अवधेश कुमार का ब्लॉग: करतारपुर के पीछे पाकिस्तानी रणनीति को समझें
By अवधेश कुमार | Published: November 8, 2019 06:39 AM2019-11-08T06:39:40+5:302019-11-08T06:39:40+5:30
पाकिस्तान के वीडियो में जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उसके सैन्य सलाहकार शाहबेग सिंह समेत तीन सिख अलगाववादी नेता नजर आ रहे हैं. ये सब खालिस्तान समर्थक आतंकवाद के प्रमुख चेहरे थे जो जून 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मारे गए थे.
गुरुनानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व पर करतारपुर गलियारा खोले जाने से ज्यादा प्रसन्नता की बात सिखों और हिंदुओं के लिए कुछ नहीं हो सकती. लेकिन इस अवसर पर पाकिस्तान ने जो वीडियो जारी किया है उससे उसकी कुटिल सोच फिर उजागर हुई है. एक वीडियो भारत ने भी जारी किया है. दोनों में अंतर देखिए.
पाकिस्तान के वीडियो में जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उसके सैन्य सलाहकार शाहबेग सिंह समेत तीन सिख अलगाववादी नेता नजर आ रहे हैं. ये सब खालिस्तान समर्थक आतंकवाद के प्रमुख चेहरे थे जो जून 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मारे गए थे. ऐसा वीडियो जारी करने का उद्देश्य क्या हो सकता है, यह समझना आसान है. वीडियो में प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस का पोस्टर भी देखा जा सकता है. यह संगठन पंजाब को भारत से अलग कराने के नाम पर जनमत संग्रह 2020 के लिए अभियान चला रहा है.
भारत के वीडियो में गुरुनानक देवजी की महानता तथा पाकिस्तान स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा का महत्व प्रतिपादित करते हुए बताया गया है कि नया गलियारा श्रद्धालुओं के लिए लंबी दूरी एकदम कम कर देगा एवं वे दर्शन के लिए आसानी से जा सकेंगे. पाकिस्तान का इरादा नेक होता तो वह भी इसी तरह का वीडियो जारी कर सिख और हिंदू समुदाय के प्रति अपनी सदाशयता दिखाता. पंजाब के मुख्यमंत्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिल्कुल साफ कहा है कि वीडियो गलियारे को खोलने में पाक के गुप्त एजेंडे को दिखाता है जिससे हमें सतर्क रहना है.
ऐसे महान अवसर का ऐतिहासिक उपयोग हो सकता था लेकिन जब सोच ही कुटिल हो तो इसकी अपेक्षा करना बेमानी है. गुरुनानक देवजी का 550 वां प्रकाश पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा. भारत ने पाकिस्तान को पहले जत्थे में शामिल होने वाले 500 से अधिक श्रद्धालुओं की सूची भी दे दी है.
भारत से करतारपुर जाने वाले पहले जत्थे में शामिल हस्तियां वहां श्रद्धालु के तौर पर ही जाएंगी. पाकिस्तान ने पूर्व प्रधानमंत्नी डॉ. मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने जत्थे में जाने का निश्चय किया है. उनके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय मंत्नी हरदीप सिंह पुरी, हरसिमरत कौर बादल और 150 सांसद शामिल हैं. पाकिस्तान ने अनुरोध किया था कि पहला जत्था उद्घाटन समारोह का भी हिस्सा बने. भारत ने स्वीकार किया लेकिन अपने तरीके से. इस समय भारत किसी तरह द्विपक्षीय राजनीतिक मेल-मिलाप का संकेत नहीं दे सकता. सो पूरा कार्यक्रम धार्मिक महत्व तक सीमित है.
करतारपुर गलियारा खुलने के पूर्व ही खुफिया एजेंसियों को भारत से सटे पाकिस्तानी पंजाब के करतारपुर साहिब वाले नारोवाल जिले में भी आतंकवादी गतिविधियों के बारे में पुष्ट सूचनाएं मिली हैं. जो सूचनाएं खुफिया एजेंसियों ने सार्वजनिक की हैं उनके अनुसार आतंकवादी शिविर पाकिस्तानी पंजाब के मुरीदके, शाकरगढ़ और नारोवाल में देखे गए हैं. यहां के शिविरों में प्रशिक्षण लेने वालों में महिलाएं एवं पुरुष दोनों शामिल हैं.
आतंकवाद के अलावा पाकिस्तान इसके द्वारा कूटनीतिक लक्ष्य भी साधना चाहता था. पाकिस्तान के विदेश मंत्नी शाह महमूद कुरैशी ने इसे इमरान खान की ऐसी गुगली बताया जिसमें भारत फंसने को मजबूर हो गया. भारत की ओर से पूछा भी गया था कि पाकिस्तान साफ करे कि यह उसकी गुगली है या धार्मिक सदाशयता? पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इसे शतरंज की चाल बताया था. बातचीत में उसने बार-बार भावनाओं पर कुठाराघात भी किया.
पाकिस्तान शुल्क, श्रद्धालुओं की संख्या और वीजा, पासपोर्ट को लेकर शर्ते रखता रहा. करीब 1400 रुपये शुल्क लेने पर वह अड़ा रहा. हालांकि इसकी आलोचना करने पर उद्घाटन के दिन के लिए शुल्क की छूट दे दी. पहले इमरान खान ने कहा था कि श्रद्धालुओं के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी, केवल पहचान पत्न चाहिए. किंतु अब सेना ने कहा है कि पासपोर्ट अनिवार्य होगा.
भारत ने अनुरोध किया था कि भारतीय टीम को उद्घाटन से पहले तैयारियों, प्रोटोकॉल और जाने वाली महत्वपूर्ण हस्तियों की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए जाने की इजाजत दी जाए. पाकिस्तान ने इस मांग को खारिज कर दिया तथा सिर्फ भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को वहां जाने की इजाजत दी.
तो पाकिस्तान का इरादा छिपा नहीं है. हमारे लिए यह हर्ष का विषय है कि हमारे श्रद्धालु आसानी से दर्शन करने जा सकेंगे. किंतु वहां भारत विरोधी भाषण हो सकते हैं, खालिस्तान समर्थक साहित्य आदि बांटे जाएंगे. इस रास्ते खालिस्तानी आतंकियों को प्रवेश कराने की कोशिश होगी. इससे हमारे लोगों को ही सतर्क रहना होगा. एक-एक व्यक्ति पर नजर रखना तो संभव नहीं, पर जितना संभव हो, किसी श्रद्धालु को परेशानी में न डालते हुए भी हमें सुरक्षा की सख्ती रखनी होगी.