वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत के मुसलमान सर्वश्रेष्ठ
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 15, 2019 07:03 AM2019-10-15T07:03:42+5:302019-10-15T07:03:42+5:30
उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्नी भी कई हुए हैं. केंद्रीय मंत्नी, राज्यों के मंत्नी, सांसदों और विधायकों की संख्या भी बड़ी रही है. एक सिख प्रधानमंत्नी भी बन चुके हैं. यह ठीक है कि मुसलमानों में गरीब और अशिक्षितों की संख्या का अनुपात ज्यादा है. असली प्रश्न यह है कि भारत के अल्पसंख्यकों को हर क्षेत्न में शिखर तक पहुंचने के अवसर हैं या नहीं? अवसर हैं मगर उनमें असुरक्षा का भाव है.
लंदन में बैठे-बैठे मैंने जैसे ही भारतीय टीवी चैनल खोले, मैंने देखा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों को काफी प्रमुखता मिल रही है. मोदी ने कहा कि विरोधियों में दम हो तो वे धारा 370 और 35ए की वापसी का वादा करें. जाहिर है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करके कांग्रेस ने अपनी फजीहत करवा ली है. लेकिन मोहन भागवत का बयान अपने आप में आश्चर्यजनक है. भागवत ने कहा कि मुसलमान यानी अल्पसंख्यक भारत में जितने खुश हैं, उतने दुनिया में कहीं नहीं हैं.
बहुत हद तक यह बात सही है. इसकी कुछ सीमाएं भी हैं. वे चाहे पूंजीवादी देश हों या साम्यवादी देश हों, वे चाहे गरीब देश हों या अमीर देश हों, उनमें रहनेवाले अल्पसंख्यक अक्सर डरे हुए, कमजोर, गरीब और पीड़ित ही दिखाई पड़ते रहे हैं. जैसे चीन में उइगर मुसलमान, कम्युनिस्ट रूस में मध्य एशिया के पांचों मुस्लिम गणतंत्नों के नागरिक, अमेरिका में नीग्रो, यूरोपीय देशों के एशियाई मूल के नागरिक, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के मुसलमान, पाकिस्तान के हिंदू आदि! लेकिन भारत के तीन मुसलमान राष्ट्रपति हो चुके हैं.
उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्नी भी कई हुए हैं. केंद्रीय मंत्नी, राज्यों के मंत्नी, सांसदों और विधायकों की संख्या भी बड़ी रही है. एक सिख प्रधानमंत्नी भी बन चुके हैं. यह ठीक है कि मुसलमानों में गरीब और अशिक्षितों की संख्या का अनुपात ज्यादा है. असली प्रश्न यह है कि भारत के अल्पसंख्यकों को हर क्षेत्न में शिखर तक पहुंचने के अवसर हैं या नहीं? अवसर हैं मगर उनमें असुरक्षा का भाव है.
असुरक्षा का कारण न तो सरकार है और न ही व्यापक समाज है बल्किवे सिरफिरे लोग हैं, जो गोरक्षा के नाम पर हमला कर देते हैं. उनकी निंदा मोदी, भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी, कम्युनिस्ट, आरएसएस सबने एक स्वर से की है.
भारत के मुसलमानों को मैंने दुबई के अपने एक भाषण में ‘दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मुसलमान’ कहा था, क्योंकि भारत के संस्कार उनकी रग-रग में दौड़ रहे होते हैं. जिन्हें मैं भारतीय संस्कार कहता हूं, उन्हें ही मोहन भागवत हिंदू संस्कार कहते हैं.