ब्लॉग: बदले हुए भारत का प्रतीक बनी अयोध्या
By अवधेश कुमार | Published: January 23, 2024 10:31 AM2024-01-23T10:31:15+5:302024-01-23T10:34:35+5:30
भारत के सामूहिक मानस का यही बदलाव आज समझने की आवश्यकता है। अगर आप थोड़ी सूक्ष्मता से विचार करेंगे तो ऐसा लगेगा कि संपूर्ण अयोध्या भारतमय है, राममय है और संपूर्ण भारत इस समय अयोध्यामय और राममय हो गया है। अयोध्या के भारतमय, राममय और भारत के राममय होने के गहरे निहितार्थों को भी समझना आवश्यक है।
मैं पिछले कई दिनों से अयोध्या में हूं। पूरे अयोध्या जिला को पुलिस ने सील कर दिया है। जिन्हें निमंत्रण है, जिनको पास मिला है, वहीं गाड़ियां 21-22-23 जनवरी को अयोध्या आ सकती हैं। बावजूद हजारों की संख्या में सभी उम्र के लोग अयोध्या पहुंचे हुए हैं। मुख्य सड़कें लोगों से भरी हुई हैं। लोग पैदल चल कर भी अयोध्या पहुंचे हैं। यहां भारी सुरक्षा सख्ती है। लोगों को असुविधाएं हैं। लोग सड़कों पर खड़े हैं लेकिन ज्यादातर के चेहरे पर प्रसन्नता का भाव है।
ऐसा वातावरण इसके पहले शायद ही किसी ने देखा होगा। आम तौर पर जब सुरक्षा सख्त होती है तो लोगों की आवाज उसके विरुद्ध निकलती है लेकिन अब किसी से पूछिए तो कहेंगे कि हमें कोई परेशानी नहीं है। दर्शन आज नहीं तो कल हो जाएगा। इसका अर्थ क्या है?
भारत के सामूहिक मानस का यही बदलाव आज समझने की आवश्यकता है। अगर आप थोड़ी सूक्ष्मता से विचार करेंगे तो ऐसा लगेगा कि संपूर्ण अयोध्या भारतमय है, राममय है और संपूर्ण भारत इस समय अयोध्यामय और राममय हो गया है। अयोध्या के भारतमय, राममय और भारत के राममय होने के गहरे निहितार्थों को भी समझना आवश्यक है। किसी भी देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की धाराएं इसी तरह प्रभावी होती हैं। वास्तव में यह भारत में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक क्रांति की लहर जैसी है।
निश्चित रूप से अगर देश की जनता इतनी बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा अन्य नेताओं पर विश्वास कर बाहर निकली है तो इन नेताओं के साथ पार्टी नेताओं और इस समय उनके पीछे खड़े संगठनों का भी उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। उन सबको इस बदलाव को गहराई से महसूस करते हुए इसे सकारात्मक दिशा देकर आगे पूर्णता तक ले जाने के लिए कठोर परिश्रम करना होगा। इस तरह का आंदोलन या क्रांतियां बगैर परिश्रम और बलिदान के पूर्णता की ओर नहीं पहुंचतीं।
लोगों का भी दायित्व है कि वो इसे समझते हुए अभी लंबे समय तक इस दिशा में परिश्रम करने और भारत को उस स्थान पर ले जाने के लिए सतत परिश्रम करें जहां हमारी पहचान अयोध्या जैसे स्थानों से तथा श्रीराम जैसे व्यक्तित्व से हो ताकि संपूर्ण विश्व इससे प्रेरणा ले सके और हमें सम्मान की दृष्टि से देखे। भारत और यहां के लोगों का गौरवबोध और हर दृष्टि से सशक्त व संपन्न होने का रास्ता यहीं से निकलता है।