भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्था के बचाव के खोजने होंगे उपाय
By भरत झुनझुनवाला | Published: March 29, 2020 12:27 PM2020-03-29T12:27:37+5:302020-03-29T12:27:37+5:30
कोरोना से निबटने के लिए एक सुझाव यह है कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती कर निवेश और खपत बढ़ाए जाए. हमें संज्ञान में लेना चाहिए कि व्यापारी निवेश तब करता है जब उसे भरोसा होता है कि उत्पादित माल को ऊंचे दाम पर बेच कर वह लाभ कमा सकेगा और कमाए गए लाभ से वह ऋण की भरपाई कर सकेगा.
लॉकडाउन के कारण हमारी अर्थव्यवस्था संकट में आ गई है. हमारे उद्योग और निर्यात भी प्रभावित हो गए हैं. आने वाले समय में इनके प्रभावित रहने की संभावना बन रही है क्योंकि संपूर्ण विश्व लॉकडाउन की चपेट में आ गया है. इस परिस्थिति में व्यापारियों और निर्यातकों द्वारा मांग की जा रही है कि उन्हें सरकार सब्सिडी दे ताकि वे इस संकट से उबर सकें. सब्सिडी के बल पर निर्यातक माल का निर्यात चालू रख सकें. मेरे आकलन में यह दीवार पर सिर फोड़ने जैसा होगा. हां, उन उद्योगों को मदद की जा सकती है जिन्हें लॉकडाउन समाप्त होने के बाद माल देश में ही बेचना है.
कोरोना से निबटने के लिए एक सुझाव यह है कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती कर निवेश और खपत बढ़ाए जाए. हमें संज्ञान में लेना चाहिए कि व्यापारी निवेश तब करता है जब उसे भरोसा होता है कि उत्पादित माल को ऊंचे दाम पर बेच कर वह लाभ कमा सकेगा और कमाए गए लाभ से वह ऋण की भरपाई कर सकेगा. इसी प्रकार आम उपभोक्ता ऋण लेकर खपत तब करता है, जैसे ऋण लेकर कार तब खरीदता है, जब उसे आने वाले समय में अपने रोजगार से होने वाली आय पर भरोसा हो. भविष्य की आय से वह ऋण की अदायगी कर देता है.
यानी ब्याज दर में कटौती तभी प्रभावी होती है जब निवेशकों को भविष्य की मांग और उपभोक्ता को भविष्य की आय पर भरोसा हो. जिस समय संपूर्ण विश्व कोरोना के संकट से जूझ रहा है, अर्थव्यवस्था जर्जर है, मांग का सर्वथा अभाव है, उस समय आप ब्याज दर शून्य भी कर लें तब भी निवेशक और उपभोक्ता ऋण लेकर खपत नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें अपने भविष्य की आय पर भरोसा नहीं है.
एक अन्य सुझाव है कि सरकार अपने खर्च बढ़ाकर मांग पैदा करे. यह सुझाव सही दिशा में है. इस समय कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में निवेश करना जरूरी है जैसे जनता को साफ पानी मिले तो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है और वे कोरोना जैसे वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाते हैं. साफ पानी और हवा के लिए निवेश करना जरूरी है. लेकिन यह कार्य निवेश का कम और वर्तमान व्यवस्था में सुधार का अधिक है.
प्रश्न है कि 21 दिन के लॉकडाउन से हो रही आर्थिक हानि से कैसे उबरा जाए. सरकार को चाहिए कि वर्तमान संकट से उबरने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था की दिशा को बदले. मूल बात यह है कि कोरोना वायरस से हमारी अर्थव्यवस्था के वे हिस्से ज्यादा प्रभावित हुए हैं जिनका विश्व अर्थव्यवस्था से गहरा जुड़ाव है. सरकार के सामने चुनौती यह है कि इस जुड़ाव को सीमित कर दे और उन क्षेत्नों को बढ़ावा दे जिनमें स्थानीय उत्पादन और स्थानीय खपत बढ़ सकती है.