लघु उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव हैं। देश के औद्योगिक उत्पादन का 30 प्रतिशत इस क्षेत्र से आता है, 48 प्रतिशत निर्यात में इनका योगदान है और रोजगार की दृष्टि से देखें तो कृषि के बाद कम पूंजी लागत पर सर्वाधिक रोजगार का सृजन करके देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में यह क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इन उद्योगों से लगभग 110 मिलियन लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। कोविड ने इस क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है। कोरोना महामारी से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा और भारत भी इसके असर से नहीं बच सका।
लघु उद्योगों को मजबूत बनाकर ही बड़े उद्योगों को मजबूत बनाया जा सकता है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस उद्योग के पास संसाधनों की कमी है। ज्यादातर लघु उद्योग ग्रामीण इलाकों में या कस्बों में लगे हैं, इसलिए इन्हें बुनियादी सुविधाओं जैसे- बिजली, सड़क, पानी आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 40 प्रतिशत से अधिक लघु उद्यमियों के पास वित्त के औपचारिक स्रोतों तक पहुंच ही नहीं है, यानी वे फॉर्मल बैंकिंग सेक्टर से लोन ही नहीं ले पाते। लघु उद्यमियों को कच्चे माल को लेकर भी समस्या का सामना करना पड़ता है। एक तो कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं, दूसरे, कच्चे माल की उपलब्धता न हो पाने के कारण वे समय पर ऑर्डर पूरे नहीं कर पाते, जिसकी वजह से पब्लिक सेक्टर कंपनियां उन्हें ब्लैक लिस्ट कर देती हैं।
भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया है। सरकार की ओर से सार्वजनिक खरीद नीति की एक अच्छी पहल की गई है। यानी सरकार ने ये अनिवार्य कर दिया है कि केंद्र सरकार, उसके मंत्रालय, उसके विभाग या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा जो भी खरीद की जाती है, उसका 25 प्रतिशत लघु उद्योगों से ही खरीदा जाए। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कई योजनाएं लागू की हैं, जिनसे उद्यमियों को बहुत मदद मिली है। व्यवसाय करने में आसानी हो इसके लिए ‘उद्यम पंजीकरण’ नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसमें अपने उद्यम को बहुत आसानी से रजिस्टर्ड कराया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने लघु उद्यमियों को कार्यशील पूंजी में 2 प्रतिशत तक की राहत प्रदान करने के लिए योजना लागू की है।
लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अन्य जरूरी प्रयास करने भी आवश्यक हैं। सरकार को अधिक से अधिक नि:शुल्क प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना करनी चाहिए, ताकि विभिन्न कार्यों के जानकार और कुशल कारीगर अधिक संख्या में उपलब्ध हो सकें। सिंगल विंडो सिस्टम को देश में सभी जगह लागू करने की आवश्यकता है।