ब्लॉग: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीपावली में मिला शुभ संकेत

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 14, 2023 12:30 PM2023-11-14T12:30:37+5:302023-11-14T12:31:17+5:30

दीपावली का यह पर्व अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। तुलसी विवाह तक त्यौहारों की कुछ न कुछ खरीदारी चलती रहेगी तथा व्यापारियों को उम्मीद है कि बाजार की रौनक खत्म नहीं होगी।

Good sign for Indian economy in Diwali | ब्लॉग: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीपावली में मिला शुभ संकेत

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

दीपावली पूरे देश ने उत्साह के साथ मनाई लेकिन इस वर्ष उसने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का भी प्रमाण दे दिया। सबसे खास बात यह रही कि दीपावली पर लोगों ने खरीदारी के पिछले सारे रिकॉर्ड तो तोड़ ही दिए, साथ ही स्वदेशी उत्पादकों की खरीदी पर खास जोर दिया।

देसी वस्तुओं का आकर्षण ऐसा ही बना रहा तो देश में औद्योगिक क्षेत्र का ढांचा बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा। नए उद्योग स्थापित होंगे तथा लाखों की संख्या में रोजगार सृजित होंगे। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक इस साल दीपावली में पौने चार लाख करोड़ का सामान लोगों ने खरीदा। पिछले कुछ वर्षों से त्यौहारों के मौसम में भारतीय बाजार चीनी उत्पादों से पटे रहते थे।

चीनी उत्पाद सस्ते होने के कारण उनके प्रति आम भारतीय का आकर्षण इतना बढ़ा कि उन्होंने भारतीय बाजारों पर कब्जा सा कर लिया था। इससे देश में उद्योग प्रभावित होने लगा था।

खासकर त्यौहारों पर लगने वाली वस्तुओं का उत्पादन एवं निर्यात करने वाली छोटी औद्योगिक इकाइयों पर ताले लगने शुरू हो गए थे। लेकिन समय रहते भारत सरकार ने ठोस कदम उठाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर दिया। भारतीय उद्यमियों ने भी उत्पादन लागत घटाई और कम कीमत पर उत्तम क्वालिटी के सामान का उत्पादन शुरू कर दिया। चीनी उत्पाद सस्ते तो होते थे, मगर वे जल्दी खराब हो जाते थे। व्यापारियों के संगठन के मुताबिक इस वर्ष चीन से त्यौहारों में किसी वस्तु का आयात नहीं किया गया।

इससे चीन को भारी नुकसान हुआ क्योंकि भारतीय बाजार बहुत विशाल है। चाहे दीपक हो या पटाखे, या रोशनाई के सामान, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं या वाहन, आभूषण या अन्य कोई सामान, आम भारतीय ने इस बार चीन पर भरोसा नहीं किया। यह सिलसिला पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ा है और इस वर्ष भारतीयों के सबसे बड़े और सबसे पवित्र पर्व दीपावली पर पूरी तरह भारतीयता का साया रहा।

लोगों ने स्वदेशी के प्रति इस कदर प्रेम दिखाया कि दीपावली पर खरीदारी के पिछले तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। ‘स्वदेशी’ प्रेम के साथ-साथ यह दीपावली आम भारतीय नागरिक के आर्थिक रूप से मजबूत होते जाने का प्रमाण भी दे गई। कोरोना महामारी दो वर्षों तक कहर ढाती रही और आम भारतीय के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था की कमर भी टूट गई। ऐसा लगा कि अर्थव्यवस्था बीस वर्ष पीछे चली गई है और देश को संभालने में कई दशक लग जाएं तो आश्चर्य नहीं।

मगर आर्थिक प्रबंधन के क्षेत्र में सकारात्मक उपायों एवं आम भारतीयों की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण कोरोना पर विजय पाने के साथ-साथ दो वर्ष के भीतर देश की अर्थव्यवस्था न केवल पटरी पर आ गई बल्कि वह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। जहां अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन तथा अन्य विकसित राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था संक्रमण के दौर से गुजर रही है, मंदी के आसन्न संकट से सहमी हुई है, वहीं हमारे देश में आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक नतीजे दिख रहे हैं। वैश्विक वित्त एजेंसियां भी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर से प्रभावित हैं।

अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए उठाए गए कदमों के अच्छे नतीजे भी दिखाई दे रहे हैं। दीपावली पर 3.75 लाख करोड़ की खरीदारी इस बात का प्रमाण है कि आम भारतीय नागरिक की क्रय शक्ति लगातार बढ़ रही है और कोरोना से उत्पन्न आर्थिक संकट पर वह विजय पा चुका है।

दीपावली का यह पर्व अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। तुलसी विवाह तक त्यौहारों की कुछ न कुछ खरीदारी चलती रहेगी तथा व्यापारियों को उम्मीद है कि बाजार की रौनक खत्म नहीं होगी। उद्योग-व्यवसाय हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। अगर वे कमजोर हो गए तो अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाती है।

अर्थव्यवस्था को उस वक्त और ताकत मिलती है जब देसी उद्योग-धंधे फलें-फूलें। इससे देश का धन देश में ही रहता है और वह अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करता है। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में ‘वोकल फॉर लोकल’ का सिलसिला और तेज होगा। 

Web Title: Good sign for Indian economy in Diwali

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