Indore Crime News: महिलाओं का अपमान करने वालों पर सख्त कार्रवाई जरूरी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 29, 2024 01:15 PM2024-03-29T13:15:39+5:302024-03-29T13:16:31+5:30
Indore Crime News: यह बात और भी परेशान करने वाली है कि लोग इस तमाशे को चुपचाप देखते रहे, पीड़िता को बचाने के लिए कोई भी आगे नहीं आया.
Indore Crime News: इंदौर शहर के पास निर्मल गांव बछोड़ा में एक शर्मसार कर देने वाली घटना प्रकाश में आई है. यहां चार महिलाओं ने मिलकर एक महिला को निर्वस्त्र करके घुमाया. इतना ही नहीं, पीड़िता की जमकर पिटाई की गई. सार्वजनिक रूप से उसे निर्वस्त्र कर अपमानित करने की इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए चारों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया है. यह बात और भी परेशान करने वाली है कि लोग इस तमाशे को चुपचाप देखते रहे, पीड़िता को बचाने के लिए कोई भी आगे नहीं आया.
हमारे समाज में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की समस्या कोई नई नहीं है. भारतीय समाज में महिलाएं एक लंबे समय से अवमानना, यातना और शोषण का शिकार रही हैं. जाहिर है हमारी विचारधाराओं, रीति-रिवाजों और समाज में प्रचलित मापदंडों ने भी महिलाओं के उत्पीड़न को बढ़ाने में योगदान दिया है.
जहां तक स्त्रियों द्वारा किसी दूसरी स्त्री के अपमान का मामला है, तो कई बार इसका कारण निहित स्वार्थ ही होता है. एक स्त्री दूसरी स्त्री को समझना नहीं चाहती, इसका कारण कई बार अपने-पराए की भावना भी होती है. आज एक ओर तो महिलाएं सफलता के नए-नए आयाम गढ़ रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनके विरुद्ध अपमान, उत्पीड़न, जघन्य हिंसा और अपराध के मामले कम नहीं हो रहे हैं.
इसके विपरीत हम जब भी किसी महिला के साथ होने वाले दुराचार का समाचार देखते या सुनते हैं तो घटना के विरुद्ध आवाज उठाने की बजाय अपने घर की स्त्रियों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाने की कोशिश करते हैं, उन्हें नसीहतें देने लगते हैं. इंदौर के गांव की घटना पहली नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी.
महिलाओं की मानवीय प्रतिष्ठा के वास्तविक सम्मान के लिए जो लड़ाई लड़नी है, उसके लिए अभी बहुत लंबा सफर तय करना शेष है और हम इस सफर को तभी तय कर पाएंगे जब महिलाएं अपने साथ होने वाले अपराधों को सहना छोड़कर उनके खिलाफ आवाज उठाने लगेंगी, क्योंकि हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को सिर्फ सहना सिखाया जाता है, बोलना नहीं.
इसलिए जरूरी है कि महिलाएं सबसे पहले अपनी आवाज खुद उठाएं. अपनी गरिमा के साथ कोई समझौता न करें. तमाम कानूनों और तरीकों को अपनाने के बाद भी हम महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने में विफल हो रहे हैं, इसलिए सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को और सख्त किया जाना चाहिए, रोकथाम के स्थान पर सजा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए.