Manmohan Singh death latest updates: कम ही लोग हासिल कर पाते हैं इतनी उपलब्धि
By अवधेश कुमार | Updated: December 28, 2024 05:24 IST2024-12-28T05:24:55+5:302024-12-28T05:24:55+5:30
Manmohan Singh death latest updates: शानदार ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री एवं प्रोफेसर बनना, वहां से वित्त सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के प्रमुख, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख, वित्त मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे तथा 10 वर्ष का रिकॉर्ड भी बनाया.

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Manmohan Singh death latest updates: डॉ. मनमोहन सिंह हमारे बीच से 92 वर्ष की उम्र में गए हैं. यानी उन्होंने भरपूर जीवन जिया. किंतु मनुष्य के जीवन का अर्थ उसकी सार्थकता में है. उनके पूरे जीवन पर दृष्टि दौड़ाएं तो बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने इतनी उपलब्धियां प्राप्त कीं. उनकी गिनती गिने-चुने लोगों में होगी जिन्होंने एक विस्थापित और शरणार्थी परिवार के रूप में भारत में शुरुआत की और लगातार किसी न किसी रूप में भारत के नीति निर्माण में संलग्न रहे तथा सत्ता शीर्ष तक पहुंचे. इन अर्थों में उनका जीवन सबके लिए प्रेरणादायी है.
अत्यंत कठोर जीवन से आरंभ कर परिश्रम की बदौलत उच्च शिक्षा प्राप्त करना, शानदार ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री एवं प्रोफेसर बनना, वहां से वित्त सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के प्रमुख, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख, वित्त मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे तथा 10 वर्ष का रिकॉर्ड भी बनाया.
स्वतंत्रत भारत के इतिहास में शायद ही कोई गैरराजनीतिक और गैरनौकरशाही पृष्ठभूमि से निकलकर लगातार भारत के नीति निर्माण में इतने सक्रिय स्तरों पर बने रहने वाला दिखेगा. मनुष्य की नियति तो होती है किंतु अपने कर्मों से उसे साकार करना और अपनी योग्यता क्षमता साबित करने का दायित्व हम पर है. डॉक्टर मनमोहन सिंह इन कसौटियों पर खरे उतरते हैं.
जब उनके प्रधानमंत्री बनने का समाचार सार्वजनिक हुआ उसके पहले किसी की कल्पना में भी नहीं था. उन्होंने लोकप्रिय राजनेता अटलबिहारी वाजपेयी के बाद देश की बागडोर संभाली थी और गठबंधन दलों के साथ. तब देश को दस वर्षों तक राजनीतिक स्थिरता उन्हीं के प्रधानमंत्रित्व काल में मिली.
प्रधानमंत्री के रूप में उनकी अनेक उपलब्धियां थीं, पर वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने संपूर्ण अर्थव्यवस्था का वर्णक्रम बदल दिया, नीतियों, सोच और ढांचों में ऐसी आधारभूमि विकसित कर दी जिन पर देश यहां तक बढ़ा है. जब 1991 में नरसिंह राव ने कांग्रेस की अल्पमत सरकार का गठन किया तो उनके सामने कई चुनौतियां थीं जिनमें सबसे मुख्य अर्थव्यवस्था को संभालना था.
उन्होंने डॉ. सिंह को फोन किया कि आपको कल वित्त मंत्री की शपथ लेनी है. दोनों ने आर्थिक व वित्तीय हालात की गहन समीक्षा की और फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के संपूर्ण वर्णक्रम का बदलाव आरंभ हो गया. यह कहना सही होगा कि जिस समय मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री का प्रभार संभाला, उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर पड़ी हुई थी. नरसिंह राव और मनमोहन सिंह की जोड़ी को स्थिति बदलनी थी और उन्होंने सफलतापूर्वक ऐसा किया.