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बिहार: सीएम नीतीश के बयान से गर्मायी सियासत, कहीं दबाव की राजनीति तो नहीं कर रहे हैं नीतीश कुमार!

By एस पी सिन्हा | Updated: October 22, 2023 14:49 IST

उधर, जदयू में बिखराव दिख रहा है, जिसे नीतीश कुमार परेशान हो उठे हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार के द्वारा दिया गया बयान राजद पर दबाव की राजनीति का हिस्सा हो सकता है।

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पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा के केन्द्र में हैं। कभी भाजपा के प्रति प्रेम दर्शाते हैं, फिर उससे इंकार करते हैं, तो फिर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बताकर सियासत की दिशा को मोडने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने शनिवार को तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखकर कहा कि यही बच्चा हम लोगों का सब कुछ है। ऐसे में नीतीश कुमार के इस बयान ने बिहार की सियासत में सनसनी फैला दी है। नीतीश के बयानों के मायने तलाशे जाने लगे हैं।

राजनीति के जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार राजद को कभी डराने का प्रयास करते हैं तो कभी उसे पुचकारने की कोशिश करते नजर आ जाते हैं। चर्चाओं पर गौर करें तो भाजपा का साथ छोडकर आते वक्त नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री का कुर्सी सौंप देने और जदयू का राजद में विलय का वादा किया था। लेकिन एक साल बाद भी नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज हैं।

तेजस्वी यादव के लिए वह कुर्सी छोड नही रहे हैं। यही नही जदयू में हुए बवाल के बाद पार्टी के विलय का मामला भी ठंढे बस्ते में डाल दिया गया है। खुद केन्द्र की राजनीति में जाने के मूड में दिखाई नही दे रहे हैं। ऐसे में राजद के भीतर बेचैनी बढती ही जा रही है। समय-समय पर राजद के नेताओं ने इसपर सवाल भी उठाने का प्रयास किया, लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के द्वारा अभी चुप रहने का इशारा किए जाने से राजद के नेता चुप हैं। लेकिन अंदर ही अंदर आग भी सुलग रही है। नीतीश को इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाने की चर्चा थी, ये भी नहीं हो पाया।

अब लोकसभा का चुनाव नजदीक है। सीटों का बंटवारा भी गंभीर विषय बना हुआ है। जदयू के संसद में 16 सांसद हैं। ऐसे में अगर इंडीया गठबंधन में सीटों का बंटवारा हुआ तो नीतीश को कुछ सीटें छोड़नी पड़ सकती है, जिसके लिए नीतीश कुमार तैयार नहीं होंगे। राजद का संसद में कोई प्रतिनिधि नहीं है। राजद नहीं चाहती है कि वह जदयू से कम सीट पर लड़े। सूत्रों के अनुसार राजद इसबार 20 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारना चाह रही है।

जबकि नीतीश को लोकसभा की 16 सीटें सीटें चाहिए। ऐसे में कांग्रेस के साथ वामपंथी पार्टियों का क्या होगा? 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में 19 सीटों पर राजद के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। इसलिए बदले राजनीतिक हालात में वह उन सीटों पर राजद कब्जा चाहती है। ऐसे में नीतीश कुमार को इस बात की आशंका है कि राजद उन्हें 16 सीटें देने को तैयार नहीं होगा। कारण कि कांग्रेस कम से कम 10 सीटों पर दावा पेश कर रही है तो अकेले भाकपा (माले) को पांच सीटें चाहिए। वहीं, राजद का कहना है कि विधानसभा में उसके विधायक जदयू से दोगुने हैं, इसलिए उसे ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। राजद अगर इसी मांग पर अडी रही तो नीतीश की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

उधर, जदयू में बिखराव दिख रहा है, जिसे नीतीश कुमार परेशान हो उठे हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार के द्वारा दिया गया बयान राजद पर दबाव की राजनीति का हिस्सा हो सकता है। हालांकि शनिवार को तेजस्वी यादव के बारे में दिए गए बयान को पुचकारने की राजनीति मानी जा रही है। जानकारों की मानें यो नीतीश बिना काम के एक शब्द भी ज्यादा नहीं बोलते हैं।

उनका हर शब्द नपा तुला और अर्थवान होता है। कम शब्दों में नीतीश जिस तक बात पुंचाना हो उसे पहुंचा देते हैं। विपक्ष को एकजुट करने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश को शायद सीट शेयरिंग के समय अपनी सीटों में कटौती कतई बर्दास्त नहीं होगा। ऐसा होने पर दूसरा विकल्प शायद नीतीश चुन सकते हैं।

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