इस तरह से न चलाएं बाइक और कार, नहीं तो चालान और जुर्माने से भी नहीं बनेगा काम, इन कानूनों के तहत अब होगी 2 सजा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2019 09:23 AM2019-10-08T09:23:57+5:302019-10-08T09:23:57+5:30
गुहावटी हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी के खिलाफ मोटर व्हीकल कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, तो उसके खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
कई लोग जानबूझकर तेज स्पीड में और लापरवाही से कार या बाइक चलाते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ताजे फैसले के अनुसार अब ऐसे लोगों को सावधान हो जाने की जरूरत है। क्योंकि अभी तक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में चालान और जुर्माने पर ही ज्यादा जोर रहता था जब तक कि कोई बड़ी घटना न घटी हो। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर व्हीकल कानून के तहत तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाने जैसे अपराध करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
कोर्ट के अनुसार दोनों कानून अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। कोर्ट का कहना है कि भारत में सड़क यातायात के दौरान लोगों के जख्मी होने और जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। इसी के साथ न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के 22 दिसंबर 2008 के आदेश को रद्द कर दिया।
गुहावटी हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी के खिलाफ मोटर व्हीकल कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, तो उसके खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि दोनों कानूनों के तहत अपराध के घटक अलग-अलग हैं, लेकिन आरोपी के खिलाफ दोनों कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर सजा दी जा सकती है। पीठ ने स्पष्ट किया कि विशेष कानून के सामान्य कानून पर प्रभावी होने का सिद्धांत IPC और मोटर व्हीकल कानून के तहत सड़क दुर्घटना के अपराध के मामलों पर लागू नहीं होता है।
पीठ की तरफ से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा, ''हमारी राय में आईपीसी और मोटर व्हीकल अधिनियम के प्रावधानों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है। दोनों कानून के तहत अपराध अलग-अलग और एक-दूसरे से पृथक हैं। दोनों कानूनों के तहत दंड भी स्वतंत्र और एक-दूसरे से अलग है।''
दिया था ये निर्देश
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को मोटर व्हीकल दुर्घटनाओं से संबंधित अपराधों के लिए आरोपियों के खिलाफ मोटर व्हीकल कानून के प्रावधानों के तहत ही मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने इन मामलों में भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा नहीं चलाने के लिए अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने को कहा था।