अभय कुमार दुबे का ब्लॉगः बदलती हवा में एक नए नेतृत्व का उभार

By अभय कुमार दुबे | Published: December 13, 2018 01:18 PM2018-12-13T13:18:04+5:302018-12-13T13:18:04+5:30

राहुल गांधी ने एक और क्षमता का प्रदर्शन किया है. अपने क्षेत्रीय नेताओं पर भरोसा करके उन्होंने दिखा दिया है कि वे अपने से पहले के कांग्रेस नेताओं से कुछ अलग हैं.  राहुल गांधी ने बूथ स्तर पर पहले से कहीं ज्यादा बेहतरीन बंदोबस्त करके यह दिखाया कि कांग्रेस इस मामले में भाजपा से कम नहीं है.

assembly election results: leadership is changing | अभय कुमार दुबे का ब्लॉगः बदलती हवा में एक नए नेतृत्व का उभार

अभय कुमार दुबे का ब्लॉगः बदलती हवा में एक नए नेतृत्व का उभार

पांच साल बाद इतिहास ने अपनी वापसी की है. दिसंबर, 2013 में प्रधानमंत्री पद के तत्कालीन भाजपा-उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर एकाउंट नरेंद्रमोदी इन के जरिए ट्विट किया था : ‘पांच राज्यों के नतीजे आ गए हैं और यह साफ दिख रहा है कि हवा किस ओर बह रही है. यह कांग्रेस मुक्त भारत की शुरुआत है : नरेंद्र मोदी.’  ट्विट अंग्रेजी में था. यह उसका हिंदी अनुवाद है. 

उन पांच राज्यों में तेलंगाना नहीं था, लेकिन छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल थे. आज भाजपा के पैरोकार इस ट्विट को याद करना पसंद नहीं करेंगे. उस समय इन्हीं राज्यों की जीत से नरेंद्र मोदी के पक्ष में हवा बहनी शुरू हुई थी. क्या आज यह माना जाए कि अब यह हवा मोदी के खिलाफ बहनी शुरू हो गई है? 

एक और हकीकत ऐसी है जिसे स्वीकार करने से भाजपा वाले चतुराईपूर्वक कतरना चाहते हैं. वह है राहुल गांधी का राष्ट्रीय मंच पर उभार. यहां भी इतिहास ने अपने आपको दिलचस्प तरीके से दोहराया है. ग्यारह दिसंबर, 2017 को राहुल गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला था, और ठीक एक साल बाद ग्यारह दिसंबर को ही उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने तीन राज्य अपनी दम पर जीत लिए. राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी के मुकाबले इन राज्यों में दुगुने से भी ज्यादा रैलियां कीं, और साबित किया कि  अपनी पार्टी की तरफ से वे एक ऐसे राष्ट्रीय चेहरे हैं जिसे बेखटके मंच पर पेश किया जा सकता है. दरअसल, इन राज्यों ने उन्हें पहली बार वास्तविक नेता बना दिया. 

राहुल गांधी ने एक और क्षमता का प्रदर्शन किया है. अपने क्षेत्रीय नेताओं पर भरोसा करके उन्होंने दिखा दिया है कि वे अपने से पहले के कांग्रेस नेताओं से कुछ अलग हैं.  राहुल गांधी ने बूथ स्तर पर पहले से कहीं ज्यादा बेहतरीन बंदोबस्त करके यह दिखाया कि कांग्रेस इस मामले में भाजपा से कम नहीं है. इस तरह से कहा जा सकता है कि इन चुनावों में राष्ट्रीय स्तर पर अगर किसी एक व्यक्ति को सबसे ज्यादा लाभ हुआ है तो वह राहुल गांधी ही हैं. क्षेत्रीय स्तर पर इन चुनावों के हीरो तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव रहे जिन्होंने समय से पहले चुनाव करा के बाजी जीत ली. तेलंगाना के संदर्भ में देखें तो यह भी लगता है कि राहुल गांधी ने इन चुनावों में गलतियां भी की हैं. 

उनकी बड़ी रणनीतिक भूल यह रही कि वे तेलंगाना के चुनाव में चंद्रबाबू नायडू के साथ उतरे. नायडू भाजपा विरोधी शक्तियों को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने में सकारात्मक भूमिका तो निभा सकते थे, लेकिन तेलंगाना में उनकी छवि एक ऐसे नेता की है जो इस राज्य के बनने में अड़ंगे डाल रहा था. इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा. लेकिन इस कमी के बावजूद बदलती राजनीतिक हवा में राहुल गांधी का नेतृत्व अब पूरी तरह से जम चुका है, और अब नरेंद्र मोदी को सोचना चाहिए कि वे इस नए उभार का सामना कैसे करेंगे.

Web Title: assembly election results: leadership is changing

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