रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचते शेयर बाजार में पूंजी प्रवाह का सैलाब, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: August 19, 2021 01:49 PM2021-08-19T13:49:26+5:302021-08-19T13:50:40+5:30
वर्ष 2021 में अब तक 50 से अधिक कंपनियां भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास अपने आईपीओ आवेदन जमा करा चुकी हैं.
शेयर बाजार में तेजी को देखकर आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की होड़ लग गई है. खासतौर से शेयर बाजार के बेहतर परिदृश्य के मद्देनजर एफएमसीजी, ऊर्जा, रसायन, बीमा तथा बैंकिंग क्षेत्न की विभिन्न कंपनियां आईपीओ के लिए तेजी से आगे बढ़ी हैं.
वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में आईपीओ के लिए आवेदनों का सैलाब आ गया है. इस वर्ष 2021 में अब तक 50 से अधिक कंपनियां भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास अपने आईपीओ आवेदन जमा करा चुकी हैं. यह संख्या पिछले दो वर्षो के कुल आईपीओ आवेदनों से भी अधिक है. दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत का शेयर बाजार छलांगें लगाकर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है.
पिछले वर्ष 23 मार्च 2020 को जो बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह 17 अगस्त को 55792 के स्तर पर पहुंच गया. शेयर बाजार का यह चमकीला परिदृश्य निवेशकों, उद्योग-कारोबार और सरकार तीनों के लिए लाभप्रद है. चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों यानी अप्रैल से जुलाई 2021 में शेयर बाजार के निवेशकों ने 31 लाख करोड़ रुपए की कमाई की है. आईपीओ में खुदरा निवेशकों की भागीदारी 25 फीसदी बढ़ी है. पिछले वित्त वर्ष में 1.4 करोड़ से ज्यादा डीमैट खाते खुले हैं.
देश में डीमैट खातों की संख्या 6.5 करोड़ से ज्यादा हो गई है. इस समय दुनियाभर के विकासशील देशों के शेयर बाजारों की तस्वीर में भारतीय शेयर बाजार की स्थिति शानदार दिखाई दे रही है. यह बात महत्वपूर्ण है कि शेयर बाजार में आई तेजी की वजह से दशक में पहली बार भारत की लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से ज्यादा हो गया है.
इस लिहाज से बाजार पूंजीकरण और जीडीपी का अनुपात 100 फीसदी को पार कर गया है. अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, हांगकांग, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों में भी यह अनुपात 100 फीसदी से अधिक है. देश में शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने के कई कारण दिखाई दे रहे हैं.
देश के निवेशक यह देख रहे हैं कि कोरोना की चुनौतियों के बीच वर्ष 2021-22 में विकास दर 8 से 9 फीसदी तक पहुंच सकती है. शेयर बाजार की बढ़त के परिदृश्य और कंपनियों के बेहतर परिणाम से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. ऐसे में निवेशकों की शेयर बाजार से अच्छी कमाई की उम्मीदें बढ़ी हैं. भारत समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने बाजार में बड़ी मात्ना में पूंजी डाली है.
ऐसे में इस समय ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से नीचे हैं. निवेशक यह भी देख रहे हैं कि करीब छह फीसदी से अधिक के मुद्रा प्रसार के बीच फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) पर प्राप्त होने वाला लाभ शेयर बाजार के लाभ से कम है. भारत में कोरोना से जंग के लिए दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 से सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है.
अमेरिका के साथ भारत के अच्छे संबंधों की संभावनाओं से भी निवेशकों की धारणा को बल मिला है. भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा मजबूत होने से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में पूंजी लगाने में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं. नि:संदेह इस समय जब भारत में शेयर बाजार के तेजी आगे बढ़ने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं, तब शेयर बाजार की उभरकर दिखाई दे रही चुनौतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है.
शेयर बाजार में जिस तरह लंबे समय से सुस्त पड़ी हुई कंपनियों के शेयर की बिक्री कोविड-19 के बीच तेजी से बढ़ी है, उससे शेयर बाजार में जोखिम भी बढ़ गया है. अतएव इसका सबसे अधिक ध्यान रिटेल निवेशकों के द्वारा रखा जाना होगा और हर कदम फूंक-फूंककर रखना जरूरी होगा. निवेशकों और कारोबारियों के द्वारा अपने अतिउत्साह की मनोवृत्ति पर भी नियंत्नण रखा जाना होगा.
यह बात ध्यान में रखनी होगी कि जब लहर उतरती है तभी हमको मालूम पड़ता है कि कौन बिना वस्त्नों के तैर रहा था. स्पष्ट है कि शेयर बाजार का रुझान बदलने पर मंदी की स्थिति भी निर्मित हो सकती है. हम उम्मीद करें कि शेयर बाजार की मौजूदा तेज बढ़त के मद्देनजर जहां निवेशक शेयर बाजार का लाभ लेने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे.
वहीं सरकार भी चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपए विनिवेश लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तेजी से आगे बढ़ेगी. उम्मीद करें कि कोविड-19 से ध्वस्त देश के उद्योग-कारोबार सेक्टर को पुनर्जीवित करने में शेयर बाजार प्रभावी भूमिका निभाएगा. साथ ही शेयर बाजार में आईपीओ की बढ़ती बाढ़ के बीच सेबी की भूमिका और प्रभावी होगी.