संदीप पांडेय का ब्लॉग: लोक परिसंपत्तियां बेचती सरकार
By संदीप दाहिमा | Published: August 21, 2019 02:25 PM2019-08-21T14:25:32+5:302019-08-21T14:25:32+5:30
विदेशी पूंजी निवेश हेतु सीमा हटा ली जाएगी ताकि एयर इंडिया जैसी इकाइयों को बेचा जा सके जिसे पिछली सरकार के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद बेचा न जा सका.
संदीप पांडेय
16वीं लोकसभा की 2017-18 की संसदीय रक्षा समिति ने भारत में ही अभिकल्पित, विकसित व निर्मित की अवधारणा पर जोर दिया. समिति ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान, आर्डनेंस कारखाने व रक्षा विभाग से संबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों में निर्मित एवं विकसित उपकरणों में आयात के अंश पर चिंता प्रकट की जिसकी वजह से सेना के उपकरणों के लिए हमें विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है.
2013-14 में आर्डनेंस कारखानों का आयात अंश 15.15 प्रतिशत था जो 2016-17 में घट कर 11.79 प्रतिशत पर आ गया. रक्षा विभाग के अन्य बड़े सार्वजनिक उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड व भारत डायनामिक्स लिमिटेड की तुलना में आर्डनेंस कारखानों का आयात अंश कम है जो दर्शाता है कि उसने प्रयासपूर्वक उपकरणों के निर्माण में लगने वाले पुर्जो को खुद विकसित किया है और यह स्थिति बरकरार रखी है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के मुताबिक मोदी सरकार-2 में एक सौ दिनों का तेजी से आर्थिक सुधारों का कार्यक्रम लिया गया है जिसके तहत सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश किया जाएगा व जिन विभागों को अभी तक नहीं छुआ गया है जैसे आर्डनेंस कारखाने को कंपनी के रूप में तब्दील किया जाएगा. वे इस बात को छुपाते नहीं कि विदेशी कंपनियां इस बात से बहुत खुश होंगी कि सरकार के पास जो अतिरिक्त जमीनें हैं उन्हें वे खरीद सकती हैं क्योंकि इनमें उन्हें किसानों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.
आर्डनेंस कारखानों के पास ही सिर्फ 60,000 एकड़ जमीन है. इसी अवधि में 40 से ऊपर सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो जाएगा अथवा वे बंद हो जाएंगे. विदेशी पूंजी निवेश हेतु सीमा हटा ली जाएगी ताकि एयर इंडिया जैसी इकाइयों को बेचा जा सके जिसे पिछली सरकार के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद बेचा न जा सका.
सरकार के निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग, जिसका नाम भ्रमित करने वाला है, का काम है सार्वजनिक परिसंपत्तियां बेचना. जब परिसंपत्तियां बिक ही जाएंगी तो प्रबंधन किस चीज का होगा?