Vidarbha Ranji Trophy Champions: विदर्भ की क्रिकेट प्रतिभाएं अब नजरअंदाज न की जाएं?
By रवींद्र चोपड़े | Updated: March 3, 2025 05:50 IST2025-03-03T05:49:02+5:302025-03-03T05:50:01+5:30
Vidarbha Ranji Trophy Champions: यश राठौड़ (960 रन), करुण नायर (863), दानिश मालेवार (783), अक्षय वाडकर (722), ध्रुव शौरे (467) ने जहां रनों की झड़ी लगा दी, वहीं हर्ष दुबे (476 रन) ने बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी में भी जलवा दिखाकर 69 विकेट लिए. आदित्य ठाकरे (28), अक्षय वखरे (27) पार्थ रेखड़े (13 विकेट) ने गेंदबाजी में कमाल दिखाकर विदर्भ को खिताबी कामयाबी दिलाई.

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Vidarbha Ranji Trophy Champions: विदर्भ भारतीय घरेलू क्रिकेट में रणजी का रण दो से अधिक बार फतह करनेवाली छठी टीम बन गई. पूरे सत्र में अपराजित रहकर विदर्भ ने रविवार को केरल के खिलाफ फाइनल में पहली पारी में बढ़त के आधार पर रणजी ट्रॉफी जीती, जो उसका यह तीसरा खिताब है. विकेटकीपर बल्लेबाज अक्षय वाडकर की कमान में तजुर्बेकार और युवा खिलाड़ियों के विदर्भ के दल ने पूरे सत्र में इतना शानदार प्रदर्शन किया कि अंतरराष्ट्रीय टीम को भी उसपर रश्क हो सकता है.
यश राठौड़ (960 रन), करुण नायर (863), दानिश मालेवार (783), अक्षय वाडकर (722), ध्रुव शौरे (467) ने जहां रनों की झड़ी लगा दी, वहीं हर्ष दुबे (476 रन) ने बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी में भी जलवा दिखाकर 69 विकेट लिए. आदित्य ठाकरे (28), अक्षय वखरे (27) पार्थ रेखड़े (13 विकेट) ने गेंदबाजी में कमाल दिखाकर विदर्भ को खिताबी कामयाबी दिलाई.
पिछले सात वर्षों में विदर्भ ने तीन बार रणजी ट्रॉफी पर कब्जा जमाकर और एक बार उपविजेता बनकर अपनी काबिलियत का परिचय दिया. हालांकि पहले दो बार रणजी चैंपियन बनने के बावजूद विदर्भ के क्रिकेटरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौके नहीं मिल पाना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा. इस सत्र में करुण नायर और अक्षय वाडकर ने अपने बल्ले से सभी को प्रभावित किया लेकिन जिस बल्लेबाज ने अपनी तकनीक, धैर्य और कौशल से मोहित किया है वह है दानिश मालेवार. 21 साल के इस युवा खिलाड़ी में अपार संभावनाएं हैं.
इस रणजी सत्र में दो शतक और छह अर्धशतक जड़ चुके दानिश में क्रिकेट के पारंपारिक प्रारुप (टेस्ट) का खिलाड़ी बनने के सारे गुण नजर आते हैं. 24 साल के यश राठौड़ तो दानिश से एक कदम और भी आगे हैं जिनके नाम पर इस सत्र में पांच शतक और तीन अर्धशतक हैं. 30 साल के अक्षय वाडकर ने दो शतक और दो अर्धशतक जड़े हैं.
खैर, वाडकर की उम्र थोड़ी ज्यादा है लेकिन मालेवार और राठौड़ तो अभी युवा हैं. इस तरह के खिलाड़ियों को अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौके नहीं मिलते हैं तो कुंठा उन्हें घेर लेगी. भारतीय क्रिकेट का यदि आप गहराई से अवलोकन करते हैं तो पांच दिनी प्रारूप के लायक ‘मटेरियल’ कम हो रहा है. सभी टी-20 जैसे तमाशा क्रिकेट में खेलकर और फिर आईपीएल में उतरकर कुछ ही महीनों में लाखों-करोड़ों की कमाई करने के ख्वाहिशमंद हैं, लेकिन इसका असर भी अब साफ नजर आ रहा है. पिछले साल न्यूजीलैंड की टीम भारत को उसी की सरजमीं पर टेस्ट में 3-0 से धोकर चली गई.
ऑस्ट्रेलिया में भी सूरत-ए-हार लगभग ऐसा ही था. टेस्ट की क्वालिटी के खिलाड़ियों की उपज अगर न हो तो हश्र ऐसा ही होगा. लिहाजा मालेवार और राठौड़ जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के रणजी में प्रदर्शन पर राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को गौर करना ही होगा. पिछले कुछ दिनों से रोहित शर्मा, विराट कोहली, ऋषभ पंत के स्तर के खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट में खेलने को कहा जा रहा है.
इससे इन खिलाड़ियों को टेस्ट में खेलने का अभ्यास तो होगा ही, साथ ही घरेलू टीमों के खिलाड़ियों को भी उनसे कुछ सीखने का मौका मिलेगा. यह सही भी है लेकिन रणजी ट्रॉफी जैसे टेस्ट मैच तुल्य मुकाबलों में जिन खिलाड़ियों ने उम्दा प्रदर्शन किया है उन्हें कैसे हाशिये पर किया जा सकता है. खिलाड़ियों का अंतरराष्ट्रीय करियर किस तरह से चौपट हो सकता है, इसका उदाहरण करुण नायर हैं जो संयोग से विदर्भ के लिए ही खेले. टेस्ट में तिहरा सैकड़ा जड़ने पर भी इस खिलाड़ी की कद्र नहीं की गई.
आगे चलकर उनके हिस्से अंतररराष्ट्रीय स्तर पर वनवास ही आया. इस सत्र में नायर ने चार शतक और दो अर्धशतक जड़े और वह फिर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के लिए दरवाजा खटखटा रहे हैं. किसी भी क्रिकेटर के करियर में इस तरह का दौर न आए. उम्मीद है चयनकर्ता रणजी में विदर्भ वीरों के इस सत्र में दमदार प्रदर्शन को नजरअंदाज नहीं करेंगे और उनके साथ न्याय करेंगे.