कर्ज में डूब रहें भारतीय परिवार, रोजमर्रा के खर्च के लिए भी करना पड़ रहा है जुगाड़
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 7, 2018 11:07 PM2018-09-07T23:07:22+5:302018-09-07T23:07:22+5:30
अक्सर हम पढ़ते हैं कि एक रु पए में फ्रिज घर ले जाएं, शेष राशि किस्तों में चुकाएं। फ्यूचर रिटेल के आउटलेट्स में पिछले साल 3 हजार करोड़ रुपए की बिक्री पर्सनल लोन से हुई।
प्रकाश बियाणी
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार देश में व्यक्तिगत कर्ज की राशि 5,76,600 करोड़ रु. हो गई है। देश की बहुसंख्यक आबादी आज उपभोक्ता सामान- मोटर कार, एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एलईडी, माइक्रोवेव ओवन, फर्नीचर और स्मार्टफोन क्रेडिट कार्ड्स या गैर बैंकिग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) से कर्ज लेकर खरीद रही है। विदेश यात्ना भी कर्ज लेकर हो रही है।
होम लोन सहित पर्सनल लोन की मासिक किस्त चुकाने के बाद उनके पास कुछ नहीं बचता। माह की समाप्ति पर उन्हें रोजमर्रा के खर्च के लिए भी जुगाड़ करना पड़ रहा है। कर्ज आधारित इस जीवन शैली का दुष्परिणाम है कि व्यक्तिगत बचत घटती जा रही है। याद करें कि 2007 में लेहमेन ब्रदर्स दिवालिया हुआ था तो ग्लोबल इकोनॉमी चक्रव्यूह में फंस गई थी। भारतीय बैंक कर्ज देने में उदार नहीं थे और हम बचत करते थे इसलिए हमारा देश तब अमेरिका, यूरोप जैसी दुर्दशा से बच गया था।
वे दिन गए जब बैंक से पर्सनल लोन मिलता ही नहीं था और मिलता था तो लंबी प्रक्रि या थी। आज मॉल या सुपर मार्केट में एनबीएफसी के प्रतिनिधि पोर्टेबल फिंगर प्रिंट मशीन से सेकेंड्स में आधार कार्ड का सत्यापन करके ऑन स्पॉट मिनटों में पर्सनल लोन दे देते हैं। कम ब्याज, कम दस्तावेज और बिना गारंटी के कर्ज से मॉल और सुपर मार्केट रिटेल बिक्री बढ़ा रहे हैं।
अक्सर हम पढ़ते हैं कि एक रु पए में फ्रिज घर ले जाएं, शेष राशि किस्तों में चुकाएं। फ्यूचर रिटेल के आउटलेट्स में पिछले साल 3 हजार करोड़ रुपए की बिक्री पर्सनल लोन से हुई। एक निजी कंपनी का कंजुमर फायनेंस बिजनेस विगत 5 सालों में 13,000 करोड़ रु., से बढ़कर 39,000 करोड़ रु. हो गया है। कंपनी के 1.5 करोड़ कस्टमर कार्ड्स से ग्राहक क्रेडिट कार्ड्स की तरह खरीदी कर रहे हैं।
चीन के बाद भारत का रिटेल मार्केट सबसे बड़ा है जहां पर्सनल लोन के मामले में हमने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। चीन में पर्सनल लोन 5.5 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं तो भारत में 15.7 फीसदी की दर से। भारत में बैंक लोन से चार गुना ज्यादा पर्सनल लोन बढ़ रहा है। यह इस बात का प्रमाण है कि हमने चार्वाक की थ्योरी ‘कर्ज लो और घी पियो’ को आत्मसात कर लिया है। बचत करना देश हित में ही नहीं वरन व्यक्तिगत हित में भी है। जो लोग आज बचत कर नहीं रहे हैं वे कल रिटायर्ड होंगे तो कैसे जीवन यापन करेंगे? तब तो उन्हें कोई कर्ज भी नहीं देगा।