वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अमेरिका का अनर्गल प्रलाप
By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 4, 2019 09:03 AM2019-04-04T09:03:57+5:302019-04-04T09:03:57+5:30
मेरिकी वैज्ञानिक ने भारत की आलोचना करते वक्त यह नहीं बताया कि अमेरिका, रु स और चीन ने कितने उपग्रह छोड़े हैं और उनका कितना मलबा अंतरिक्ष में पहले से तैर रहा है.
हमारे उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्न पर अमेरिका ने एक नई बहस छेड़ दी है. अमेरिकी अंतरिक्ष प्रशासन संस्था (नासा) के मुखिया जिम ब्राइडन्सटाइन ने एक बयान में भारत द्वारा छोड़े गए उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्न को ‘भयंकर, भयंकर’ कहा है. उनकी भाषा बिल्कुल वैसी ही है, जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की होती है. उन्होंने कहा है कि भारत के इस प्रयोग से अंतरिक्ष में स्थापित अमेरिकी अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भयंकर खतरा पैदा हो गया है. यदि भारतीय प्रक्षेपास्त्न का मलबा उस स्टेशन से जाकर टकरा गया तो बड़ी तबाही मच जाएगी. इस तरह के काम राष्ट्रों को नहीं करने चाहिए.
जिम के इस बयान को अब कांग्रेस भुनाए बिना नहीं रहेगी. वह कह सकती है कि मोदी सरकार ने बालाकोट-जैसी एक गलती और कर दी है. इस गलती को वह अमेरिकी सरकार बता रही है, जिसके तारीफ पेलते हुए मोदी थकते नहीं हैं. लेकिन इस तरह की आलोचना बिल्कुल बेबुनियाद है. अमेरिकी वैज्ञानिक ने भारत की आलोचना करते वक्त यह नहीं बताया कि अमेरिका, रु स और चीन ने कितने उपग्रह छोड़े हैं और उनका कितना मलबा अंतरिक्ष में पहले से तैर रहा है. इन तीनों देशों के उपग्रहों के लाखों टुकड़े वर्षो से मलबे के रूप में घूम रहे हैं. इसके अलावा वह अंतरिक्ष स्टेशन 400 कि.मी. ऊपर है जबकि भारतीय उपग्रह 300 कि.मी. से भी कम ऊंचाई पर था. जिम का कहना है कि उसके 24 टुकड़े स्टेशन की तरफ बढ़ रहे हैं. भारतीय वैज्ञानिकों का दावा है कि भारतीय मलबे के सारे टुकड़े अगले एक-डेढ़ माह में चूरा होकर जमीन पर गिर जाएंगे.
यह ठीक है कि भारत के पास उस मलबे के चूरे पर निगरानी रखने की सुविधा नहीं है लेकिन नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पूरी निगरानी रख रही है. इसके अलावा 400 टन का वह अंतरिक्ष स्टेशन इतना मजबूत है कि मलबे के 20-25 टुकड़े उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. इसीलिए अमेरिकी ‘नासा’ के मुखिया के बयान का भारत को कड़ा जवाब देना चाहिए. उसे इस तथ्य से ईष्र्या हो सकती है कि वह उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्न पूर्णरूपेण भारतीय था. लेकिन इसका तो कोई इलाज नहीं है.