हर बार ऑल इज वेल नहीं होता राजूः संजू फिल्म कम, संजय दत्त का विज्ञापन ज्यादा है
By खबरीलाल जनार्दन | Published: June 30, 2018 12:02 PM2018-06-30T12:02:37+5:302018-06-30T17:28:32+5:30
राजकुमार हिरानी ने कॉमर्स में स्नातक किया है। उन्हें एड फिल्मों के डायरेक्टर के तौर पहचान मिली थी। वे ऐड फिल्मों के शानदार डायरेक्शन के लिए जाने जाते थे।
राजकुमार हिरानी ने संजू से पहले चार फिल्में बनाई थीं, मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना भाई, 3 इडियट्स और पीके। ये चारों फिल्में मेरी बॉलीवुड की सबसे ज्यादा पसंदीदा फिल्मों में से हैं। मैंने कई बार खुद से पूछा है कि फिल्में क्यों पसंद हैं? हर बार जवाब आया कहानी कहने का तरीका। मुझे ये फिल्में किसी कलाकार की उम्दा अभिनय की वजह से नहीं, कहानी कहने के अंदाज से बहुत प्यार है। मैं अब भी मौका लगने पर ये फिल्में देखता हूं।
अब जब कोई शख्स इतना पसंद आए तो उसके बारे में और जानकारी जुटाने का भी जी होता है। इस दौरान मुझे पता चला कि राजकुमार हिरानी नागपुर के सेंट फ्रांसिस डीसेल्स हाईस्कूल से पढ़े हैं। इसके बाद उन्होंने कॉमर्स में स्नातक किया है। इसके बाद पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से वीडियो/फिल्म एडिटिंग की पढ़ाई की है। लंबे समय तक मुंबई जाकर वीडियो एडिटिंग का काम करते रहे। लेकिन इससे फ्रस्टेट होकर उन्होंने एडिटिंग छोड़ दी।
राजकुमार हिरानी को प्रसिद्धि मिली एड फिल्मों के डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के तौर पर। वहां से विधू विनोद चोपड़ा के संपर्क में आए और एड फिल्में बंद कर के वे फिल्मों के ट्रेलर और प्रोमो पर काम करने लगे। उनका अर्से से फिल्म बनाने का मन था, लेकिन चुनौती थी शुरुआत की। एक अदद स्क्रिप्ट फाइनल हो, कोई अभिनेता उसके लिए राजी हो, फाइनेंसर मिलें।
संजू फिल्म के अंदर ही संजय दत्त को यह कहते सुना-देखा जा सकता है कि उन्होंने राजकुमार हिरानी की पहली फिल्म की स्क्रिप्ट अपने कार की डिग्गी में बाकी खराब स्क्रिप्ट के साथ फेंक रखी थी। 'किसी और' ने सुनील दत्त को दिखाया और फिल्म के लिए राजी करा लिया था। खुद सुनील दत्त संजय के पिता के किरदार के लिए अर्से बाद हामी भर चुके थे।
मुझे ऐसा लगता है कि उस 'किसी और' का प्रभाव राजकुमार हिरानी के संजू पर भी है। उसी किसी और ने राजकुमार हिरानी का फिल्मी कॅरियर शुरू कराया। उसी ने संजय दत्त, सुनील दत्त को मुन्ना भाई एमबीबीएस के लिए राजी किया। उसी लगे रहो मुन्नाभाई कराई, उसी ने फिर से संजय को पीके में काम दिलाया और अब उसी ने संजय दत्त की फिल्म राजू से कराई। लेकिन बस इसमें चूक यह हो गई कि राजू पिछले धंधे में लौट गए। उन्होंने फिल्म बनाने के बजाए एक ऐड फिल्म बना दी।
राजू ऐड फिल्मों के माहिर खिलाड़ी हैं, उन्होंने फेवीकोल सरीखे ऐड बनाने में अहम भूमिकाएं निभाई हैं। ट्रेलर, प्रोमो को कैसे रोचक बनाएं, यही उनका प्रमुख काम है। इसलिए जब उनके पास संजय दत्त की जिंदगी पर ऐड फिल्म बनाने की बारी आई तो इसमें रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा, परेश रावल, विक्की कौशल, मनीषा कोयराला, दीया मिर्जा सरीखे कलाकार रखे। जो हर तरह के संजय दत्त के चाहने वालों का ध्यान रख लें, कोई नाराज ना हो। ऐड फिल्मों की खासियत होती है सामान कैसा भी हो, उसकी वाहवाही करनी है और बाजार में मांग बढ़ानी है।
कुछ और तथ्य और हैं। 3 इडियट्स और पीके के दौरान ऐसी खबरें आती थीं कि आमिर खान, राजू के काम में दखल देते हैं। मसलन राजू शुरुआती स्क्रिप्ट नहीं चाहते थे कि उनके इडियट्स दारू पिएं। लेकिन आमिर ने दारू पीकर वायरस के घर के सामने पेशाब करने का दृश्य ठीक कराया था। खुद आमिर ने इसी सवाल के जवाब में एक बार कहा था, राजू अपने किरदारों को लेकर बहुत आदर्शवादी थे, मैं उनके आदर्श का बोझ उठा नहीं पा रहा था।
संजू में आमिर की कमी खलती है। रणबीर कपूर ने ताउम्र डायरेक्टर बताए गए को ही पर्दे पर उतारा है। वह स्क्रिप्ट के स्तर पर नहीं जाते। इसलिए संजू में वे अपने किरदार को जस्टीफाई करते नजर आते हैं कि वे इनोसेंस हैं। यह बात वे अपने एक्ट व दूसरे प्रतीकों से नहीं कह पाते। वह मीडिया को विलेन बनाने का सहारा लेते हैं। खुद कहते हैं कि उन्हें विक्टमाइज किया गया, लोगों में गलत परेसेप्शन बनाने के लिए मीडिया जिम्मेदार है और मीडिया ट्रॉयल से उनकी जिंदगी में काफी कुछ नुकसान हुआ।
राजू हिरानी की फिल्मों में इतना जस्टिफिकेशन देते हुए किरदार कम नजर आते हैं। वे इस तरह की समस्याओं के लिए एक खास तरह का सिंबल देते हैं, जैसे मुन्ना हमेशा परेशानियों में जादू की झप्पी देकर, रैंचो दिल पर हाथरकर ऑल इज वेल बोलकर, पीके एक अनोखा डांस कर के सारी परेशानियों में गजब की हिम्मत देते हैं, लेकिन संजू ऐसा कोई सिंबल नहीं देती। परेशानियों में हिन्दी गाने सुनाने का फॉर्मुला किसी ऐड फिल्म का हिस्सा लगता है। आपने एक ऐड फिल्म बनाई है।