अवधेश कुमार का ब्लॉग: संबंधों को भावनात्मक आधार देने की रणनीति
By अवधेश कुमार | Published: February 25, 2020 05:51 AM2020-02-25T05:51:00+5:302020-02-25T05:51:00+5:30
देश अमेरिका, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ ही दुनिया के अनेक प्रमुख देशों के लोग और राजनेता उन्हें सुन रहे हैं. इसलिए उनके भाषण का मुख्य फोकस अवश्य भारत और अमेरिका था, लेकिन उसका आयाम विस्तृत था.
निस्संदेह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जीवन का यह अभूतपूर्व दिन होगा. इसके पूर्व किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के विदेशी दौरों में इतना बड़ा जनसमूह कभी नहीं उमड़ा और न ही एक साथ इतने रंगारंग कार्यक्रम कभी देखे-सुने गए. निश्चय ही डोनाल्ड ट्रम्प इससे अभिभूत हुए होंगे. उनके चेहरे और हाव-भाव से ऐसा लग भी रहा था. जब अमेरिकी राष्ट्रपति अपना भाषण दे रहे थे तो उन्हें पता था कि वे केवल भारत के लोगों को ही संबोधित नहीं कर रहे हैं.
उनके देश अमेरिका, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ ही दुनिया के अनेक प्रमुख देशों के लोग और राजनेता उन्हें सुन रहे हैं. इसलिए उनके भाषण का मुख्य फोकस अवश्य भारत और अमेरिका था, लेकिन उसका आयाम विस्तृत था. इनमें भारत और अमेरिका के बहुपक्षीय संबंधों की चर्चा थी, प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा थी, अपने नेतृत्व में अमेरिका में किए गए कार्यो का विवरण था तो अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, अर्थव्यवस्था व संपूर्ण दक्षिण एशिया में शांति और सद्भाव की कामना भी थी.
ट्रम्प को पता था कि ऐसा अवसर उन्हें बार-बार नहीं मिलने वाला. इसलिए वे पूरी तैयारी से आए थे. जैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति है, वह किसी अवसर को प्रभावी और यादगार इवेंट में परिणत कर उसका अधिकतम उपयोग करते हैं. अगर पिछले वर्ष 22 सितंबर को ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में 50 हजार से ज्यादा उत्साही समूह को एकत्रित कर उनके रणनीतिकारों ने अमेरिकी नेताओं और वहां के मीडिया को चौंकाया था तो अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में उन्होंने निश्चय ही डोनाल्ड ट्रम्प का जन स्वागत एवं भाषण करा कर अमेरिकियों को अपनी विशिष्ट कूटनीति का आभास कराया है.
सामान्यतया माना जाता है कि ऐसे कार्यक्रमों में नेता जो कुछ बोलते हैं उसका मुख्य उद्देश्य एक दूसरे को प्रसन्न करने तथा परस्पर देशों की जनता को आकर्षित करने पर केंद्रित होता है. बावजूद जो कुछ ट्रम्प ने वहां से कहा उसमें बहुत कुछ ऐसा है जिनसे भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों के साथ विश्व पटल पर दोनों की भूमिका के बारे में एक स्पष्ट आकलन किया जा सकता है.
ट्रम्प के भाषण से साफ है कि अमेरिका की दूरगामी नीति में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. अंतर्राष्ट्रीय सामरिक और आर्थिक नीति निर्धारित करते समय अमेरिका भारत का विचार अवश्य करता है. इसमें भारत की दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, लोकतंत्न, आर्थिक, वैज्ञानिक एवं रक्षा क्षेत्न में इसकी उन्नति, स्वयं अमेरिका में 40 लाख भारतीय मूल के निवासियों की गतिविधियां तथा भारत के राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका का सम्मिलित योगदान है