जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: निर्यात में बढ़त का नया दौर

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: September 18, 2021 05:49 PM2021-09-18T17:49:47+5:302021-09-18T17:51:01+5:30

केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा निर्यातकों के लिए समन्वित रूप से काम करना होगा. भारतीय उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार का विस्तार करना होगा.

Jayantilal Bhandari blog: A new era of grotwth in export | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: निर्यात में बढ़त का नया दौर

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: निर्यात में बढ़त का नया दौर

हाल ही में सरकार ने निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के लिए दो महत्वपूर्ण योजनाएं घोषित की हैं. इनमें से एक निर्यात की संभावना रखने वाले सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहन देने के लिए ‘उभरते सितारे’ योजना है और दूसरी योजना रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टैक्सेस ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) स्कीम है. 

इसके तहत सरकार द्वारा आगामी तीन वर्ष तक 8555 उत्पादों को तैयार करने वाले निर्यातकों को उनके द्वारा केंद्र, राज्य सरकार तथा स्थानीय निकायों को दिए गए टैक्स का रिफंड दिया जाएगा. 
खास बात यह है कि आरओडीटीईपी के तहत जो कर छूट दी गई हैं, वे विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप हैं और इन पर कोई आपत्ति नहीं उठाई जा सकेगी.

ये दोनों योजनाएं इस समय देश से तेजी से बढ़ते हुए निर्यातों को नई गति दे सकती हैं. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्नालय की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2021 में भारत से उत्पादों का निर्यात 33.14 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल 2020 की समान अवधि की तुलना में 45.17 फीसदी अधिक है. 

चालू वित्त वर्ष 2021-22 में अप्रैल-अगस्त के पांच महीनों के दौरान भारत का निर्यात 163.67 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 66.92 फीसदी अधिक है तथा 2019 की समान अवधि की तुलना में 22.93 फीसदी अधिक है. 
निर्यात की इस तेज वृद्धि के कारण भारत चालू वित्त वर्ष में अपने 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य का करीब 41 फीसदी मुट्ठी में कर चुका है. लगातार पांच महीने से निर्यात में बढ़ोत्तरी न सिर्फ बेहतर अर्थव्यवस्था का संकेत दे रही है, अपितु यह निर्यात में स्थिरता का भी प्रतीक है. 

पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग के सामान, फॉर्मा और रत्न एवं आभूषण क्षेत्न में मांग ज्यादा होने से निर्यात में तेजी आई है.
सरकार के द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से देश के निर्यात बढ़ने लगे हैं. 

उदाहरण के लिए एक साल पहले देश 8 अरब डॉलर मूल्य के मोबाइल फोन का आयात करता था. अब 3 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात कर रहा है. यदि हम देश के वर्तमान निर्यात परिदृश्य को देखें तो पाते हैं कि अमेरिका, यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात सहित दुनिया के विभिन्न विकसित और विकासशील देशों को निर्यात तेजी से बढ़ रहे हैं.

यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोनाकाल में जब दुनिया के कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण कृषि पदार्थो का निर्यात करने में पिछड़ गए, ऐसे में भारत ने इस अवसर का दोहन करके कृषि निर्यात बढ़ा लिया. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक देश दुनिया के पहले दस बड़े कृषि निर्यातक देशों में चमकते हुए दिखाई दे रहा है.

पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश से 41.25 अरब डॉलर मूल्य के कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का निर्यात किया गया. यह सालभर पहले के इसी अवधि के 35.15 अरब डॉलर मूल्य की तुलना में 17.34 फीसदी ज्यादा रहा है. चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल से अगस्त के बीच भी कृषि निर्यात तेजी से बढ़े हैं. 

भारत से अनाज, गैर-बासमती चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है. भारत के कृषि उत्पादों के बड़े बाजारों में अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, नेपाल, ईरान और मलेशिया शामिल हैं.

लेकिन विश्व व्यापार संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक निर्यात में अभी भारत की स्थिति कमजोर बनी हुई है. कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2 फीसदी सेभी कम है. दुनिया के जिन देशों पर चीन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई आर्थिक दबाव है, उन देशों में भी भारत से निर्यात की चुनौतियां बनी हुई हैं.

इसलिए देश की अर्थव्यवस्था में निर्यात की भूमिका को प्रभावी बनाने के साथ-साथ निर्यात की प्रचुर संभावनाओं को मुट्ठियों में करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा. गुणवत्तापूर्ण और वैश्विक स्तर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना होगा. ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स में आने वाली समस्याओं का शीघ्र निराकरण करना होगा. 

केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा निर्यातकों के लिए समन्वित रूप से काम करना होगा. भारतीय उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार का विस्तार करना होगा. आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के कारगर क्रियान्वयन पर अधिक ध्यान देना होगा. निर्यात बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के ऋण अनुपात को बढ़ाना होगा. 

निजी क्षेत्र के लिए घरेलू ऋण जीडीपी के प्रतिशत के रूप में 50 फीसदी है जबकि चीन में यह भारत की तुलना में करीब तीन गुना है. उद्योगों के लिए बिजली की लागत में कमी तथा श्रम कानून व अन्य बाधाएं दूर करने की भी जरूरत है. 

यह भी जरूरी है कि सरकार के द्वारा यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों के साथ एफटीए की बातचीत को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाए. इससे देश के निर्यात में तेजी से वृद्धि होगी. 

यह भी आवश्यक है कि देश से कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए कृषि निर्यात क्षेत्रों में सरकारी और निजी निवेश बढ़ाने, निर्यात से संबंधित प्रमुख फसलों की उत्पादकता और वैल्यूचेन बढ़ाने तथा वैश्विक निर्यात बाजार में कृषिगत वस्तुओं के निर्यात के लिए उचित मूल्य दिलाने हेतु सरकार नई रणनीति के साथ आगे बढ़े.

Web Title: Jayantilal Bhandari blog: A new era of grotwth in export

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे