भारत में करीब 26.7 करोड़ युवा तंबाकू का करते हैं सेवन, चीन के बाद दूसरा उपभोक्ता देश
By ऋषभ मिश्रा | Published: July 7, 2023 03:13 PM2023-07-07T15:13:18+5:302023-07-07T15:13:44+5:30
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी ‘डब्ल्यूएचओ’ के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर तंबाकू के सेवन से सालाना लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिसमें भारत में अकेले 13 लाख लोग इसका शिकार होते हैं। भारत में पुरुषों और महिलाओं में होने वाले कैंसर का क्रमशः आधा और एक-चौथाई कैंसर तंबाकू और इससे निर्मित पदार्थों के सेवन से होता है।
भारत युवाओं के संख्याबल के कारण संभावनाओं का देश कहा जाता है। यहां की कुल जनसंख्या में अकेले 22 प्रतिशत यानी लगभग 26.1 करोड़ की जनसंख्या सिर्फ 18 से 29 साल के युवाओं की है, जो कि पाकिस्तान की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। किंतु तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों का इस्तेमाल भारत की संभावनाओं का गला घोंटता दिखाई पड़ रहा है।
‘ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे’ (गैट्स) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 26.7 करोड़ युवा, जिनकी उम्र 15 वर्ष और उससे अधिक है तथा पूरी युवा जनसंख्या का 29 प्रतिशत है, तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों के इस अंधाधुंध उपयोग ने भारत को विश्व में चीन (तीस करोड़) के बाद दूसरे सबसे बड़े तंबाकू उपभोक्ता देश की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी ‘डब्ल्यूएचओ’ के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर तंबाकू के सेवन से सालाना लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिसमें भारत में अकेले 13 लाख लोग इसका शिकार होते हैं। भारत में पुरुषों और महिलाओं में होने वाले कैंसर का क्रमशः आधा और एक-चौथाई कैंसर तंबाकू और इससे निर्मित पदार्थों के सेवन से होता है। अब तक के शोधों के मुताबिक तंबाकू में बेंजीन, निकोटिन, हाइड्रोजन साइनाइड, एल्डिहाइड, शीशा, आर्सेनिक, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जैसे 70 प्रकार के खतरनाक तत्व शामिल होते हैं, जिनका हमारे स्वास्थ्य पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भारत के राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण के आंकड़ों के अनुसार 2012-16 के बीच कैंसर के कुल मामलों में 27 प्रतिशत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तंबाकू से संबंधित थे। तंबाकू शरीर के परिवहन तंत्र के संरक्षक हृदय को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और दिल के दौरे की आशंका अधिक बढ़ जाती है। तंबाकू का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर भी बहुत घातक होता है। यह हमारी कल्पना शक्ति, मानसिक चेतना व स्थिरता को भी प्रभावित करता है, जिससे सुस्ती और पक्षाघात जैसी खतरनाक बीमारी के झटके भी आते हैं।
तंबाकू के उपभोग से बचने तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2011 में सरकार की 2009 की अधिसूचना में संशोधन प्रस्तुत करते हुए नियम बनाया, जिसमें तंबाकू उत्पादों पर चार नए चित्र चेतावनी को शामिल किया गया। आंकड़े बताते हैं कि भारत में उपभोग किए जाने वाले तंबाकू के 69 प्रतिशत पर कर नहीं लगाया जाता। करों के माध्यम से तंबाकू की कालाबाजारी, अवैध व्यापार और संवर्धन को नियंत्रित किया जा सकता है। तंबाकू प्रभाव निरोध हेतु सिविल सोसाइटी की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।