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अवधेश कुमार का ब्लॉग: समग्र और संतुलित बजट की संभावना 

By अवधेश कुमार | Updated: July 4, 2019 13:35 IST

मोदी और उनकी पार्टी ने 2024 तथा उसके पूर्व आजादी के 75वें वर्ष यानी 2022 तक के लिए विस्तृत सामाजिक-आर्थिक एवं सामरिक लक्ष्य तय किए हैं. जाहिर है, बजट उन सबके समुच्चय का आईना होना चाहिए.

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आम बजट का दस्तावेज छप चुका है तथा वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण का बजट भाषण भी तैयार है. 5 जुलाई को लोकसभा में उसका पढ़ा जाना शेष है. इसलिए अब हमारे पास केवल अनुमान लगाने का विकल्प है कि अर्थव्यवस्था की वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए बजट की दिशा क्या हो सकती है. 

वस्तुत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी विजय को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर नीति आयोग, वित्त मंत्नालय, वाणिज्य मंत्नालय आदि के विश्वस्त अधिकारियों को अपने संकल्प पत्न यानी चुनावी घोषणा पत्न को केंद्र में रखकर बजट के काम में लगा दिया था. तत्कालीन वित्त मंत्नी अरुण जेटली के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उनको स्वयं इसकी पहल करनी पड़ी थी. 

शपथ ग्रहण के ठीक बाद उन्होंने सचिवों की लंबी बैठक ली. उसके बाद नीति आयोग की बैठक हुई. इन सबके बाद अर्थ एवं वित्तीय मामलों से जुड़े अधिकारियों के साथ उन्होंने फिर अलग से बैठक की और सबमें निर्मला सीतारमण उपस्थित रहीं. मोदी और उनकी पार्टी ने 2024 तथा उसके पूर्व आजादी के 75वें वर्ष यानी 2022 तक के लिए विस्तृत सामाजिक-आर्थिक एवं सामरिक लक्ष्य तय किए हैं. जाहिर है, बजट उन सबके समुच्चय का आईना होना चाहिए.  

वैसे भी चुनाव पूर्व पेश अंतरिम बजट कहने के लिए अंतरिम था, वह व्यवहार में पूर्ण बजट ही था. उससे भी बजट की दिशा एवं आधार का पता चलता ही है. इसमें 2030 तक का भारत का लक्ष्य निर्धारित कर उसको पूरा करने के लिए 10 आयामों की घोषणा की गई थी. इसके अनुरूप ही भाजपा ने अपने संकल्प पत्न में 2024 तक भारत को सामाजिक-आर्थिक एवं सामरिक दृष्टि से विश्व की एक सशक्त शक्ति बनाने का लक्ष्य घोषित किया है. 

इसमें 2022 तक के 75 कदमों में सबको पक्का मकान, शौचालय, बिजली कनेक्शन, शुद्ध पेयजल, किसानों की आय दोगुना करने, सभी रुकी हुई सिंचाई परियोजनाएं पूरी करने के साथ 2024 तक सौर ऊर्जा का व्यापक विस्तार, 100 हवाई अड्डों को सक्रिय करने, ग्रामीण आबादी को उनके निकट मानक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं वेलनेस सेंटरों की स्थापना एवं उन्नयन, शिक्षा तंत्न में बदलाव, डिजिटलीकरण, कौशल विकास, जल यातायात को बढ़ाने आदि वायदे 

कुल मिलाकर यह एक ऐसा समग्र बजट होगा जिसमें आम आदमी से लेकर किसानों, मजदूरों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने, कृषि सहित गांवों की आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने, सामाजिक कल्याण के लिए आवश्यक प्रावधानों तथा आर्थिक विकास के लिए सभी संभव उपायों को अपनाते हुए  सामरिक दृष्टि से भारत के बढ़ते हुए वैश्विक कद के अनुरूप तैयारी का आधार निहित होगा.

टॅग्स :संसद बजट सत्रनिर्मला सीतारमण
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