Bihar voter verification: मतदाता सूची पुनरीक्षण पर हंगामा क्यों?, 11 दस्तावेजों की सूची आयोग ने रखी

By अवधेश कुमार | Updated: July 15, 2025 05:18 IST2025-07-15T05:18:55+5:302025-07-15T05:18:55+5:30

Bihar voter verification: क्या 22-23 वर्ष के बाद मतदाता सूची की गहनता से जांच परख नहीं होनी चाहिए? अगर चुनाव आयोग ने इसके लिए आवश्यक जनसंपर्क और आधार कार्य नहीं किया तो आलोचना होगी.

Bihar voter verification rjd congress Why there ruckus over voter list revision Commission kept list 11 documents blog Avadhesh Kumar | Bihar voter verification: मतदाता सूची पुनरीक्षण पर हंगामा क्यों?, 11 दस्तावेजों की सूची आयोग ने रखी

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Highlightsमुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि पिछले 4 महीने में प्रत्येक विधानसभा, जिला में सर्वदलीय बैठक की गई.ड्राइव बिल्कुल अव्यावहारिक है.पहचान सुनिश्चित करने पर चुनाव आयोग के जोर का सबसे  तीखा विरोध हो रहा है.11 दस्तावेजों की सूची आयोग ने रखी है उसे पढ़ने पर थोड़ी कठिनाई का आभास होता है.

बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण या इंटेंसिव रिवीजन का इलेक्टरल रोल जिस तरह विरोध और हंगामा का विषय बना है वह अनपेक्षित कतई नहीं है. आयोग पर पहला आरोप  है कि वह इतनी जल्दी बड़े प्रदेश के मतदाताओं की सूची कैसे बना लेगा? जब 2002 में मतदाता सूची का बिहार में पुनरीक्षण हुआ था तब 15 जुलाई से 14 अगस्त यानी वर्तमान के अनुसार ही 31 दिन का समय था. क्या 22-23 वर्ष के बाद मतदाता सूची की गहनता से जांच परख नहीं होनी चाहिए? अगर चुनाव आयोग ने इसके लिए आवश्यक जनसंपर्क और आधार कार्य नहीं किया तो आलोचना होगी.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि पिछले 4 महीने में प्रत्येक विधानसभा, जिला में सर्वदलीय बैठक की गई और लगभग 5 हजार ऐसी बैठकों में 28 हजार लोगों ने भाग लिया.  इसलिए यह नहीं कह सकते कि ड्राइव बिल्कुल अव्यावहारिक है.पहचान सुनिश्चित करने पर चुनाव आयोग के जोर का सबसे  तीखा विरोध हो रहा है.

जिन 11 दस्तावेजों की सूची आयोग ने रखी है उसे पढ़ने पर थोड़ी कठिनाई का आभास होता है. पहले कुछ तथ्य पर बात करें. 1 जनवरी, 2003 की सूची में मतदाताओं की संख्या 4 करोड़ 96 लाख थी.  वर्तमान में यह संख्या 7 करोड़ 89 लाख है. तो लगभग 2 करोड़ 93 लाख मतदाताओं को ही पहचान सुनिश्चित करनी होगी.

जिन मतदाताओं के नाम 2003 में हैं उसके अलावा जिनका नाम आया उनको ही जन्मतिथि, जन्म स्थान आदि साबित करने वाले दस्तावेज देने होंगे. उनमें भी माता-पिता का नाम 2003 मतदाता सूची में है तो माता-पिता की पहचान साबित करने के लिए दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं.  केवल 2003 वाली मतदाता सूची के उस हिस्से की कॉपी बीएलओ को देनी होगी जिसमें उनके माता-पिता का नाम लिखा है.

जिनके नाम 2003 में है उन्हें केवल उसकी फोटोकॉपी बीएलओ को फॉर्म जमा करते समय देनी है जिसमें उनका नाम है. क्या 2003 की मतदाता सूची में नाम न होने वाले के पास अगर जन्मतिथि तथा जन्म स्थान साबित करने के प्रमाण नहीं हो तो नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं होगा? इसकी आशंका है.

पर आयोग का कहना है कि दस्तावेजविहीन  व्यक्ति की भारतीय पहचान को सुनिश्चित करने का काम क्षेत्र के एसडीम करेंगे और उनके कागजात का पता लगाने के लिए वालंटियर नियुक्त किए गए हैं. किसी की पहचान साबित करने का बिल्कुल दस्तावेज नहीं मिलता या उसे गली-मोहल्ले में भी कोई पहचानता नहीं है तो ऐसे लोगों का नाम काट दिया जाएगा.

आयोग ने कहा है कि यदि आवश्यक दस्तावेज तथा फोटो उपलब्ध नहीं है तो प्रपत्र भरकर बीएलओ को जमा कर दें. जहां एक भी पात्र नागरिक सूची में स्थान पाने से वंचित नहीं हो वही एक भी अपात्र उसमें शामिल नहीं हो यह भी आयोग, राजनीतिक दलों, प्रशासन और हम सबका दायित्व है.

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