खूनी टकराव रोकने के लिए सीमा विवादों का निपटारा जरूरी, अवधेश कुमार का ब्लॉग

By अवधेश कुमार | Published: August 2, 2021 04:15 PM2021-08-02T16:15:53+5:302021-08-02T16:17:05+5:30

असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर पैदा हुए तनाव के मद्देनजर पूर्वोत्तर के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और आरोप लगाया कि कांग्रेस इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रही है.

Assam and Mizoram 26 july Settlement of border disputes necessary stop bloody confrontation Avadhesh Kumar's blog | खूनी टकराव रोकने के लिए सीमा विवादों का निपटारा जरूरी, अवधेश कुमार का ब्लॉग

असम और मिजोरम इस संबंध में एक-दूसरे पर क्या-क्या आरोप लगा रहे हैं, उसमें शायद जाने की आवश्यकता नहीं.  

Highlightsप्रतिनिधमंडल में पूर्वोत्तर के 16 सांसद मौजूद थे.12 असम से, दो अरुणाचल प्रदेश और एक-एक मणिपुर और त्रिपुरा से थे.असम पुलिस के पांच जवानों और एक आम नागरिक की मृत्यु हो गई तथा 60 लोग घायल हो गए.

निस्संदेह 26 जुलाई को असम और मिजोरम की सीमा पर जो कुछ हुआ और अभी तक जो स्थिति है, वह हर भारतीय को चिंतित करने वाली है.

 

दो राज्यों के पुलिस कर्मी दो दुश्मन देशों के सुरक्षा बलों की तरह आमने-सामने गोलीबारी करें, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. असम और मिजोरम इस संबंध में एक-दूसरे पर क्या-क्या आरोप लगा रहे हैं, उसमें शायद जाने की आवश्यकता नहीं. असम पुलिस के पांच जवानों और एक आम नागरिक की मृत्यु हो गई तथा 60 लोग घायल हो गए.

गलती तो किसी न किसी की ओर से या दोनों ओर से हुई लेकिन मूल प्रश्न यह है कि आखिर पूर्वोत्तर के इन दो राज्यों के बीच दुश्मनी का ऐसा भाव क्यों है जिसमें गोली चलाने तक की नौबत आ गई? जो कुछ सामने आया है उसके अनुसार संघर्ष का तात्कालिक कारण मिजोरम का एक कोविड सेंटर है, जिसके बारे में असम का कहना है कि यह उसके क्षेत्न में बनाया गया है.

पुलिस टकराव से पहले वहां दोनों ओर के स्थानीय लोगों में भी संघर्ष हुआ था और अनेक झोपड़ियां तथा दुकानें अग्नि के हवाले कर दिए गए. इसका एक सच यह भी है कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के कारण टकराव आरंभ हुआ. बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पूर्वोत्तर और विशेषकर असम के लिए नासूर से कम नहीं है.

अगर लोगों के बीच संघर्ष में यह भी कारण है तो ठीक प्रकार से जांच कर निपटारा होना चाहिए किंतु समस्या का मूल तो सीमा संबंधी विवाद ही है. कोविड सेंटल लैलापुर में स्थापित है जिस पर मिजोरम और असम दोनों हक जताते हैं. जो लोग पूर्वोत्तर की स्थिति से वाकिफ हैं वे बताएंगे कि वहां राज्यों का अपनी सीमा को लेकर एक दूसरे से विवाद है और असम के साथ तो कई राज्यों का विवाद है.

सरकारों ने समस्या उभरने पर अवश्य तात्कालिक रूप से इन्हें सुलझाने की कोशिश की लेकिन ये विवाद स्थायी रूप से खत्म हो जाएं, इसके सघन प्रयास नहीं हुए. नरेंद्र मोदी सरकार ने भी इस दिशा में कोशिश की लेकिन इसमें गहरी सोच-समझ से बनाई गई योजना तथा स्थायी समाधान की संकल्पबद्धता का अभाव रहा.

पूर्वोत्तर का मूल संकट वैसे तो जातीय-क्षेत्नीय पहचान और विशिष्टता संबंधी आकांक्षाएं तथा इसी से जुड़ी हुई उपराष्ट्रीयता की उभरी या उभारी गई भावनाएं हैं. ये राज्यों के अंदर भी अलगाववाद और हिंसक संघर्ष के मूल कारण हैं और राज्यों के बीच विवाद और टकराव का भी. जैसा कि हम जानते हैं आजादी के समय मिजोरम, मेघालय और नगालैंड तीनों असम के जिले थे.

हां, नगालैंड का तुएनसांग क्षेत्न जरूर नेफा यानी नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी का अंग था. दुर्भाग्य से पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक-जातीय-क्षेत्नीय अस्मिता की भावना आदि को गहराई से समङो बिना वहां राज्यों के बंटवारे हुए. मेघालय राज्य जयंतिया पहाड़ी जिलों के साथ खासी और गारो आदिवासियों के क्षेत्नों को मिलाकर बना दिया गया. मिजोरम का गठन भी असम से लुसाई पहाड़ी जिलों को पृथक करके हुआ.

आज जो अरुणाचल है, उसका बड़ा हिस्सा यानी नेफा असम के राज्यपाल के तहत प्रशासनिक क्षेत्न था. भारत की अन्य रियासतों के विलय की तरह 1949 में मणिपुर और त्रिपुरा का विलय हुआ. इसे भी दुर्भाग्य कहा जाएगा कि विलय आदि की प्रक्रि या पूरी होने के बाद पूर्वोत्तर की सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक समस्याओं के समाधान की ठोस कोशिश नहीं हुई.

वहां अलग राज्य व अलग देश की मांग प्रबल होती रही. जब 1956 में राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो पूर्वोत्तर को उससे बिल्कुल मुक्त रखा गया. यह सोच काफी हद तक सही थी क्योंकि वहां एक ही जिले में अलग-अलग भाषाएं और बोलियां हैं. किंतु पूर्वोत्तर के कुछ समूहों को लगा कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है.

देश विरोधी अलगाववादी ताकतों ने लोगों को भारत की केंद्रीय सत्ता के विरुद्ध भड़काया और फिर हिंसक विद्रोह होने लगे. पूर्वोत्तर की समस्याओं का समाधान एकमुश्त होना चाहिए था. इसकी जगह पहले नगालैंड को 1963 में राज्य बनाया गया. मेघालय 1972 में राज्य बना. उसी वर्ष मणिपुर और त्रिपुरा को भी पूर्ण राज्य घोषित किया गया.

हालांकि मिजोरम की स्थिति का ध्यान रखते हुए उसे पूर्ण राज्य की बजाय केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. 1986 में राजीव गांधी के कार्यकाल में उसे राज्य का दर्जा मिला. अरुणाचल प्रदेश को सबसे अंत यानी 1987 में राज्य बनाया गया. इन राज्यों के गठन या पुनर्गठन में थोड़ी-बहुत जातीय समूहों की आकांक्षाएं तो प्रतिबिंबित हुई मगर भौगोलिक सीमाओं का निपटारा उन जातीय समूह की आकांक्षाओं के साथ सामंजस्य बिठाने वाला नहीं हो पाया. इसके कारण इन राज्यों के बीच सीमा विवाद आज तक बना हुआ है.

Web Title: Assam and Mizoram 26 july Settlement of border disputes necessary stop bloody confrontation Avadhesh Kumar's blog

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