Trump India Tariffs 2025: टैरिफ का मुकाबला करेगी मजबूत घरेलू मांग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: August 18, 2025 05:25 IST2025-08-18T05:25:54+5:302025-08-18T05:25:54+5:30
Trump India Tariffs 2025: वस्तुतः वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से अमेरिका को कुल 86.5 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जो जीडीपी का 2.2 फीसदी है.

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पिछले दिनों 7 अगस्त को प्रकाशित मॉर्गन स्टैनली रिसर्च के एक विश्लेषण में कहा गया है कि अमेरिका के द्वारा भारत से निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लागू किए जाने से विकास दर घटकर 6 फीसदी तक सिमट सकती है, किंतु भारत की मजबूत घरेलू मांग और भारत के सेवा क्षेत्र की ताकत के दम पर भारत अमेरिकी टैरिफ के दबाव को झेल लेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू वृद्धि को सहारा देने के लिए नीतिगत समर्थन बढ़ाया जाना जरूरी होगा. वस्तुतः वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से अमेरिका को कुल 86.5 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जो जीडीपी का 2.2 फीसदी है.
ट्रम्प टैरिफ की वजह से भारत को वस्तु निर्यात में करीब 30 अरब डॉलर की कमी आने की आशंका रहेगी. ऐसे में अमेरिका को निर्यात बाधित होने से भारत के द्वारा निर्यात और विकास दर बढ़ाने के लिए जहां घरेलू खपत बढ़ाने पर जोर देना होगा, वहीं निर्यात के नए बाजार तलाशने की रणनीति पर भी आगे बढ़ना होगा.
उल्लेखनीय है कि इस समय भारत की विकास दर को मजबूत आंतरिक घरेलू आधार मिला हुआ है और इसे लगातार आगे बढ़ाया जाना जरूरी है. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की विकास दर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.
यह भी कहा गया है कि भारत की विकास दर वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर से दोगुना से भी अधिक रहने का अनुमान है. इसी तरह दुनिया की प्रसिद्ध रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में घरेलू खपत में सुधार, रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, बेहतर मानसून, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, महंगाई में कमी, सस्ते कर्ज और अन्य सेक्टरों में सकारात्मक संकेतों के चलते इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर 6.4 प्रतिशत के स्तर पर होगी. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने लोकसभा में कहा कि वैश्विक संस्थाएं भारत को ग्लोबल इकोनॉमी का उज्ज्वल केंद्र मानती हैं.
अर्थ विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेज विकास के लिए आर्थिक, वित्तीय, श्रम और कृषि सुधारों को तेजी से लागू करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा जाना भी जरूरी है.
निश्चित रूप से भारत के मुक्त व्यापार समझौते भारत की वैश्विक व्यापार उपस्थिति को नया रूप देते हुए दिखाई दे रहे हैं. भारत द्वारा ईएफटीए, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और यूके के साथ किए गए एफटीए महत्वपूर्ण हैं. भारत को यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए से मजबूत लाभ हुआ है.
उम्मीद करें कि सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत पर लागू 50 फीसदी टैरिफ की चुनौती से मुकाबला करने के लिए मजबूत घरेलू बाजार की खपत को और मजबूत बनाएगी और भारत को सेवा निर्यात की नई वैश्विक राजधानी बनाने के लिए हर संभव पहल करेगी. ऐसी रणनीति से अमेरिकी टैरिफ चुनौतियों के बीच भी भारत विकास दर की डगर पर आगे बढ़ते दिख सकेगा.