ब्लॉगः इंग्लैंड में भारतीय बल्लेबाजों का फ्लॉप होना नई बात नहीं, तकनीक में सुधार के बाद ही जीत संभव

By अयाज मेमन | Published: September 5, 2021 01:06 PM2021-09-05T13:06:18+5:302021-09-05T13:07:35+5:30

वर्ष 1932 में सी.के. नायडू की कप्तानी में खेली गई पहली सीरीज से लेकर भारत केवल 1971,1986 और 2007 में ही जीत दर्ज कर पाया है. 

IND vs ENG Indian batsmen flop in England victory is possible only after improvement in technique | ब्लॉगः इंग्लैंड में भारतीय बल्लेबाजों का फ्लॉप होना नई बात नहीं, तकनीक में सुधार के बाद ही जीत संभव

2018 में गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद बल्लेबाज मौके को भुना नहीं पाए.

Highlights इंग्लैंड में इंग्लैंड को हराना भारतीय टीमों के लिए पहेली रही है. पिछले 90 वर्षाें में चोटी के बल्लेबाजों के बावजूद भारतीय टीम सफलता प्राप्त करने के लिए जूझती रही.वर्ष 2007 में राहुल द्रविड़ की अगुवाई में भारत को अंतिम जीत मिली.

IND vs ENG: इंग्लैंड में भारतीय बल्लेबाजों का फ्लॉप होना नई बात नहीं है. वर्तमान दौरे में भी बल्लेबाजों ने निराश किया है. वैसे भी इंग्लैंड में बल्लेबाजी करना चुनौतीपूर्ण रहा है.

वर्ष 1932 में सी.के. नायडू की कप्तानी में खेली गई पहली सीरीज से लेकर भारत केवल 1971,1986 और 2007 में ही जीत दर्ज कर पाया है. अनेक मर्तबा मानसिक रूप से तोड़ निकालने के बावजूद इंग्लैंड में इंग्लैंड को हराना भारतीय टीमों के लिए पहेली रही है. टेस्ट स्टेटस प्राप्त होने के बाद से पिछले 90 वर्षाें में चोटी के बल्लेबाजों के बावजूद भारतीय टीम सफलता प्राप्त करने के लिए जूझती रही.

वर्ष 2007 में राहुल द्रविड़ की अगुवाई में भारत को अंतिम जीत मिली. लेकिन वर्ष 2011 में विश्च चैंपियन बनने के बाद गंभीर, सहवाग, द्रविड़, लक्ष्मण, तेंदुलकर, युवराज, धोनी जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में भारत सीरीज नहीं जीत पाया. 2014 में धोनी की कप्तानी में 1-3 से और 2018 में कोहली के नेतृत्व में 1-4 से टीम को हार का सामना करना पड़ा. 2018 में गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद बल्लेबाज मौके को भुना नहीं पाए.

इंग्लैंड में क्यों मुश्किल है बल्लेबाजी?

इंग्लैंड के वातावरण में तेज गेंदबाजों को अच्छी ¨स्वग मिलती है. गेंद हवा में मूव करती है. ऐसी गेंदें खेलने के लिए आला दज्रे की तकनीक जरूरी है. मैदान हरे-भरे होने से गेंद की चमक पांचों दिन कायम रहती है. साथ ही लहरी मौसम बल्लेबाजों की परेशानी बढ़ाता है. घरेलू मैदान पर इंग्लिश गेंदबाज इसे खूब भुनाते हैं.

लेकिन इसी के साथ डॉन ब्रैडमेन, गैरी सोबर्स, हनीफ मोहम्मद, सुनील गावस्कर, विव रिचर्डस, बॉर्डर, तेंदुलकर, अजहर, लारा, द्रविड़ जैसे चुनिंदा दिग्गजों ने तमाम चुनौतियों से पार पाते हुए सफलता भी अजिर्त की है. यह लिखते वक्त इंग्लैंड का दौरा कर रहे भारतीय बल्लेबाजों का पक्ष नहीं लूंगा.

अब तक का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. खासतौर से मध्यक्रम विफल रहा है. कोहली और ईशांत का यह चौथा दौरा है. रोहित, पुजारा, रहाणो, शमी तीसरी बार जबकि बुमराह और राहुल दूसरी बार खेल रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया में धमाकेददार जीत के बाद सभी को उम्मीद थी कि इंग्लैंड में भी भारत की फतह होगी. हालांकि ऐसा नहीं है. सीरीज अब भी ओपन है. पांचवें टेस्ट तक यह जारी रहेगा. फिर भी भारत के हारने पर बड़ा झटका ही माना जाएगा.

Web Title: IND vs ENG Indian batsmen flop in England victory is possible only after improvement in technique

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