इजराइल-ईरान युद्ध से बढ़ती भारत की आर्थिक चिंताएं, भारत में महंगाई, रुपए पर दबाव और आयात बिल बढ़ने के साथ-साथ...
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: June 21, 2025 06:09 IST2025-06-21T06:09:24+5:302025-06-21T06:09:24+5:30
Israel-Iran war: युद्ध के बढ़ने से निर्मित ऐसी चुनौतियों से मुकाबला के लिए भारत को नई रणनीति के साथ तैयार रहना भी जरूरी है.

सांकेतिक फोटो
Israel-Iran war: इन दिनों इजराइल और ईरान के बीच लगातार बढ़ते हुए युद्ध से अमेरिका, यूरोप, चीन और हांगकांग सहित दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं, शेयर बाजार और जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर गहरा असर दिखाई दे रहा है, लेकिन भारत शेयर बाजार, महंगाई, खाद्यान्न और दवाई सहित सभी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति के मोर्चों पर बेहतर स्थिति में है. ऐसे बेहतर परिदृश्य के बावजूद युद्ध के लंबा खिंचने, कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि, होरमुज जलडमरूमध्य मार्ग पर किसी भी तरह की रुकावट और वैश्विक आपूर्ति में कमी से भारत में भी महंगाई, रुपए पर दबाव और आयात बिल के बढ़ने के साथ-साथ व्यापार घाटे में भी वृद्धि दिखाई दे सकती है. युद्ध के बढ़ने से निर्मित ऐसी चुनौतियों से मुकाबला के लिए भारत को नई रणनीति के साथ तैयार रहना भी जरूरी है.
चूंकि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का करीब 85 प्रतिशत आयात करता है, ऐसे में व्यापार घाटे को बढ़ने से बचाने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने जरूरी हैं. गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत से कुल माल और सेवाओं का कुल निर्यात 824 अरब डॉलर रहा है. जबकि भारत का कुल आयात 918 अरब डॉलर रहा.
ऐसे में पिछले वर्ष व्यापार घाटा करीब 94 अरब डॉलर रहा है. इसके पूर्ववर्ती वर्ष 2023-24 में भारत का व्यापार घाटा करीब 78 अरब डॉलर रहा था. ऐसे में अब इजराइल-ईरान युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के साथ वैश्विक व्यापार में कमी आने की आशंका से भारत का व्यापार घाटा इस वर्ष 2025-26 में और बढ़ सकता है.
इसमें दो मत नहीं हैं कि कच्चे तेल की बढ़ती मूल्य चुनौती के बीच देश से सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) बढ़ाकर व्यापार घाटे में कमी लाई जा सकती है. इस समय पूरी दुनिया में भारत सेवा निर्यात की डगर पर छलांगें लगाकर आगे बढ़ रहा है. भारत को सेवा निर्यात की नई वैश्विक राजधानी के रूप में रेखांकित किया जा रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का सेवा निर्यात करीब 387.5 अरब डॉलर का रहा है.
इन सबके साथ-साथ युद्ध की चुनौती के बीच भारत की नई वैश्विक व्यापार रणनीति के तहत नए मुक्त व्यापार समझौतों और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों से व्यापार घाटे में कमी लाई जानी होगी. भारत के द्वारा ब्रिटेन के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते के बाद अब अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण किए जाने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ना होगा.
इस समय भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार समझौते (बीटीए) के शुरुआती चरण के लिए वार्ता तेजी से आगे बढ़ रही है. भारत के द्वारा ओमान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाना होगा. ऐसे रणनीतिक प्रयासों का तात्कालिक लाभ अभी से इन देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार और निर्यात बढ़ने के रूप में दिखाई देना शुरू हो सकता है.