पटनाः बिहार में सियासी दल किसी के भी नाम पर सियासत करने में पीछे नहीं हटते हैं। इसी कड़ी में मौर्य शासक सम्राट अशोक को जातीय समीकरण में जोड़कर, उनके नाम पर सियासत शुरू कर दी गई है। इस क्रम में राजद ने जातीय आधार पर जगदेव प्रसाद के शहादत दिवस के अवसर पर 5 सितंबर को एक परिचर्चा का आयोजन रखा।
इसमें विषय रखा गया है- 'सम्राट अशोक से आरएसएस और भाजपा को नफरत क्यों है?' दरअसल, सम्राट अशोक को कुशवाहा वोट बैंक के आइकॉन के रूप में माना जा रहा है। सत्ताधारी पार्टी जदयू ने सम्राट अशोक पर गर्व किया और बिहार सरकार ने सम्राट अशोक के नाम पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।
ऐसे में भाजपा का कहना है कि भाजपा सम्राट अशोक का अखंड भारत का जो सपना था उसे पूरा करने में जुटी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अशोक स्तंभ को स्थापित किया था तो राजद और कांग्रेस के लोगों ने विरोध किया था। नए संसद भवन में अशोक स्तंभ की स्थापना एनडीए की सरकार ने की।
सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त ने भारत को अखंड भारत बनाना का सपना पूरा किया। आज बीजेपी पूरी तरह सम्राट अशोक के साथ खड़ी है। बता दें कि बिहार में कुशवाहा वोट बैंक 7-8 फीसदी है। इसलिए यह वोट बैंक किसी भी पार्टी की जीत-हार को प्रभावित करने वाला माना जाता है।
राज्य के बांका, मुंगेर, खगड़िया, पूर्णिया, मधुबनी, बेतिया, गोपालगंज, पटना आदि जिलों में कुशवाहा वोट बैंक की स्थिति अच्छी है। उपेन्द्र कुशवाहा, आलोक मेहता, नागमणि, रेणु कुशवाहा, उमेश कुशवाहा आदि ऐसे नेता हैं जो कुशवाहा जाति से आते हैं।
उधर, राजद उपाध्यक्ष मधु मंजरी कुशवाहा ने कहा कि हम लोगों ने सम्राट अशोक से जुड़ी परिचर्चा का विषय ऐसा इसलिए रखा है कि जब से भाजपा की सरकार आई है, सम्राट अशोक की अवहेलना की गई है। जबकि सम्राट अशोक को पूरी दुनिया ने माना। उनके चिह्न अशोक स्तंभ और चक्र उसकी अवहेलना हुई है।
संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के पीछे सम्राट अशोक का प्रतीक हटाकर संगोल को लाया गया। कुछ दिन पहले पासपोर्ट से हटाकर अशोक स्तंभ की जगह कमल रख दिया था। हंगामा के बाद वापस लाया गया। उन्होंने कहा कि इनकी कार्यशैली सम्राट अशोक के विरोध में जाती है।
दिल्ली में जी-20 का आयोजन हो रहा है। उसमें भारत का प्रतीक अशोक स्तंभ को होना चाहिए था, लेकिन उसकी जगह कमल लगा दिया गया है। वो भारत का प्रोग्राम है भाजपा या नरेंद्र मोदी का नहीं। भाजपा इससे ज्यादा सम्राट अशोक की अवहेलना और क्या कर सकती है?