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भारत का खिलौना निर्यात 300 करोड़ रुपए से बढ़कर हुआ 2600 करोड़, वैश्विक बाजार में चीन को दे रहा टक्कर

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: February 25, 2023 15:02 IST

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023-24 के बजट में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने रणनीतिक पहल की है। सरकार ने खिलौना उद्योग को देश के 24 प्रमुख सेक्टर में स्थान दिया है। भारतीय खिलौनों को वैश्विक खिलौना बाजार में बड़ी भूमिका निभाने हेतु खिलौना उद्यमियों को प्रेरित किया गया है।  

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इस समय देश और दुनिया में भारतीय खिलौना उद्योग की बहुत कम समय में हासिल ऐसी सफलता रेखांकित हो रही है, जिसकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। इस समय चारों ओर भारत के सस्ते और गुणवत्तापूर्ण खिलौना उद्योग का सुकूनदेह परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। भारत से  खिलौनों के तेजी से बढ़ते हुए निर्यात और घटते हुए आयात का नया लाभप्रद अध्याय भी रेखांकित हो रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में 21 फरवरी को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूलों के लिए तैयार हो रहे पाठ्यक्रम के अमल की तैयारियों के बीच शिक्षा मंत्रालय ने सभी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए जिन खिलौनों का इस्तेमाल हो, वह पूरी तरह से भारतीय हों और देश में बने हों। इनका भारतीय मानक ब्यूरो से सर्टीफिकेशन भी जरूरी है।

गौरतलब है कि अब वह समय बीत गया है कि जब तीन-चार वर्षों पहले तक भारत खिलौने के लिए बहुत कुछ दूसरे देशों पर निर्भर था और भारत में 80 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आया करते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक देश में खिलौना उद्योग के रणनीतिक विकास से भारत में पिछले तीन वर्षों में खिलौने के आयात में 70 फीसदी की कमी आई है। साथ ही भारत का खिलौना निर्यात करीब 300 करोड़ रुपए से तेजी से बढ़कर करीब 2600 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। भारत से अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों को खिलौने निर्यात किए जा रहे हैं। इस समय भारतीय खिलौना उद्योग का कारोबार करीब 1.5 अरब डॉलर का है जो वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 0.5 फीसदी मात्र है। लेकिन जिस तरह भारत में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, उससे खिलौना उद्योग छलांगें लगाकर बढ़ते हुए 2024 तक 3 अरब डॉलर तक की ऊंचाई पर पहुंचने की संभावनाएं रखता है।

देश में घरेलू खिलौना बाजार को ऊंचाई मिलने के कई कारण उभरकर दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2019 में एक सरकारी सर्वेक्षण में पाया गया कि चीन से 67 फीसदी खिलौना आयात असुरक्षित था। चीनी खिलौने में सीसा, कैडमियम और बेरियम के असुरक्षित तत्व पाए गए। इसके बाद, असुरक्षित खिलौनों को देश में प्रवेश करने से रोकने और स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। सरकार ने देश में खिलौना बाजार से जुड़े तमाम खिलौना निर्माताओं और कारोबारियों को प्रोत्साहित किया। फरवरी 2020 में खिलौनों पर सीमा शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया। यह स्थानीय निर्माताओं को प्रेरित करने के लिए किया गया। जनवरी 2021 में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू हुआ, जिसके अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खिलौने को 7 भारतीय मानकों के अनुरूप होना अनिवार्य बनाया गया।

यह बात महत्वपूर्ण है कि सरकार ने 2021 में टॉयकैथॉन और टॉय फेयर की शुरुआत की, जो भारत के खिलौना निर्माताओं को अपने खिलौने प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करते हैं और भारतीय खिलौना निर्माण उद्योग की क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। इन अभियान ने युवाओं और स्टार्ट-अप्स को देश की खिलौना अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए आगे आने के लिए प्रेरित किया। विदेशी खिलौनों पर बीआईएस गुणवत्ता चिह्न की कमी और नकली लाइसेंस के उपयोग के कारण उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए ने खिलौनों की गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के कथित उल्लंघन के लिए कठोर कदम उठाए।  

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023-24 के बजट में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने रणनीतिक पहल की है। सरकार ने खिलौना उद्योग को देश के 24 प्रमुख सेक्टर में स्थान दिया है। भारतीय खिलौनों को वैश्विक खिलौना बाजार में बड़ी भूमिका निभाने हेतु खिलौना उद्यमियों को प्रेरित किया गया है।  

यद्यपि देश का खिलौना उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन अभी भी देश के खिलौना सेक्टर को चमकीली ऊंचाई देने के लिए खिलौना क्षेत्र के तहत एक लंबे समय से चली आ रही कई बाधाओं को हटाया जाना जरूरी है। खिलौना उद्योग के विकास से संबंधित विभिन्न एजेंसियों के बीच उपयुक्त तालमेल बनाया जाना जरूरी है। देश में चीन की तरह खिलौने के विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को आकार देने की जरूरत है। अभी खिलौनों पर जीएसटी की दर 12-18 फीसदी के बीच है, इसमें भी कटौती की गुंजाइश है, जिससे खिलौनों की कीमत में और कमी आएगी। अधिकांश भारतीय खिलौने ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए, ताकि घरेलू खिलौनों की बिक्री को और बढ़ाया जा सके।

हम उम्मीद करें कि सरकार देश को खिलौनों का वैश्विक हब बनाने और खिलौनों के वैश्विक बाजार में चीन को और अधिक टक्कर देने की रणनीति की डगर पर और तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार खिलौना बनाने वाले कारीगरों के लिए नए आइडिया और सृजनात्मक तरीके से गुणवत्तापूर्ण कौशल प्रशिक्षण को उच्च प्राथमिकता देगी। इन सब उपायों से जहां सस्ते और गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी खिलौने बच्चों को अधिक मुस्कुराहट देते हुए दिखाई देंगे, वहीं खिलौना उद्योग में रोजगार के मौके और तेजी से बढ़ेंगे और खिलौनों के अधिक निर्यात से अधिक विदेशी मुद्रा की कमाई भी की जा सकेगी।  

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