संपादकीयः वैज्ञानिक उपलब्धियों का राजनीतिकरण न हो
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 29, 2019 06:18 AM2019-03-29T06:18:13+5:302019-03-29T06:18:13+5:30
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के बारे में वस्तुत: सभी सरकारों का दृष्टिकोण सकारात्मक रहा है. इसलिए अपने प्रयासों को ज्यादा चमकीला दिखाने के चक्कर में किसी को भी अपने पूर्ववर्तियों के प्रयास पर प्रश्नचिह्न् नहीं लगाना चाहिए.
गत बुधवार को भारत द्वारा अंतरिक्ष में एंटी मिसाइल के जरिये एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराना निश्चित तौर पर बहुत बड़ी उपलब्धि है. भारत अब अंतरिक्ष से भी दुश्मनों पर नजर रख सकता है और अंतरिक्ष से कोई भी हमारी जासूसी या हम पर हमला नहीं कर पाएगा. जिस उपलब्धि को अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्तियों ने कई बार के प्रयास के बाद हासिल किया हो, उसे अपने पहले प्रयास में ही हासिल कर लेना हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा को ही दर्शाता है.
जहां तक वर्तमान उपलब्धि पर राजनीतिक विवाद की बात है, अगर किसी वैज्ञानिक से इस उपलब्धि की घोषणा करवाई जाती तो शायद विवाद पैदा नहीं होता. ऐसा नहीं है कि पहले की सरकारों ने वैज्ञानिकों की प्रतिभा को प्रोत्साहित नहीं किया है. हकीकत तो यह है कि पं. जवाहरलाल नेहरू ने जहां भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में महाशक्ति बनाने का सपना देखा था, वहीं इंदिरा गांधी ने इस सपने को पूरा करने की दिशा में काम किया. इसलिए यह आरोप लगाया जाना बेतुका है कि पहले की सरकारों में इस संबंध में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव था.
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के बारे में वस्तुत: सभी सरकारों का दृष्टिकोण सकारात्मक रहा है. इसलिए अपने प्रयासों को ज्यादा चमकीला दिखाने के चक्कर में किसी को भी अपने पूर्ववर्तियों के प्रयास पर प्रश्नचिह्न् नहीं लगाना चाहिए. इस तरह की सफलताएं रातोंरात हासिल नहीं होतीं, बल्कि इसके पीछे लंबे समय तक किए जाने वाले निरंतर कठिन परिश्रम का हाथ होता है. इसलिए वैज्ञानिक उपलब्धियों जैसे देशहित के मुद्दों से राजनीति को परे रखा जाना चाहिए.
लोकतंत्र में सत्ता कभी एक दल के हाथ में रहती है तो कभी दूसरे दल के हाथ में. लेकिन हर वर्तमान सरकार अगर अपने पूर्ववर्तियों की उपलब्धियों को नकारने की कोशिश करे तो देश कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा. इसलिए जरूरत आज उपलब्धियों की पहले खींची गई लकीर को मिटाने की जगह उसको और बड़ी करने की होनी चाहिए. दलगत राजनीति की एक सीमा होनी चाहिए और देशहित पर उसका असर नहीं पड़ने देना चाहिए.