बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े की सधी सियासी चाल के आगे चित हुए लालू यादव, चाहकर भी नीतीश को नहीं रोक पाए
By एस पी सिन्हा | Published: January 28, 2024 03:28 PM2024-01-28T15:28:33+5:302024-01-28T15:34:31+5:30
विनोद तावड़े के सियासी सूझ-बूझ के आगे सभी रणनीतियां विफल हो गईं और नीतीश कुमार एक बार फिर से भाजपा के साथ बैटिंग करने लगे हैं। विनोद तावड़े बिहार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार प्रभारी हैं। ऐसे में भाजपा के नेताओं की बैठक की जिम्मेदारी तावड़े के पास रही। वह नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
पटना: बिहार में सत्ता परिवर्तन की सियासत में बिहार में भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े की सधी सियासी चाल के आगे लालू यादव चीत हो गये। विनोद तावड़े के सियासी सूझ-बूझ के आगे सभी रणनीतियां विफल हो गईं और नीतीश कुमार एक बार फिर से भाजपा के साथ बैटिंग करने लगे हैं। विनोद तावड़े बिहार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार प्रभारी हैं। ऐसे में भाजपा के नेताओं की बैठक की जिम्मेदारी तावड़े के पास रही। वह नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
दूसरी तरफ जदयू की तरफ से संजय झा इस मामले में ताबड़तोड़ बैटिंग कर रहे थे। नीतीश की पार्टी में उनके बाद संजय झा अकेले नेता हैं, जो सरकार और संगठन दोनों में सहयोग करते हैं। साल 2017 में भी भाजपा के समीप नीतीश को लाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वह राजनीति में भाजपा से ही आए थे। वहीं, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की भाजपा से नजदीकी तो जगजाहिर है। ऐसे में इस पटकथा को फाइनल कराने में हरिवंश की भूमिका अहम रही। केसी त्यागी और विजय चौधरी इस पूरी कहानी के सभी किरदारों के बीच सामंजस्य बिठाने की कोशिश करते रहे और इसमें वह सफल भी रहे।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी मैदान में थे। वहीं दूसरी तरफ जदयू की तरफ से केसी त्यागी, विजय चौधरी और हरिवंश मैदान में थे। भाजपा की तरफ से इस पूरे मामले को नित्यानंद राय अहम भूमिका निभा रहे थे, जो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेहद विश्वासी माने जाते हैं। वह इस पटकथा में लगातार एनडीए के नेताओं से मिलते रहे। वहीं सुशील मोदी के साथ नीतीश का संबंध किसी से छुपा नहीं है। सुशील मोदी कई बार इशारों में समझा गए थे कि नीतीश को भाजपा के साथ आना ही होगा। इस बीच इस सियासी पटकथा के फिल्मांकन से पहले जदयू ने इस राह में रोड़ा बन रहे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को सबसे पहले किनारे किया गया।
भाजपा और जदयू का गठबंधन किन शर्तों पर हो, इस पटकथा का फिल्मांकन के लिए खूब एहतियात बरता गया और मुलाकातों से ज्यादा इस बार फोन पर स्क्रिप्ट को लेकर बात होती रही। धीरे-धीरे सियासत के पिच पर बैटिंग का माहौल तैयार होते ही नीतीश को छ्क्का मारने की जिम्मेवारी सौंप दी गई। मौका पाते ही सियासत के सधे खिलाडी नीतीश कुमार ने ऐसा छक्का मारा कि लालू परिवार चारो खाने चित हो गया।