ब्लॉग : परीक्षाओं में गड़बड़ी की जड़ों पर प्रहार से पैदा होगा विश्वास
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 24, 2024 09:49 AM2024-06-24T09:49:01+5:302024-06-24T09:49:59+5:30
केंद्र सरकार ने त्रुटि रहित परीक्षाएं कराने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया, जो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर ढांचागत सुधार, परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल बेहतर बनाने के लिए सरकार को अपने सुझाव देगी.
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट(नीट) की अनियमितताओं के सामने आने के बाद से लगातार प्रवेश परीक्षाओं के स्थगित होने का सिलसिला चल पड़ा है. शनिवार को मेडिकल-पीजी के लिए होने वाली परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया.
वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने त्रुटि रहित परीक्षाएं कराने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया, जो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर ढांचागत सुधार, परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल बेहतर बनाने के लिए सरकार को अपने सुझाव देगी.
सात सदस्यीय समिति का नेतृत्व इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन करेंगे, जबकि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.जे. राव और एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया जैसे विशेषज्ञ सदस्य होंगे. वह समस्त बिंदुओं का अध्ययन करने के बाद दो माह के भीतर शिक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
सुधार के प्रयास के विपरीत बिहार और कुछ अन्य राज्यों से ‘नीट’ में हुई गड़बड़ियों की परत-दर-परत खुल रही है. बिहार में अनुराग यादव नामक छात्र ने ‘नीट पेपर लीक’ की बात कुबूल की है.
उसने पटना पुलिस को बयान दिया है कि उसे कोटा से पटना बुलाया गया और परीक्षा से एक रात पहले पेपर लीक माफिया के घर पर छोड़ा, जहां उसे ‘नीट’ के पेपर के सभी सवालों के उत्तरों को रटवाया गया. अगले दिन परीक्षा में आए 100 प्रतिशत सवाल वही थे, जो रात में रटाए गए थे.
यह घटना साफ करती है कि परीक्षा के आयोजन में व्यवस्था संबंधी समस्याओं से अधिक ‘पेपर लीक माफिया’ की उसके तंत्र में घुसपैठ है. संभव है कि इस परीक्षा मात्र की जांच से अनेक माफिया तक पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पहुंच जाए, लेकिन प्रहार तो जड़ों पर आवश्यक होगा.
ऐसा माना जाता है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अनेक प्रकार के शिक्षा माफिया काम करते हैं. उनका जाल देशभर में फैला हुआ है. वे परीक्षाओं में पास कराने से लेकर महाविद्यालयों में प्रवेश कराने तक का ठेका लेते हैं. इसलिए उनसे निपटना और उनकी जड़ों को समूल नष्ट करना सबसे पहला लक्ष्य होना चाहिए. चूंकि ‘नीट’ के मामले में अनेक विद्यार्थियों को पूरे अंक मिले और खबर फैलते ही परीक्षा परिणामों पर प्रश्न उठने लगे थे, इसलिए सरकार को जांच के लिए मजबूर होना पड़ा.
अब नौबत ऐसी है कि एक के बाद एक परीक्षा रद्द की जा रही है. हालांकि शक के दायरे में अनेक परीक्षाएं वर्तमान में भी हैं और अतीत में भी कई प्रतियोगी परीक्षाएं आ चुकी हैं. इसलिए समिति के सुझावों के साथ ही यह भी जानने की कोशिश की जाए कि गड़बड़ी करने वालों की जड़ें कहां और कितनी गहरी हैं. यदि उन्हें नष्ट कर दिया गया तो भविष्य की चिंताएं समाप्त हो जाएंगी.
अन्यथा सरकारी तंत्र को बेहतर बनाने की कोशिश तो जारी रहेगी और उसमें सेंध लगाने वालों की कमी भी नहीं होगी. आए दिन नतीजा विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ के रूप में ही सामने आएगा. बस कभी एक परीक्षा की बात होगी तो कभी दूसरी परीक्षा का नाम सामने आएगा.