Land For Job Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘रेलवे में नौकरी के बदले जमीन’ धनशोधन मामले की जांच में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर फिर से एक्शन लिया है। ईडी ने जमीन के बदले नौकरी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को नया समन जारी किया है और 5 जनवरी को पेश होने के लिए कहा है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कल पेश नहीं हुए थे। यादव ने कहा कि ईडी के समन में ‘‘कुछ नया नहीं’’ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निर्देशों के अनुसार काम कर रही है। यादव ने कहा, "समन में कुछ भी नया नहीं है। इन सभी एजेंसियों ईडी, सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और आईटी (आयकर) विभाग ने मुझे पहले भी कई बार बुलाया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘रेलवे में नौकरी के बदले जमीन’ घोटाला मामले में शनिवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को नया समन जारी किया और उनसे पांच जनवरी 2024 को पेश होने को कहा। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। इससे पहले, ईडी ने तेजस्वी (34) को 22 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वह पेश नहीं हुए थे।
तेजस्वी ने ईडी के नोटिस को नियमित प्रक्रिया बताया था। तेजस्वी के पिता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को इस मामले में 27 दिसंबर को दिल्ली में ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। यह कथित घोटाला उस समय का है जब लालू प्रसाद (75) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पहले कार्यकाल में रेल मंत्री थे।
आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में समूह ‘डी’ पदों पर कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और बदले में, इन व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी ए. के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी।
तेजस्वी यादव के पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद को पूछताछ के लिए तलब किया है। लालू को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज कराने के लिए 27 दिसंबर को उपस्थित होने के लिए कहा गया है। कथित घोटाला उस समय का है जब प्रसाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 सरकार में रेल मंत्री थे।
आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में समूह "डी" पदों पर कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और बदले में, इन व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी ए. के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी।