CNG से चलने वाले वाहनों के लिये अब जरूरी हुआ फ्यूल लीकेज टेस्टिंग सर्टिफिकेट, नहीं तो जब्त हो जाएगी गाड़ी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 24, 2019 01:18 PM2019-11-24T13:18:15+5:302019-11-24T13:18:15+5:30
चलते वाहनों में आग लगने और उससे होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में स्थानीय या क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने CNG चलित वाहनों पर कड़ाई करने का फैसला किया है।
ऐसे वाहन जो कॉम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) से चलते हैं उनके लिये फ्यूल लीकेज टेस्टिंग सर्टिफिकेट अनिवार्य हो गया है। सर्टिफिकेट न होने पर सड़क एवं परिवहन विभाग द्वारा जुर्माना लगाया जाएगा इसके अलावा गाड़ी भी जब्त की जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक वाहनों से लीक हो होने वाले सीएनजी के चलते दुर्घटनाएं बढ़ी हैं इसके चलते ये फैसला लिया गया है। पिछले हफ्ते मथुरा में एक चलती कार अचानक से बर्निंग (जलती) कार में बदल गई। इसके पीछे का कारण उसका सीएनजी लीक होना बताया गया। इस दुर्घटना में एक बिजनेसमैन की मौत हो गई।
बीते सोमवार को रामबाग में CNG चलित एक ऑटो रिक्शा में आग पकड़ ली। इन मामलों के चलते ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट शख्त हुआ और सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिये हर तीन महीने में फ्यूल लीकेज जांच कराने का नियम बना दिया।
आरटीओ अशोक कुमार सिंह ने टीओआई को बताया कि सीएनजी लीकेज सर्टिफिकेट 3 महीने के लिये मान्य होगा। सर्टिफिकेट का चार्ज वाहन के हिसाब से 100 से 150 रुपये होगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही हम लोगों के बीच इसको लेकर जागरूकता बढ़ाएंगे।
बिना फ्यूल लीकेज टेस्टिंग सर्टिफिकेट वाले वाहनों पर दिसंबर से कार्रवाई शुरू होगी। आगरा के रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस के रिकॉर्ड के मुताबिक जिले भर में लगभग 18,500 वाहन हैं जो सीएनजी से चलते हैं। इनमें से 8,675 ऑटो रिक्शा है, 4000 स्कूल कैब, 400 स्कूल बस, 150 सिटी बस और 5,000 लोडिंग वाले वाहन हैं।
जिले में सीएनजी चलित स्कूल कैब और वैन की काफी संख्या है। इन वाहनों में फ्यूल लीकेज दुर्घटना का एक बड़ा कारण हो सकता है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट पहले चरण में स्कूल वाहनों की जांच करेंगे।