ब्लॉग: इंटरनेशनल लव का केमिकल लोचा...कुछ कहने-सुनने से पहले प्यार की केमिस्ट्री का फॉर्मूला तो समझ लीजिए
By विकास मिश्रा | Published: August 4, 2023 03:24 PM2023-08-04T15:24:45+5:302023-08-04T15:24:45+5:30
पाकिस्तान को यह कौन समझाए कि जंग में तुम हर बार पिटते हो, इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में गोता लगाने को मजबूर होते हो, इस बार इंटरनेशनल मोहब्बत में भी मात खा गए.
नसरुल्ला के परिवार वालों के साथ ही ज्यादातर पाकिस्तानियों को अंजू के पाकिस्तान पहुंचने से जरूर सुकून मिला होगा. वे इस बात से बहुत आगबबूला थे कि उनकी सीमा हैदर इश्क में पगला कर हिंदुस्तान पहुंच गई. सीमा के शौहर और आम आदमी की तो छोड़िए, पाकिस्तान के डाकू तक नाराज हो गए, जैसे उनकी खुद की महबूबा ने उन्हें दगा दे दिया हो!
मैं सोच रहा हूं कि क्या सीमा को इस बात का पता था कि वहां के डाकू भी उसे इतनी शिद्दत से पसंद करते हैं? मान लीजिए उसे पता होता तो प्यार की भूखी सीमा क्या हिंदुस्तान आने के बजाय पाकिस्तान में ही डाकुओं के पास चली गई होती? ये बेसिरपैर के सवाल बेवजह मेरा माथा मथ रहे हैं.
अंजू का जिस शानदार तरीके से पाकिस्तान में स्वागत हुआ है उससे तो यही लगता है कि वे हिसाब बराबर का फॉर्मूला दिमाग में बिठा चुके हैं. लेकिन मेरे हिसाब से फॉर्मूला बराबर नहीं है! सीमा चार बच्चों को लेकर आई है. अंजू अपने बच्चों को हिंदुस्तान में ही छोड़ गई तो फायदे में कौन...? अपन...! कोई निरा अनपढ़ आदमी भी बता देगा कि हिंदुस्तान को पांच मिले और पाकिस्तान को केवल एक! नुकसान बड़ा है भाई!
अब पाकिस्तान को यह कौन समझाए कि जंग में तुम हर बार पिटते हो, इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में गोता लगाने को मजबूर होते हो, इस बार इंटरनेशनल मोहब्बत में भी मात खा गए. हमारे एक मरियल छोरे सचिन भाई ने पाकिस्तानी धरती पर पबजी के हथियार से बड़ा दांव मार दिया. हुस्न की मलिका तो मिली ही, हैदर साहब की मेहनत के चार बच्चे भी अपने खाते में जमा कर लिए.
वैसे सचिन भाई से बहुत से हिंदुस्तानी जलन का भाव भी रख रहे हैं. फेसबुक पर एक भाई ने तो अपनी तस्वीर के साथ सीमा के नाम लंबी-चौड़ी पोस्ट भी लिख डाली. लब्बोलुआब यह था कि हम मर गए थे क्या?
खैर, इस तरह की बतोलेबाजी चलती रहेगी. मुद्दे की बात है कि इस इंटरनेशनल लव का केमिकल लोचा क्या है? इंसान कोई पर्वत, नदिया और पवन के झोंके... तो है नहीं कि उसे सरहद न रोके! प्यार के लिए तो अपने मुल्क में ही कई सरहदें होती हैं. ये तो इंटरनेशनल लव यानी अंतरराष्ट्रीय प्रेम का मामला है. प्रेम परवान चढ़ चुका है. सरहद पीछे रह गई है. अब लोग बेवजह सवाल कर रहे हैं कि सीमा ने पाकिस्तान और नेपाल से लेकर भारत तक की सरहद को धोखा कैसे दिया? अरे भाई, उसके पास आशिकी नाम का सर्वश्रेष्ठ हथियार था! उन्मुक्त ऊर्जा थी.
चाहे मामला सीमा का हो या फिर अंजू का, दोनों ही मामलों में असली गुनहगार दिमाग के भीतर का केमिकल लोचा है. इस लोचे का जन्म प्राकृतिक रूप से होता है. विज्ञान ने हमें बता रखा है कि दिमाग में हाइपोथेलेमस नाम का एक अंग होता है. जब इसके भीतर डोपामाइन और नोरपाइनफेरिन नाम के दो न्यूरोट्रांसमीटरों की मात्र ज्यादा हो जाती है तभी आशिकी का यह लफड़ा होता है.
आमतौर पर यह न्यूरोट्रांसमीटर स्त्री और पुरुष के बीच किसी भी तरह के संपर्क से हो सकता है. एक दूसरे की कोई बात अच्छी लगे तो हाइपोथेलेमस जाग जाता है. इससे डोपामाइन और फिर ऑक्सीटोसिन बढ़ता है. केमिकल लोचा और बढ़ता है. ये रसायन साथी को बांहों में भर लेने के लिए उतावला बना देता है. आग में घी का काम करता है वेसोप्रेसिन नाम का रसायन, जो अटूट बंधन में बंधने के लिए हदें पार कर जाने का जज्बा पैदा कर देता है.
इसलिए हमें यह मान लेना चाहिए कि सीमा और अंजू का कोई दोष नहीं. दोषी ये सारे रसायन हैं जो दिमाग में खुराफात पैदा करते हैं. सीमा तो बहुत भोली है. सचिन भी बहुत भोला है. दोनों भोले-भाले हैं. सुना है भोली के चार पाकिस्तानी संस्करणों के बाद भोला के साथ पांचवां लेकिन हिंदुस्तानी संस्करण आने वाला है. ये भी तो केमिकल लोचा ही है...!