तेजस के निर्माण में तेजी लाएं
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 7, 2018 05:22 AM2018-08-07T05:22:30+5:302018-08-07T05:22:30+5:30
जुलाई 2018 तक कुल नौ जहाज बन पाए हैं, जिनके साथ पहला स्क्वाड्रन सुलुर में स्थापित किया गया है।
सारंग थत्ते
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) बेंगलुरु में वायुसेना और नौसेना के लिए विभिन्न किस्म के हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर का निर्माण 1940 से हो रहा है। पिछले कुछ वर्षो में इस संस्थान पर प्रोजेक्ट में देरी और कीमत में इजाफे की बातें खुलकर सामने आती रही हैं। स्वदेशी लड़ाकू जहाज तेजस को 1983 में बनाने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था। इस जहाज के निर्माण में कई अड़चनें आती रहीं लेकिन तेजस से जुड़े वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी। पहली उड़ान टेल नंबर केएच 2001 के साथ 4 जनवरी 2001 को आकाश में नजर आई। निर्माण प्रक्रिया से निकलकर उड़ान भरने के लिए प्रारंभिक एवं अंतिम ऑपरेशनल क्लियरेन्स - ये दो मील के पत्थर होते हैं जिसमें से जहाज को गुजरना पड़ता है। वायुसेना ने एचएएल को 20 - 20 जहाज बनाने के ऑर्डर दिए थे। पहला दस्ता दिसंबर 2011 और दूसरा 2016 में पूरा किया जाना था। भारतीय वायुसेना की अपनी शुरुआती जरूरत 83 विमानों की थी। जुलाई 2018 तक कुल नौ जहाज बन पाए हैं, जिनके साथ पहला स्क्वाड्रन सुलुर में स्थापित किया गया है।
विगत माह स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) - तेजस की कीमत में इजाफा किया गया, जिस पर भारतीय वायुसेना और अन्य विशेषज्ञों ने एचएएल को आड़े हाथों लिया था। पिछले हफ्ते रक्षा मंत्नी ने एचएएल द्वारा दी गई तेजस 1ए की कीमत का पुनर्मूल्यांकन करने हेतु एक समिति गठित की है। दरअसल एचएएल ने तेजस की नई कीमत 463 करोड़ रुपए बताई है। यह मूल्य तेजस मार्क 1 की कीमत से 100 करोड़ ज्यादा है। कहा जा रहा है कि भारतीय वायुसेना एचएएल के भीतर तेजस के निर्माण को अपने अधीन करने की योजना बना रही है। वायुसेना के एक एयर मार्शल रैंक के अधिकारी इस संरचना को संभालेंगे। इसके क्रियान्वयन में समय लगेगा लेकिन विशेषज्ञों ने अपनी टिप्पणी में यह खुलासा किया है कि सिर्फ एक अधिकारी निगरानी के लिए रखने से कार्रवाई पूरी नहीं होगी. भारतीय वायुसेना को लड़ाकू जहाज के ड्रॉइंग बोर्ड से लेकर उत्पादन तक पूरी प्रक्रिया पर नजर रखनी होगी।
अब बड़े सवाल हैं क्या एचएएल इस सब के लिए राजी होगा? क्या एचएएल के कर्मचारी इस किस्म के उत्पादन की देखरेख में नए अधिकारियों के साथ सद्भाव से कार्य कर पाएंगे? वायुसेना के इरादे नेक हैं लेकिन इसके क्रियान्वयन में रुकावट आ सकती है। तेजस की निर्माण क्षमता फिलहाल 8 जहाज प्रति वर्ष है जिसे 16 करने के लिए एक नई उत्पादन क्षमता को जमीन पर स्थापित किया जा रहा है। एलसीए मार्क 1 के बाद मार्क 2 के लिए भी कार्य प्रगति पर है, साथ ही नौसेना के एलसीए लड़ाकू जहाज की टेस्टिंग भी की जा रही है।
35 वर्षो के बाद भी हम तेजस के एक संपूर्ण स्क्वाड्रन (16 से 18 लड़ाकू जहाज) को नहीं देख पाए हैं। इस समय भारतीय वायुसेना के पास कुल 31 स्क्वाड्रन हैं जबकि 42 स्क्वाड्रन होने की स्वीकृति सरकार के पास है. दूसरी ओर पुराने जर्जर हो चुके मिग लड़ाकू जहाजों को रिटायर करने की घड़ी तेजी से पास आ रही है। दुर्घटनाग्रस्त होने से जहाज और पायलट के खोने का डर हमेशा बना हुआ है। 36 राफेल अगले वर्ष के अंत तक मिलने शुरू होंगे। नए 110 लड़ाकू जहाज खरीदने की प्रक्रिया की अभी बस शुरुआत ही हुई है। उसमें चयन प्रक्रिया के बाद सरकारी तंत्न से दूसरे चयनित देश से बातचीत होगी और फिर उस देश में हमारी जरूरत के मुताबिक निर्माण होगा। यह सब होते हुए कम से कम 8 साल लग जाएंगे।
देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें। यूट्यूब चैनल यहां सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट।