अटलजी को यह कैसी श्रद्धांजलि?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 20, 2018 12:30 AM2018-08-20T00:30:50+5:302018-08-20T00:30:50+5:30
स्वामी अग्निवेश जब अटलजी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने भाजपा कार्यालय गए तो उनके साथ कुछ लोगों ने धक्का-मुक्की की। ये लोग कौन हो सकते हैं?
वेदप्रताप वैदिक
पिछले तीन दिनों में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए। ये घटनाएं ऐसी हैं, जो अटलजी के स्वभाव के विपरीत हैं। यदि अटलजी आज हमारे बीच होते और स्वस्थ होते तो वे चुप नहीं रहते। बोलते और अपनी शैली में ऐसा बोलते कि संघ और भाजपा की प्रतिष्ठा बच जाती बल्किबढ़ जाती।
पहली घटना। स्वामी अग्निवेश जब अटलजी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने भाजपा कार्यालय गए तो उनके साथ कुछ लोगों ने धक्का-मुक्की की। ये लोग कौन हो सकते हैं? क्या ये रास्ता-चलते लोग हैं? नहीं, ये सक्रिय कार्यकर्ता हैं। भाजपा के हैं। उन्होंने एक संन्यासी पर हाथ उठाया। उन्हें देशद्रोही कहा। उन्हें नक्सलवादी कहा। उन नौजवानों ने अग्निवेशजी की उम्र (79) का भी लिहाज नहीं किया। अटलजी भी अग्निवेशजी की कुछ बातों से सहमत नहीं होते थे। मैं भी नहीं होता हूं। अटलजी की और मेरी भी विदेश नीति के कुछ मुद्दों पर तीखी असहमति हो जाती थी। मैं लिख भी देता था, लेकिन वे घर बुलाकर मिठाई खिलाकर मुझसे बहस करते थे।
उन्होंने कभी भी किसी अप्रिय शब्द का प्रयोग नहीं किया। लेकिन अटलजी की अंतिम यात्ना के समय किसी संन्यासी के साथ ऐसा अभद्र व्यवहार करनेवालों की यदि संघ और भाजपा के नेता भर्त्सना नहीं करेंगे तो क्या यह अटलजी को सच्ची श्रद्धांजलि मानी जाएगी?
दूसरी घटना हुई बिहार में मोतिहारी के गांधी विश्वविद्यालय में। एक मूढ़मति प्रोफेसर ने इंटरनेट पर अटलजी पर अशोभनीय टिप्पणी कर दी। उस प्रोफेसर को कुछ कार्यकर्ताओं ने इतनी बुरी तरह से मारा कि वह अस्पताल में पड़ा हुआ है। जाहिर है कि उस प्रोफेसर की टिप्पणी नितांत मूर्खतापूर्ण थी लेकिन अटलजी इसे सुनते तो वे ठहाका लगाकर कहते कि वाह, क्या बात है? उसे तो नोबल प्राइज दिलवाइए।