ब्लॉग: प्याज के निर्यात का लाभ किसानों को या नुकसान ग्राहकों का !

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: April 29, 2024 10:31 AM2024-04-29T10:31:21+5:302024-04-29T10:33:12+5:30

कृषि मंत्रालय के अनुसार 2023-24 में प्याज की पैदावार करीब 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल 302.08 लाख टन थी। इसका कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में प्याज का उत्पादन कम होना है।

Benefit of export of onion to farmers or loss to customers | ब्लॉग: प्याज के निर्यात का लाभ किसानों को या नुकसान ग्राहकों का !

फाइल फोटो

Highlightsपिछले कई महीनों से प्याज के निर्यात पर लगी पाबंदी केंद्र सरकार ने शनिवार को हटाईताजा फैसले में सरकार ने महाराष्ट्र की मुख्य फसल को छह देशों में निर्यात की अनुमति दीसरकार ने आठ दिसंबर 2023 को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था

पिछले कई महीनों से प्याज के निर्यात पर लगी पाबंदी केंद्र सरकार ने शनिवार को हटा ली। इससे पहले सरकार ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों के लिए विशेष रूप से उगाए गए 2000 टन सफेद प्याज के निर्यात को भी अनुमति दी थी। ताजा फैसले में सरकार ने महाराष्ट्र की मुख्य फसल को छह देशों- बांग्लादेश, यूएई, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका में 99,150 टन निर्यात की अनुमति दी है. इससे पहले, सरकार ने आठ दिसंबर 2023 को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

उस समय सरकार का तर्क देश में प्याज की कीमतों को नियंत्रित रखने का था, जिसके पीछे आधार पिछले साल की तुलना में 2023-24 में खरीफ और रबी की पैदावार कम होने के अनुमान के चलते प्याज की घरेलू उपलब्धता को सुनिश्चित करना था। कृषि मंत्रालय के अनुसार 2023-24 में प्याज की पैदावार करीब 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल 302.08 लाख टन थी। इसका कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में प्याज का उत्पादन कम होना है। हालांकि सरकारी दावों के अनुसार प्याज भंडारण तकनीक को बेहतर बनाया गया है, जिससे भंडारण क्षमता 1,200 टन से बढ़ाकर 5,000 टन हो रही है। 

सरकार को यह भी विश्वास है कि कोल्ड स्टोरेज से प्याज के भंडारण में होने वाला नुकसान 10 प्रतिशत तक कम हुआ है. सर्वविदित है कि प्याज के निर्यात का संबंध घरेलू बाजार की कीमतों से है. चूंकि 31 मार्च को निर्यात प्रतिबंध की सीमा समाप्त हो गई थी, इसलिए सरकार ने चुनाव के बीच बढ़ती कीमतों से होने वाली आलोचना का कोई खतरा मोल न लेते हुए प्रतिबंध अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया। अब चुनाव छठे चरण में महाराष्ट्र के नासिक और आस-पास के इलाके में होने हैं, जहां प्याज की सबसे बड़ी मंडी है। उस इलाके के किसानों के लिए प्याज के निर्यात का फैसला खुशी देने वाला हो सकता है। हालांकि सरकारी निर्णय के बाद बाजार किस तरह करवट बदलेगा और उसका असर ग्राहकों पर कितना पड़ेगा, यह समय ही बताएगा। 

वैसे आंकड़े यह भी बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष में प्रतिबंध लगाने से पहले प्याज के निर्यात में बढ़ोत्तरी हुई। ‘एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी’ के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-नवंबर अवधि में 16.26 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ, जो पिछली समान अवधि में 15.19 लाख टन था। इससे साबित होता है कि वित्त वर्ष में नवंबर तक प्याज के निर्यात में करीब 7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है।

इन्हीं आंकड़ों के मद्देनजर प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला लिया गया था, जो किसानों को रास नहीं आ रहा था. अब नया निर्णय किसानों या ग्राहकों में से किसको पसंद आएगा, यह आने वाले दिनों में प्याज के दामों से तय हो जाएगा। वैसे तब तक चुनाव का माहौल भी ढल जाएगा। मगर प्याज से किसी की आंखों में आंसू और किसी की आंखों में खुशी पर सबकी नजर जरूर रहेगी।

Web Title: Benefit of export of onion to farmers or loss to customers

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