अवधेश कुमार का ब्लॉगः यासीन मलिक की सजा से कश्मीर में नए दौर की शुरुआत

By अवधेश कुमार | Published: May 28, 2022 09:32 AM2022-05-28T09:32:12+5:302022-05-28T09:32:20+5:30

सरकारी वकील ने उसके लिए फांसी की सजा की मांग की थी। यासीन पर आतंकवादी हिंसा, हवाला, हत्या, अपहरण सहित लगभग 60 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं।

Awadhesh Kumar blog Yasin Malik sentence marks the beginning of a new era in Kashmir | अवधेश कुमार का ब्लॉगः यासीन मलिक की सजा से कश्मीर में नए दौर की शुरुआत

अवधेश कुमार का ब्लॉगः यासीन मलिक की सजा से कश्मीर में नए दौर की शुरुआत

यासीन मलिक को न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के पहले ही जिस तरह पाकिस्तान में विरोध शुरू हो गया और वहां प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री से लेकर बड़े-बड़े नेताओं के जैसे वक्तव्य आए, उनसे अंदाजा लग जाना चाहिए कि उसकी शक्ति का स्रोत कहां था. भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने तो भारत के न्यायालय को ही कंगारू न्यायालय कह दिया और सबके लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया। भारत के न्यायालय पुख्ता तथ्यों और साक्ष्यों पर फैसला सुनाते हैं. विशेष एनआईए न्यायालय ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की जिन विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई, उनमें उसका अपराध पूरी तरह साबित होता है। मलिक को आतंकवादी गतिविधियों के लिए उम्रकैद और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके साथ 10 लाख 75 हजार रु. का जुर्माना लगाया गया। न्यायालय ने जब 19 मई को यासीन को दोषी करार दिया, तभी लगा था कि उसके विरुद्ध कठोर फैसला आने वाला है। सरकारी वकील ने उसके लिए फांसी की सजा की मांग की थी। यासीन पर आतंकवादी हिंसा, हवाला, हत्या, अपहरण सहित लगभग 60 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। ये सारे मामले केवल नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद ही दर्ज नहीं हुए हैं। हां, पहले से दर्ज मामलों में कार्रवाई नहीं हुई यह सच है।

पहले यह देखें कि उस पर किन-किन धाराओं के तहत अपराध साबित हुए हैं। गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम के तहत उस पर पांच धाराओं के तहत अपराध साबित हुए हैं। ये हैं- धारा 3 यानी अवैध संगठन बनाना, धारा 15 यानी आतंकवादी कृत्य को अंजाम देना, धारा 17 और 18 आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना और साजिश रचना, धारा 20 आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना और धारा 38 एवं 40। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की तहत धारा 120 बी यानी आपराधिक साजिश रचने, धारा 121 यानी राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध उन्माद फैलाने और धारा 121 ए यानी धारा 121 के अपराध की साजिश भी साबित हुआ। न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा है कि यासीन मलिक का उद्देश्य न सिर्फ भारत के मूल आधार पर प्रहार करना था, बल्कि जम्मू-कश्मीर को भारत से जबरदस्ती अलग करना था। अपराध इसलिए और गंभीर हो जाता है क्योंकि यह विदेशी ताकतों और नामी आतंकवादियों की सहायता से किया गया था। यासीन की गिरफ्तारी के बाद ही अभियान चला था कि 1994 में उसने हथियार छोड़ दिया और तब से किसी भी आतंकवादी संगठन को न सहायता दी और न किसी हिंसा में भाग लिया। न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि उनकी राय में मलिक में कोई सुधार नहीं हुआ था। हो सकता है कि अपराधी ने 1994 में बंदूक छोड़ दी हो लेकिन उसने 1994 से पहले की गई हिंसा के लिए कभी दुख प्रकट नहीं किया था। फैसले के अनुसार हिंसा का रास्ता छोड़ने पर मलिक को सरकार ने सुधार का मौका देने के साथ ही बातचीत में शामिल करने की कोशिश की, पर वह हिंसा से बाज नहीं आया।

कुल मिलाकर यासीन की सजा के साथ जम्मू-कश्मीर में एक नए दौर की शुरुआत हो रही है और यह दौर 1990 के चक्र का उल्टा घूमना है। तब पाकिस्तान और उसके सहयोग और समर्थन से हिंसा करने वाले आतंकवादी अलगाववादियों का वर्चस्व था और आज कानून के शासन की व्याप्ति है। इसका सीधा संदेश है कि आप चाहे जितने बड़े हों, आपने भारत के विरुद्ध षड्यंत्र किया, आतंकवादी अलगाववादी गतिविधियां चलाईं तो भारत का कानून गला पकड़ेगा और आपका बचना संभव नहीं होगा। निश्चय ही आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की शांति, स्थिरता और भारत के साथ उसके अखंड जुड़ाव को सशक्त करने में ये सजाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

Web Title: Awadhesh Kumar blog Yasin Malik sentence marks the beginning of a new era in Kashmir

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