भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण

By भरत झुनझुनवाला | Published: February 24, 2020 07:17 AM2020-02-24T07:17:06+5:302020-02-24T07:17:06+5:30

टीएचडीसी द्वारा उत्पादित बिजली को विभिन्न राज्यों को 11 रु पए प्रति यूनिट में बेचा जा रहा है. यह बिजली आज इंडिया एनर्जी एक्सचेंज में 3 रुपए में उपलब्ध है.टीएचडीसी और नीपको के शेयरों की बिक्री अपनी ही दूसरी इकाई को करने का उद्देश्य सिर्फ यह दीखता है कि सरकार अपने निवेश की उगाही कर सके.

Bharat Jhunjhunwala's Blog: Privatization of Public Units | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण

सरकार ने भारत पेट्रोलियम, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और कोनकोर नाम की तीन सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण करने का निर्णय लिया है. निजीकरण के अंतर्गत इन इकाइयों के सरकार के पास जो शेयर हैं, उन्हें किसी विशेष निजी खरीददार को एकमुश्त बेच दिया जाएगा. इस बिक्री के बाद खरीददार के हाथ में इन इकाइयों का नियंत्नण स्थानांतरित हो जाएगा. इस कदम का स्वागत करना चाहिए क्योंकि सरकारी इकाइयों द्वारा जनहित नहीं बल्किजनता की हानि की जाती है. ये अकुशल हैं अत: इन्हें सरकारी दायरे में रखने से इनके घाटे की भरपाई जनता की गाढ़ी कमाई से होती है.

साथ-साथ सरकार ने दो जल विद्युत कंपनियों को नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को बेचने का निर्णय लिया है. इन दोनों सरकारी कंपनियों को तीसरी सरकारी विद्युत कंपनी को बेचा जाएगा. ये दो कंपनियां हैं नार्थ ईस्ट इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी (नीपको) जो पूर्वोत्तर राज्यों में जल विद्युत बनाती है और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) जो उत्तराखंड में जल विद्युत बनाती है. इन दोनों इकाइयों के सरकारी शेयरों को तीसरी सरकारी इकाई एनटीपीसी को बेच दिया जाएगा.
यह घुमावदार नियंत्नण अनुचित है क्योंकि इन इकाइयों द्वारा जनता का शोषण किया जा रहा है.

टीएचडीसी द्वारा उत्पादित बिजली को विभिन्न राज्यों को 11 रु पए प्रति यूनिट में बेचा जा रहा है. यह बिजली आज इंडिया एनर्जी एक्सचेंज में 3 रुपए में उपलब्ध है.टीएचडीसी और नीपको के शेयरों की बिक्री अपनी ही दूसरी इकाई को करने का उद्देश्य सिर्फ यह दीखता है कि सरकार अपने निवेश की उगाही कर सके.

एनटीपीसी ने कुछ लाभ कमा रखे हैं. उस रकम को वह टीएचडीसी और नीपको को खरीदने में लगाएगा और वह रकम केंद्र सरकार के हाथ में आ जाएगी. सरकार के दोनों हाथ में लड्डू हैं. शेयर के मूल्य मिल जाएंगे और नियंत्नण भी सचिव महोदय के हाथ में ही रहेगा. सरकार को चाहिए कि वह समस्त सार्वजनिक इकाइयों का सामाजिक आकलन अथवा सोशल ऑडिट कराए कि इनके द्वारा जनहित वास्तव में हासिल हो रहा है या नहीं. इन्हें सरकारी नियंत्नण से मुक्त कर इनका पूर्ण निजीकरण कर दे जिससे बाजार के आधार पर इनके कार्यकलाप का संचालन हो और इनके द्वारा महंगी बिजली बेच कर जनता का दोहन बंद हो.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's Blog: Privatization of Public Units

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