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डॉ. एसएस मंठा का ब्लॉगः शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल हस्तक्षेप

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 29, 2018 16:27 IST

हमारी डिजिटल जीवनशैली ने हमें यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित किया है कि जो कुछ भी इनोवेटेड है वह डिजिटल भी होना चाहिए. तो क्या डिजिटल डिसरप्शन वास्तव में आविष्कार के लिए एक मृदु प्रयोग है? 

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आज दुनिया में डिसरप्टिव प्रौद्योगिकी का विचार तेजी से फैल रहा है. हमारी डिजिटल जीवनशैली ने हमें यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित किया है कि जो कुछ भी इनोवेटेड है वह डिजिटल भी होना चाहिए. तो क्या डिजिटल डिसरप्शन वास्तव में आविष्कार के लिए एक मृदु प्रयोग है? 

पहले की तुलना में एक बेहतर डिजिटल यंत्र का निर्माण अपने आप में डिजिटल डिसरप्शन या हस्तक्षेप नहीं होता है. अक्सर हम डिसरप्टिव प्रौद्योगिकी की परिभाषा के बारे में भ्रमित हो जाते हैं. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर क्लेटन क्रिस्टेंसन के अनुसार डिजिटल डिसरप्शन की परिभाषा यह है कि पुरानी तकनीक का स्थान एक नई तकनीक ले ले. व्यवधान या डिसरप्शन आज की नई वास्तविकता बन चुका है, जिसमें शिक्षा क्षेत्र सहित हर उद्योग   शामिल है.

आईटी क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव और व्यक्तिगत उपयोग तथा काम के लिए मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग से हमारे जीवन में डिजिटल डिसरप्शन की क्षमता में वृद्धि हुई है. हम सब जानते हैं कि अमेजन, नेटफ्लिक्स आदि ने ग्राहकों द्वारा सामग्री तक पहुंच बनाने और विज्ञापनदाताओं द्वारा मुद्रीकृत किए जाने के तरीके को बदलकर मीडिया और मनोरंजन उद्योग को विघटित किया है. डिसरप्टिव इनोवेशन मूलभूत तत्वों को बदल देते हैं जो एक नया प्लेटफार्म, सिस्टम या तकनीक पेश करते हैं और इस तरह वे खेल को ही बदल देते हैं. टैक्सियों और उबेर के बारे में सोचिए. दोनों ही व्यक्तियों और छोटे समूहों को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराते हैं, लेकिन उबेर ने  एक नया प्लेटफार्म या सिस्टम पेश किया. 

क्या हम शिक्षा क्षेत्र में भी ऐसा ही कर सकते हैं? अलग-अलग कंटेंट बनाने वाले क्या एक मंच पर आकर अपनी सामग्री पेश कर सकते हैं? इससे छात्रों को अपनी जेब और समय के सुविधानुसार अनुकूल चीजें चुनने में मदद मिल सकेगी. शिक्षा हासिल करने की राह अब पहले की सोच के अनुसार सीधी-सादी नहीं है. नए-नए शिक्षण मॉडल विकसित हो रहे हैं और ऑनलाइन डिजिटल गुरु कई पारंपरिक प्रक्रियाओं को संभाल रहे हैं. शिक्षा प्रदान करने में डिसरप्शन का प्रभाव यह है कि कई मायनों में आज छात्रों के लिए सीखने के सस्ते, तेज और अधिक सुलभ रास्ते खुल रहे हैं. 

टॅग्स :एजुकेशनडिजिटल इंडिया
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