दक्षिण भारत की 60 सीटों पर भाजपा की नजर! पीएम मोदी क्या तमिलनाडु से भी लड़ेंगे चुनाव?

By हरीश गुप्ता | Published: February 9, 2023 08:49 AM2023-02-09T08:49:41+5:302023-02-09T08:49:41+5:30

ऐसी अटकलें हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण से चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं. यह दांव अगर चला जाता है तो भाजपा के लिए दक्षिण में बड़े पैमाने पर दरवाजे खुल सकते हैं।

BJP eyes on 60 seats in South India, Will PM Narendra Modi contest from Tamil Nadu as well | दक्षिण भारत की 60 सीटों पर भाजपा की नजर! पीएम मोदी क्या तमिलनाडु से भी लड़ेंगे चुनाव?

पीएम मोदी क्या तमिलनाडु से भी लड़ेंगे चुनाव? (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकल्पनीय और बड़ा जोखिम लेने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें अपने फैसलों से सभी को चौंका देने की आदत है. अगर सत्ता के गलियारों में दिग्गजों की मानें तो मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण से चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं. यह दांव अगर चला जाता है तो इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर भाजपा के लिए दरवाजे खोलना है. 

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पीएम ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से उन्हें एक रोडमैप देने के लिए कहा कि कैसे पार्टी पांच दक्षिणी राज्यों से 60 लोकसभा सीटें जीत सकती है. 

वर्तमान में, भाजपा का कर्नाटक में मजबूत आधार है, जहां उसने 2019 के लोकसभा चुनावों में 28 में से 25 सीटें जीतीं और तेलंगाना में 17 में से 4 सीटें जीतीं. लेकिन आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में उसे एक भी सीट नहीं मिली. 

भाजपा आलाकमान इन राज्यों में अपना आधार मजबूत कर रहा है और तेलंगाना की अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश में है. मोदी दक्षिण में पार्टी के आधार का विस्तार करने की अपनी योजनाओं के बारे में भाजपा नेतृत्व से जवाब तलब करते रहे हैं. 

केरल में, यह एक लंबा रास्ता है लेकिन तमिलनाडु राडार पर है. ध्यान आकर्षित करने वाले सुझावों में से एक यह है कि पीएम को उनके वर्तमान वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के अलावा तमिलनाडु से भी खड़ा करना फायदेमंद होगा.

तमिलनाडु पर नजर

भाजपा का दक्षिण प्रवास मोदी को तमिलनाडु के रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र में ले जा सकता है. भाजपा नेतृत्व जानता है कि वह हिंदी पट्टी, पश्चिम और उत्तर पूर्व में लगभग सैच्युरेशन प्वाइंट पर पहुंच गया है. इसलिए, इसे दक्षिण को जीतने के लिए अकल्पनीय कदम उठाने होंगे. एक आईपीएस अधिकारी को हिंदुत्व के एजेंडा के साथ तमिलनाडु भाजपा की कमान सौंपी गई. 

नवंबर, 2022 में महीने भर चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच के संबंध को फिर से खोजना था. महीने भर चलने वाले इस आयोजन में तमिलनाडु के सैकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया. प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु की पोशाक पहनकर तमिलनाडु की यात्रा की और तमिल में भी थोड़ी बात की. 

भाजपा नेतृत्व एआईएडीएमके के दोनों धड़ों को एक साथ लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. दूसरे, रामनाथपुरम का संबंध भगवान राम से, हिंदुत्व की विचारधारा से है. राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने की संभावना है जिसका मामला फिलहाल अदालत में है. 

अड़चन एक ही है; क्या पीएम को दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए और इससे यूपी के मतदाताओं को क्या संकेत जाएगा जहां भाजपा 75 से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतना चाहती है. इस मुद्दे पर फैसला होना बाकी है. रहस्य तभी खुलेगा जब चुनाव आयोग 2024 में 8 चरणों में लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा.

राज्यसभा की दो खाली सीटों पर निगाहें

राज्यसभा के लिए मनोनीत सांसदों की 12 सीटों में से दो सीटें करीब एक साल से खाली पड़ी हैं. सरकार ने पिछले साल 5 हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामांकित किया था और उनमें से हर पसंद पीएम मोदी की दूरदर्शी सोच का संकेत देती है. महान एथलीट पीटी उषा को केरल से चुना गया, तो भारतीय परोपकारी डॉ. वीरेंद्र हेगड़े को कर्नाटक से चुना गया. 

तमिलनाडु से संगीत उस्ताद इलैयाराजा और आंध्र से पटकथा लेखक और निर्देशक वी. विजेंद्र को चुना गया. चारों दक्षिणी राज्यों से हैं. इसके अलावा, मोदी ने जम्मू-कश्मीर के एक एसटी नेता गुलाम अली को भी नामित किया. लेकिन इनमें से कोई भी भाजपा में शामिल नहीं हुआ, जैसा कि अतीत में सोनल मानसिंह और अन्य मनोनीत सांसदों के मामले में हुआ था. 

पता चला है कि शेष दो नामांकन राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि चुनावी राज्यों से हो सकते हैं. पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची पर एक नजर डालने से पता चलता है कि दक्षिण भारत पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

गहलोत को राहत

जहां भाजपा आलाकमान ने नवंबर-दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राहत दी है, वहीं कांग्रेस ने भी आखिरकार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बदलने की अपनी योजना छोड़ दी है. चौहान को बदलने के लिए चुनावी वर्ष की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम ओबीसी नेता को खोजने में भाजपा असमर्थ रही है. 

उधर राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही तीखी लड़ाई का हल निकालने की भरपूर कोशिश की. लेकिन तीनों नेताओं के बीच हुई त्रिपक्षीय बैठक पूरी तरह से विफल रही. सचिन पायलट को अकेला छोड़ दिया गया है.

मोदी ने ओडिशा के लिए क्यों खोला खजाना?

पीएम मोदी की डिक्शनरी में बेवजह कुछ भी नहीं है. जब मोदी ने अश्विनी वैष्णव को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया और उन्हें तीन प्रमुख विभाग दिए, तो इसका श्रेय ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को दिया गया जिन्होंने राज्यसभा में उनके प्रवेश की सुविधा प्रदान की. लेकिन यह इतिहास की बात है और रिश्ते ने तब एक कड़वा मोड़ ले लिया जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी कार्यकर्ताओं की एक रैली में ‘बीजद-मुक्त’ ओडिशा बनाने का आह्वान किया. न तो मोदी और न ही वैष्णव ने नवीन पटनायक के खिलाफ एक शब्द बोला है. 

इसके विपरीत, पूर्व आईएएस अधिकारी, जो कटक और बालासोर में जिला कलेक्टर थे, ने रेलवे परियोजनाओं के लिए राज्य द्वारा मांगी गई राशि से अधिक धन आवंटित किया. मोदी ने ओडिशा के लिए केंद्र का खजाना खोल दिया, जिसने 8,400 करोड़ रुपए की मांग की थी लेकिन मोदी ने 2023-24 के लिए 10,012 करोड़ रुपए दिए. 

आवंटन सरकार की अपेक्षा से 1,600 करोड़ रुपए अधिक है और राज्य में 57 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जाएगा. जाहिर है, वैष्णव ओडिशा में भाजपा का चेहरा हो सकते हैं, जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे.

Web Title: BJP eyes on 60 seats in South India, Will PM Narendra Modi contest from Tamil Nadu as well

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