भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सेवाओं के निर्यात के जरिये करें ओमीक्रोन का सामना

By भरत झुनझुनवाला | Published: December 28, 2021 11:22 AM2021-12-28T11:22:56+5:302021-12-28T11:22:56+5:30

हमारे निर्यात भी संकट में हैं क्योंकि इंग्लैंड और नीदरलैंड जैसे देशों में कोविड के कारण लॉकडाउन की स्थिति बन रही है और उनके द्वारा हमारा माल खरीदा नहीं जा रहा है.

Bharat Jhunjhunwala's blog: Challenge of Omicron variant and business worldwide | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सेवाओं के निर्यात के जरिये करें ओमीक्रोन का सामना

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सेवाओं के निर्यात के जरिये करें ओमीक्रोन का सामना

कोविड के ओमीक्रोन वेरिएंट के उत्पन्न होने से एक बार पुन: विश्व अर्थव्यवस्था पर संकट आ पड़ा है. अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर लॉकडाउन की स्थिति बन रही है. ऐसी स्थिति में जो देश दूसरे देशों से कच्चे माल के आयात अथवा उत्पादित माल के निर्यात पर निर्भर रहते हैं, उनका संकट बढ़ जाता है. 

हाल में एक कार निर्माता के एजेंट ने बताया कि अपने देश में गाड़ियों की खरीद की इस समय लगभग 6 से 8 महीने की वेटिंग लिस्ट हो गई है. कारण यह है कि कार के उत्पादन में लगने वाला एक छोटा-सा ‘सेमी कंडक्टर’ जिसका मूल्य मात्र 2000 रुपए है, वह भारत में नहीं बन रहा है और उसका आयात भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि निर्यात करने वाले देशों में कोविड का संकट आ पड़ा है. 

इससे दिखाई पड़ता है कि कोविड के कारण उत्पादित माल का विश्व व्यापार संकट में है. यदि एक भी कच्चा माल उपलब्ध नहीं हुआ तो पूरा उत्पादन ठप हो जाता है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की  पत्रिका ‘फाइनांस एंड डेवलपमेंट’ में एक लेख में कहा गया है कि कोविड संकट के कारण तमाम देश उत्पादित माल वैश्वीकरण से पीछे हटेंगे. 

इसी क्रम में अपने देश में दवाओं के उद्योग पर भी वर्तमान में संकट है क्योंकि चीन से आयातित होने वाले कुछ कच्चे माल उपलब्ध नहीं हैं.

दूसरी तरफ हमारे निर्यात भी संकट में हैं क्योंकि इंग्लैंड और नीदरलैंड जैसे देशों में कोविड के कारण लॉकडाउन की स्थिति बन रही है और उनके द्वारा हमारा माल खरीदा नहीं जा रहा है. इन संकटों की विशेषता यह है कि ये माल अथवा भौतिक वस्तुओं के व्यापार से उत्पन्न हुए हैं जैसे सिलिकॉन चिप या दवा के कच्चे माल, जिनकी ढुलाई एक देश से दूसरे देश में समुद्री जहाज अथवा हवाई जहाज से करनी होती है. 

माल का भौतिक उत्पादन जिस देश में होता है यदि वह देश निर्यात न कर सके तो आयात करने वाले दूसरे देश पर संकट आ पड़ता है. इसलिए कोविड के कारण संपूर्ण अर्थव्यवस्था चरमरा रही है.

तुलना में सेवा क्षेत्र की स्थिति अच्छी है. कारण यह कि सेवाएं जैसे ऑनलाइन ट्यूशन, टेली मेडिसिन, अनुवाद, सिनेमा, संगीत, सॉफ्टवेयर इत्यादि के माल की ढुलाई समुद्री अथवा हवाई जहाज से करने की जरूरत नहीं होती है. इसकी ढुलाई इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है. अत: किसी देश में यदि लॉकडाउन लगा भी है तो कर्मी अपने घर में बैठकर इंटरनेट से इनका उत्पादन और सप्लाई अनवरत कर सकते हैं. इसलिए वर्तमान ओमीक्रोन के संकट को देखते हुए हमें भी सेवा क्षेत्न पर ध्यान देने की जरूरत है.

मैन्युफैक्चरिंग और सेवा में दूसरा मूल अंतर सूर्योदय और सूर्यास्त का है. आज औद्योगिक देशों में सेवा क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत, मैन्युफैक्चरिंग का 9 प्रतिशत और कृषि का मात्न 1 प्रतिशत है. भारत में इस समय सेवा लगभग 60 प्रतिशत, मैन्युफैक्चरिंग लगभग 25 प्रतिशत और कृषि 15 प्रतिशत है. 

दोनों की तुलना करने से स्पष्ट है कि अपने देश में भी सेवा का हिस्सा 60 प्रतिशत से आगे बढ़ेगा तो मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 25 प्रतिशत से घटेगा. हम कह सकते हैं कि सेवा क्षेत्र में सूर्योदय होगा जबकि मैन्युफैक्चरिंग में सूर्यास्त रहेगा.

सेवा और मैन्युफैक्चरिंग का तीसरा अंतर है कि मैन्युफैक्चरिंग में उत्तरोत्तर रोबोट और ऑटोमेटिक मशीनों का उपयोग बढ़ता जा रहा है. इतना सही है कि सेवा क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भी रोजगार में गिरावट आ सकती है. लेकिन सेवा के तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जिनका काम कम्प्यूटर से नहीं हो सकता है जैसे ऑनलाइन ट्यूशन को लें. 

यदि जर्मनी में बैठे किसी युवा को आपको गणित की शिक्षा देनी है तो वह सॉफ्टवेयर प्रोग्राम से कम ही सफल होगी. उसके लिए सामने एक अध्यापक बैठा होना चाहिए जो छात्र अथवा छात्रा के प्रश्नों का उत्तर दे सके और उनकी कठिनाइयों का निवारण कर सके. लगभग एक दशक पूर्व एनिमेटेड फिल्मों का जोर था. कम्प्यूटर से बनाई गई फिल्में कुछ आईं. 

समय क्रम में अब इनका चलन समाप्त होने लगा है और आज एनिमेटेड सिनेमा का उत्पादन कम हो रहा है. इसका अर्थ यह है कि कुछ विशेष सेवा क्षेत्रों को छोड़ दें तो ऑनलाइन ट्यूशन जैसे तमाम स्थान हैं जहां कम्प्यूटर अथवा रोबोट मनुष्य का स्थान नहीं ले सकेंगे. इसलिए सेवा क्षेत्न तुलना में सुरक्षित रहेगा.

चौथा अंतर यह है कि अपने देश में प्राकृतिक संसाधनों का अभाव है. प्रति हेक्टेयर भूमि में हमारी जनसंख्या दूसरे देशों की तुलना में अधिक है. अपने देश में कोयला, बिजली और अन्य खनिज भी दूसरे देशों की तुलना में कम ही पाए जाते हैं. मैन्युफैक्चरिंग में इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिक होता है. ये चार कारण बताते हैं कि आने वाले समय में सेवा क्षेत्र में हमारी स्थिति अच्छी हो सकती है.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's blog: Challenge of Omicron variant and business worldwide

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे