मुद्रा का इतिहास और बैंकिंग का भविष्य, जानिए क्या है फिनटेक और टेकफिन

By अमित पाण्डेय | Published: June 17, 2019 06:05 PM2019-06-17T18:05:04+5:302019-06-17T18:08:45+5:30

अलीबाबा ग्रुप के जैक मा का कहना है, 'भविष्य में वित्तीय उद्योग में दो बड़े अवसर हैं। एक है ऑनलाइन बैंकिंग, जिसके तहत सभी वित्तीय संस्थान ऑनलाइन हो जाएंगे। दूसरा है इंटरनेट फाइनैंस, जिसकी अगुवाई पूरी तरह आउटसाइडर्स (टेकफिन) करेंगे।'

history of money and future of banking fintech to techfin | मुद्रा का इतिहास और बैंकिंग का भविष्य, जानिए क्या है फिनटेक और टेकफिन

बैंकिंग व्यवस्था में सबसे अच्छी मु्द्रा वो है जिसे वस्तुओं और सेवाओं के हस्तांतरण के लिए सबसे ज्यादा और आसानी से इस्तेमाल किया जाए।

करीब 75 हजार साल पहले जब आधुनिक मानव या होमो सेपियंस वजूद में आए तो कुछ ही समय में उन्हें जरूर पता चल गया होगा कि इस दुनिया में कुछ पाने के लिए कुछ देना पड़ता है। 'गिव एंड टेक' के इस सिद्धान्त ने आगे चलकर वस्तु-विनिमय और फिर मुद्रा को जन्म दिया। करीब 10 हजार साल पहले मनुष्य खेती करने लगा था। इससे उसके जीवन में दो बदलाव आए - 1) जरूरत से अधिक पैदावार और 2) स्थायित्व। स्थायित्व ने कई नई आवश्यकताओं को जन्म दिया, जिसे अतिरिक्त पैदावार से पूरा किया जाने लगा।

उस समय पैसा तो था नहीं, इसलिए अन्न और पशु पैसे की तरह इस्तेमाल होने लगे। अन्न और पशु आसानी से उपलब्ध थे और सभी को इनकी जरूरत थी। एक तरह से ये नकदी के समान थे। ऋग्वेद (4।24।10) में हम इसका वर्णन भी पाते हैं, जब एक विक्रेता कहता है - 'क: इमं दशभिर्ममेन्द्रं क्रीणाति धेनुभि:' यानी इंद्र की इस मूर्ति को दस गायों के बदले कौन खरीदेगा।

व्यापार की जटिलता बढ़ने के साथ ही अन्न और पशुओं की जगह सोने और चांदी के आभूषणों ने ले ली। इनके जरिए बड़े सौदे करना और दूर देश के साथ व्यापार आसान था। वैदिक काल में ही एक निश्चित द्रव्यमान का स्वर्ण आभूषण जिसे 'निष्क' कहते थे, भारत की पहली मुद्रा के रूप में प्रचलित हो गया। आजकल भारत में ज्वैलरी का प्रमुख ब्रांड तनिष्क का नाम इसी आभूषण से प्रेरित है।

इसके बाद तो जैसे पैसे को पंख लग गए। मौर्य और गुप्त राजाओं ने बड़ी संख्या में सोने-चांदी के सिक्के चलाए। शेरशाह सूरी ने पहली बार रुपया नाम से मुद्रा प्रचलित की। ये नाम आज भी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है। दुनिया में 1661 में पहली बार बैंक नोट छपे और 1946 में पहला क्रेडिट कार्ड बाजार में आया। 1999 में यूरोपीय बैंकों ने स्मार्टफोन की मदद से मोबाइल बैंकिंग की शुरुआत की। आज दुनिया बिटक्वाइन के रूप में क्रिप्टोकरेंसी की बात कर रही है।

चोरी का डर और बैंकिंग की शुरुआत

मुद्रा का प्रचलन बढ़ने के साथ ही इसके चोरी होने का खतरा भी बढ़ गया। इसलिए बैंकिंग की शुरुआत हुई। बैंक में जमा पैसा दूसरे जरूरतमंद लोगों को दिया जाने लगा। वैदिक काल में ब्याज पर धन दिया जाता था और ऋण देकर ब्याज लेने वाले व्यक्ति को 'वेकनाट' कहा जाता था।

बैंकिंग व्यवस्था में सबसे अच्छी मु्द्रा वो है जिसे वस्तुओं और सेवाओं के हस्तांतरण के लिए सबसे ज्यादा और आसानी से इस्तेमाल किया जाए। इसका टिकाऊ होना भी जरूरी है। धीमे-धीमे प्रत्येक देश में केंद्रीय बैंक की शुरुआत हुई। केंद्रीय बैंक मुद्रा की सप्लाई सुनिश्चित करता है। आज टेक्नालॉजी ने मुद्रा और बैंकिंग दोनों की सूरत को बदल दिया है। मोबाइल वॉलेट्स, पेमेंट बैंक और इनटच बैंकिंग का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है।

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने तो कई शहरों में डिजिटल ब्रांच की शुरुआत भी कर दी है। ये मानव रहित ब्रांच हैं, जहां सभी काम मशीनें करेंगी। फेसबुक और टेलीग्राम सहित कई सोशल मीडिया और मेसेजिंग कंपनियां अपनी क्रिप्टोकरंसी लाने पर काम कर रही हैं। मनी-ट्रांसफर का ये तरीका बहुत ही आसान और तेज होगा। व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजने जितना आसान।

फिनटेक और टेकफिन

चीन के अलीबाबा समूह के संस्थापक और प्रमुख जैक मा (file photo)
चीन के अलीबाबा समूह के संस्थापक और प्रमुख जैक मा (file photo)
भविष्य की बैंकिंग की बात करें तो आजकल दो शब्द तेजी से प्रचलित हो रहे हैं- फिनटेक (Fintech) और टेकफिन (Techfin)। फिनटेक वे वित्तीय कंपनियां हैं जो काम में तेजी लाने और लागत में कटौती के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं। टेकफिन इससे अलग हैं और उनका नजरिया भी अलग है। ये मूल रूप से टेक्नालॉजी कंपनियां हैं जो मुद्रा, वित्त और बैंकिंग की दुनिया को बदलने के लिए तैयार हैं। 

अलीबाबा ग्रुप के जैक मा का कहना है, 'भविष्य में वित्तीय उद्योग में दो बड़े अवसर हैं। एक है ऑनलाइन बैंकिंग, जिसके तहत सभी वित्तीय संस्थान ऑनलाइन हो जाएंगे। दूसरा है इंटरनेट फाइनैंस, जिसकी अगुवाई पूरी तरह आउटसाइडर्स (टेकफिन) करेंगे।' यानी साफ है कि आने वाले वक्त में टेकफिन बुनियादी वित्तीय सेवाओं को संभालेंगे और अपनी टेक्नालॉजी में बेहतर करते जाएंगे। टेकफिन टेक्नालॉजी की मदद से पूरे बैंकिंग सिस्टम को नए सिरे से तैयार करेंगे। अलीबाबा, एपल और फेसबुक जैसी कंपनियां इसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

Web Title: history of money and future of banking fintech to techfin

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