अयाज मेमन का कॉलम: दोनों पारियों में इंग्लैंड की दयनीय अवस्था के लिए विकेट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता
By अयाज मेमन | Published: March 7, 2021 10:17 AM2021-03-07T10:17:55+5:302021-03-07T10:19:03+5:30
ऋषभ पंत ने आक्रामक शैली में बल्लेबाजी करते हुए हमेशा टीम को संकट के दौर से उबारा. ऑस्ट्रेलिया में निर्णायक मौके पर अर्धशतकीय पारियां खेली और मौजूदा सीरीज में शुक्रवार को बेजोड़ शतकीय पारी खेलकर टीम को चौथे टेस्ट में जीत दिलाने में अहम योगदान दिया.
दूसरी पारी में इंग्लैंड जिस तरह 54.5 ओवर में 135 पर ढेर हुए, उसी विकेट पर भारत के अंतिम चार बल्लेबाजों ने मिलकर 219 रन बनाए. इससे इंग्लिश बल्लेबाजों की नकारात्मक मानसिकता झलकती है. इंग्लैंड की खराब प्रदर्शन से भारत के शानदार प्रदर्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पहला टेस्ट हारने के बाद जिस तरह टीम ने वापसी की इससे खिलाडि़यों की मानसिक मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है.
व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिहाज से यह सीरीज रविचंद्रन अश्विन (32 विकेट) और अक्षर पटेल (27) के लिए यादगार साबित हुई. गेंदबाजी में इनकी सटीकता, नियंत्रण और स्पिन का बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं था. इंग्लिश बल्लेबाजों के लिए ये दोनों बुरे सपने के रूप में लंबे समय तक याद रहेंगे. रोहित शर्मा ने मुश्किल विकेटों पर बढि़या बल्लेबाजी का नमूना पेश किया.
रक्षात्मक बल्लेबाजी और आक्रामक, उनकी तकनीक, संतुल, शॉट्स का चयन गजब का रहा. पांच दिनी फॉर्मेट में देरी से चमकने वाला यह बल्लेबाज अपने करियर के चरम पर पहुंच रहे हैं. वाशिंगटन सुंदर ने सत्र की शुरुआत में सफेद गेंद के विशेषज्ञ के रूप में पहचना बनाई थी लेकिन 21 साल की आयु में परिपक्वता और काबिलियत के रूप में अपनी अनूठी छाप छोड़ी है.
उन्होंने और अक्षर ने भारतीय क्रिकेट को मजबूती प्रदान की है. जडेजा यदि चोटिल नहीं होते तो शायद इन दोनों अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिलता. टीम प्रबंधन के सामने अब इन दोनों बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है जो बेहतर भविष्य का संकेत भी है. मेरे लिए सबसे पसंदीदा खिलाड़ी के रूप में ऋषभ पंत हैं. उन्होंसे सीरीज में 270 (सीजन में 502 रन) रन बनाए. ऋषभ पंत केवल बल्लेबाजी में ही छाप छोड़ने में सफल नहीं रहा है, बल्कि बतौर विकेटकीपर आठ कैच और पांच स्टंपिंग के साथ अपनी क्षमता का परिचय दे चुके हैं.