनके योगदान को देश कभी नहीं भूलेगा।
जब देश स्वंतत्र नहीं हुआ था, तब कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर समेत अन्य कई महान उपलब्धियां विश्वेश्वरैया के कड़े प्रयासों से ही संभव हो पाई थीं। जब वे केवल 34 वर्ष के थे, तब उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी की पूर्ति भेजने का प्लान तैयार किया जो सभी इंजीनियरों को पसंद आया।
सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के उपायों को ढूंढ़ने के लिए समिति बनाई। इसके लिए विश्वेश्वरैया ने एक नए ब्लॉक सिस्टम को ईजाद किया। उन्होंने स्टील के दरवाजे बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करते थे। उनके इस सिस्टम की प्रशंसा ब्रिटिश अधिकारियों ने मुक्तकंठ से की। आज यह प्रणाली पूरे विश्व में प्रयोग में लाई जा रही है।
इंजीनियरों की बड़ी फौज भारत में तैयार है। एशिया के ज्यादातर देश अपने यहां बनने वाली विशाल परियोजनाओं में भारतीय अभियंताओं की ही मदद लेते हैं। यही कारण है कि भारत को अब इंजीनियरों का देश कहा जाने लगा है। निश्चित रूप से हमारे इंजीनियर बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के भी बड़े कर्णधार हैं। उनका बड़ा योगदान है और भारत के समग्र विकास में प्रमुख भूमिका भी निभा रहे हैं।
सिविल इंजीनियर के अलावा भारत बीते कुछ वर्षों से आईटी उद्योग में भी झंड़ा गाड़े हुए है। भारत में प्रतिवर्ष पंद्रह लाख युवा इंजीनियरिंग स्नातक बनते हैं। ये सभी अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत सीधे कार्यों का अनुश्रवण कर गुणवत्ता, वित्तीय एवं प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होते हैं लेकिन एक चिंताजनक पहलू भी है।
देश में इस समय लगभग 45 प्रतिशत प्रबंधन और 48 प्रतिशत इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले युवा बेरोजगार हैं। ये सच्चाई नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने उजागर की है। कोई इंजीनियर बेरोजगार न रहे, सभी का इस्तेमाल देश की तरक्की में हो, इसके प्रावधान सरकारी स्तर पर करने होंगे।