BJP Lok Sabha and by-Election Defeats: जीत के फार्मूले की तलाश में बेताब भाजपा, लोकसभा चुनावों और उपचुनावों में हार के बाद...

By हरीश गुप्ता | Published: July 18, 2024 10:49 AM2024-07-18T10:49:52+5:302024-07-18T10:51:57+5:30

BJP Lok Sabha and by-election defeats: प्रधानमंत्री ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (झामुमो) से मुलाकात की, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय एजेंसियों ने जेल भेज दिया था, जो कि एक तरह से पहली बार था.

BJP Lok Sabha and by-election defeats polls har BJP desperate in search winning formula BLOG  Harish Gupta | BJP Lok Sabha and by-Election Defeats: जीत के फार्मूले की तलाश में बेताब भाजपा, लोकसभा चुनावों और उपचुनावों में हार के बाद...

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HighlightsBJP Lok Sabha and by-election defeats: प्रधानमंत्री मोदी ने जेल के अंदर रहे किसी भी मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं की थी. BJP Lok Sabha and by-election defeats: सोरेन के खिलाफ मामले सीबीआई और ईडी द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे हैं.BJP Lok Sabha and by-election defeats: भाजपा नेतृत्व को यूपी ने झटका दिया.

BJP Lok Sabha and by-election defeats: ऐसा लगता है कि भाजपा विपक्षी दलों से निपटने के लिए नई रणनीति बनाने की प्रक्रिया में है. लोकसभा चुनावों और उपचुनावों में हार के बाद, भाजपा नेतृत्व अब विपक्षी दलों से अलग तरीके से निपटने की कोशिश कर रहा है और यह नीति हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है. रणनीति सपा और अन्य सहित इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को लुभाने की है. हाल ही में, प्रधानमंत्री ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (झामुमो) से मुलाकात की, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय एजेंसियों ने जेल भेज दिया था, जो कि एक तरह से पहली बार था.

इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने जेल के अंदर रहे किसी भी मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं की थी. यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि सोरेन के खिलाफ मामले सीबीआई और ईडी द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे हैं. झारखंड भाजपा के नेता भी इस मुलाकात से हैरान हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि इस पर क्या प्रतिक्रिया दें. इससे पहले, भाजपा नेतृत्व को यूपी ने झटका दिया.

 जहां उसे लोकसभा चुनावों में भारी पराजय का सामना करना पड़ा और 2019 के चुनावों में 62 के मुकाबले पार्टी इस बार केवल 33 सीटें ही जीत पाई. जबकि अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने 37 सीटें और कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं. हतप्रभ पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा यह समझने के लिए राज्य-दर-राज्य यात्रा कर रहे हैं कि पार्टी ने लोकसभा चुनावों में सीटें क्यों खो दीं.

भाजपा की हताशा तब सामने आई जब वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से संपर्क साधने लगी. कांग्रेस को ‘परजीवी’ करार देने सहित नड्डा उनके ‘शुभचिंतक’ बन गए. उन्होंने और अन्य भाजपा नेताओं ने यादव को चेतावनी दी कि कांग्रेस के साथ जुड़ना उन्हें ‘खत्म’ कर सकता है. नड्डा ने कहा कि ‘‘कांग्रेस अन्य दलों की मदद से जीतती है और इसका मतलब है कि यह एक परजीवी पार्टी है, जो दूसरों पर जीवित रहती है और फिर जिस पार्टी पर निर्भर रहती है उसे खत्म कर देती है. यह एक लता है जो बढ़ने के लिए अन्य दलों का सहारा लेती है.’’

महाराष्ट्र पर राहुल करेंगे फैसला

लोकसभा चुनावों में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस पार्टी सातवें आसमान पर है, क्योंकि उसने अपनी सीटों की संख्या लगभग दोगुनी करके 99 सीटें हासिल की हैं. महाराष्ट्र में उत्साहित कांग्रेस नेता विधानसभा चुनावों में लगभग 120 सीटें चाहते हैं या अकेले चुनाव लड़ने के पक्षधर हैं. कांग्रेस ने उसे आवंटित 17 लोकसभा सीटों में से 13 पर जीत हासिल की, जबकि उद्धव की शिवसेना 21 में से 9 सीटें ही जीत सकी.

शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़कर 8 सीटें जीतीं. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व महाविकास आघाड़ी (एमवीए) में एकता बनाए रखने को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है. बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव से पहले एमवीए के सहयोगियों के बीच अनौपचारिक सहमति थी कि लोकसभा चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, वे सभी आगामी विधानसभा चुनाव में 96-96 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

लेकिन नतीजों के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने अलग ही राग अलापना शुरू कर दिया और कहा कि गठबंधन में पार्टी ‘बड़ा भाई’ बन गई है. आलाकमान नाराज हो गया और एआईसीसी के राज्य इकाई प्रभारी रमेश चेन्निथला ने पटोले को नकार दिया. बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर दलों को जरूरत के हिसाब से कुछ सीटों का समायोजन करना पड़ सकता है.

यह भी तय किया गया था कि एमवीए किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाएगा और चुनाव सामूहिक नेतृत्व के आधार पर लड़े जाएंगे. कांग्रेस कम-से-कम 120 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है और तर्क देती है कि राजनीतिक परिस्थिति पत्थर की लकीर नहीं हो सकती. हालांकि विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी ने राज्य के पार्टी नेताओं को संदेश दिया था कि वे एमवीए को कमजोर करने वाले बयान न दें.

क्या पोप अंततः आएंगे यात्रा पर!

कर्नाटक और तेलंगाना तथा कुछ हद तक आंध्र प्रदेश में अपनी पैठ बनाने के बाद भाजपा की नजर दक्षिण के केरल पर है. राज्य में एनडीए का वोट शेयर 2019 के लोकसभा चुनाव में 15.56 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 19.24 प्रतिशत हो गया. भाजपा ने न केवल त्रिशूर में जीत दर्ज की, बल्कि तिरुवनंतपुरम में भी दूसरे स्थान पर रही, जहां राजीव चंद्रशेखर शशि थरूर से मात्र 16,077 मतों से हार गए.

भाजपा कम्युनिस्ट पार्टियों के कब्जे वाले 11 विधानसभा क्षेत्रों में पहले स्थान पर रही, जबकि आठ विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही. अब यह तय हो गया है कि भाजपा बड़े पैमाने पर ईसाइयों को लुभाने की कोशिश करेगी, क्योंकि उसे मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन नहीं मिल पा रहा है. इस संबंध में प्रधानमंत्री की हाल ही में इटली में पोप फ्रांसिस से मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण रही.

मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया, जबकि दोनों की गले मिलते हुए एक तस्वीर भी वायरल हुई. हालांकि मोदी ने 2021 में भी पोप से भारत आने का अनुरोध किया था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. लेकिन तब से अब तक बहुत कुछ बदल चुका है क्योंकि भाजपा को अब लगता है कि वह मार्च 2026 के विधानसभा चुनावों में केरल में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभर सकती है.

भाजपा के केरल प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने भी इस बात पर जोर दिया है कि पोप की यात्रा पार्टी के आधार को बढ़ाने में मदद कर सकती है. पोप की यात्रा को लेकर सरकार असमंजस में है क्योंकि आरएसएस ने 1999 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की यात्रा पर आपत्ति जताई थी जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. आरएसएस नाराज है कि विभिन्न मिशनरी आदिवासियों और गरीबों को ईसाई बनाने में सक्रिय हैं.

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