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डॉ. विजय पांढरीपांडे का ब्लॉग: शिक्षा की गाड़ी को पटरी पर लाने के करने होंगे उपाय

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 15, 2020 09:56 IST

2020-21 के लिए एक अलग कॉम्पैक्ट कैलेंडर बनाएं. हमें इस आग्रह से छुटकारा पाना होगा कि हमेशा सब कुछ कक्षा में ही सिखाया जाना चाहिए. बच्चों को जितना संभव हो उतना होमवर्क दें.

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डॉ. विजय पांढरीपांडे 

वर्तमान में, आपात स्थितियों से निपटने के दौरान हमें कई परिवर्तनों का सामना करना पड़ रहा है. नए बदलावों को स्वीकार करना पड़ रहा है. हमें सोचना होगा कि विशेष कर शिक्षा क्षेत्र में इस आपातकालीन परिस्थिति का सामना करते हुए, विद्यार्थियों का नुकसान न हो, इसके लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक स्वरूप के क्या-क्या निर्णय लिए जा सकते हैं. पहले तात्कालिक उपायों पर विचार करें. यह विचार दो स्तरों पर करना होगा. एक स्कूली शिक्षा और दूसरे महाविद्यालयीन अर्थात उच्च शिक्षा.

इसमें पिछले शैक्षणिक सत्र के शेष पाठय़क्रम को पूरा करना, छात्रों का सही मूल्यांकन करना और नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं. इसके लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू हो गया है. इसमें शुरुआत में कठिनाइयां आएंगी, व्यावहारिक समस्याएं होंगी, लेकिन उन्हें धीरे-धीरे अनुभव के साथ दूर किया जा सकता है. प्रत्येक समस्या का हल होता है. हमें सुविधाजनक हल ढूंढ़ना पड़ता है. जो छात्र कक्षा में परंपरागत तरीके से सीखने के आदी हैं, उन्हें नए तरीके से पढ़ने और शिक्षकों को आधुनिक पद्धति से पढ़ाने में मुश्किल होगी. लेकिन यह तय है कि एक बार सीख जाने पर उन्हें यह तरीका पसंद आएगा. विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश छात्रों के लिए अलग तरह से विचार करने की जरूरत है. नई तकनीक के माध्यम से पढ़ाने पर शुरुआत में दिक्कतें होंगी.

इंटरनेट की उपलब्धता, स्मार्ट फोन की जरूरत जैसे अनेक प्रश्न सामने आएंगे. लेकिन उनके हल खोजने होंगे. इसके लिए समय देना होगा, धैर्य की जरूरत पड़ेगी. पिछले कई दिनों से मैं  इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रोफेसरों के संपर्क में हूं. वे भी समय के अनुसार बदलाव के लिए हर दृष्टि से तैयार नहीं हैं, प्रशिक्षित नहीं हैं. फिर ग्रामीण क्षेत्र में कला और विज्ञान के प्रोफेसरों की तो बात ही अलग है.

ऐसी परिस्थिति में स्व-अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर है. पूरे हो चुके पाठय़क्रम की तुलना में बचा हुआ पाठय़क्रम थोड़ा ही है. इसलिए छात्रों के पास बचे हुए पाठय़क्रम का खुद अध्ययन करने का विकल्प है. जहां शंका हो, वहां शिक्षकों से मोबाइल पर प्रश्न पूछ सकते हैं. पढ़ाई में तेज अन्य छात्रों की भी मदद ली जा सकती है. इस पाठय़क्रम पर आधारित होमवर्क को ऑनलाइन जमा किया जा सकता है. इसके आधार पर छात्र ने क्या सीखा है, उसकी जांच की जा सकती है.

अब परीक्षा के प्रश्न, अंक और ग्रेड देने के मुद्दे पर विचार करें. हमारी वर्तमान परीक्षा प्रणाली के द्वारा विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन किए जाने का दावा नहीं किया जा सकता. इसमें परीक्षा विभाग के लिए लाखों रु. और अनेक मानव घंटे खर्च होते हैं. इतना खर्च करने के बाद भी विद्यार्थियों को जो अंक, ग्रेड दिए जाते हैं, क्या उसे उनकी बुद्धिमत्ता, आकलन शक्ति का प्रतीक माना जा सकता है? कदापि नहीं. आपका प्रश्नपत्र, आपकी मूल्यांकन प्रणाली, कापी जांचने वाले प्राध्यापकों का इसे गंभीरता से न लेना, सामूहिक नकल, छात्रों का रवैया इसके लिए कारणीभूत है.

इसलिए इस वर्ष  मूल्यांकन अलग तरीके से किया जाना चाहिए. इसके लिए मौखिक परीक्षा, ऑनलाइन परीक्षा, ऑनलाइन सेमिनार जैसे अनेक विकल्प हैं. पारंपरिक तीन घंटे की वार्षिक, अंतिम परीक्षा ही सब कुछ नहीं है. वर्तमान में हमें लचीलापन लाना पड़ेगा. चूंकि यह वैश्विक समस्या है, इसलिए इसके दूरगामी परिणाम होने, आगे दिक्कतें आने जैसे भय निराधार हैं.

शिक्षा की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं :

2019-20 के शेष सत्र को ऑनलाइन शिक्षण, स्व-अध्ययन, होमवर्क के माध्यम से पूर्ण किया जाए. कुछ पाठय़क्रमों की अंतिम वर्ष की परीक्षा ऑनलाइन ली जा सकती है.

पिछली परीक्षाओं में प्राप्त अंकों, ऑनलाइन होमवर्क के आधार पर अंक, ग्रेड देकर प्रमोट किया जाना चाहिए. 2020-21 के लिए एक अलग कॉम्पैक्ट कैलेंडर बनाएं. हमें इस आग्रह से छुटकारा पाना होगा कि हमेशा सब कुछ कक्षा में ही सिखाया जाना चाहिए. बच्चों को जितना संभव हो उतना होमवर्क दें. उन्हें स्वतंत्र रूप से पढ़ने, सीखने के लिए प्रोत्साहित करें. छोटे-छोटे समूहों, टीम वर्क के जरिए उन्हें स्व-अध्ययन के लिए तैयार करें. जो वे पढ़ें, अध्ययन करें, उस पर उन्हें चिंतन-मनन कर टिप्पणी तैयार करना सिखाएं और उसके आधार पर उनका मूल्यांकन करें. सामने उपस्थित अभूतपूर्व समस्या को देखते हुए, हम सभी को परिवर्तनों के लिए तैयार रहना होगा. शुरू में यह मुश्किल लग सकता है लेकिन निश्चित रूप से असंभव नहीं है.

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